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प्राइवेट पार्ट में मारे करंट, जनेऊ तोड़ मुँह में माँस ठूँसा, कहा- बीवी को नंगा कर बेटी से रेप करेंगे: मालेगाँव ब्लास्ट में जो हिंदू हुए बरी उन्होंने सुनाई रूह कँपाने वाली आपबीती


मालेगाँव ब्लास्ट में मेजर रमेश उपाध्याय और समीर कुलकर्णी की आपबीती

मालेगाँव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद आए कोर्ट के फैसले ने ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को पूरी तरह से खारिज किया। 31 जुलाई 2025 को स्पेशल NIA कोर्ट ने इस केस के सभी सात आरोपितों को बाइज्जत बरी किया, जिनमें पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय और समीर कुलकर्णी शामिल थे। मालेगाँव ब्लास्ट के सात आरोपितों में रमेश और समीर कुलकर्णी ने बताया कि कैसे उनकों ATS ने पहले झूठे केस में फँसाया और फिर कुछ हिंदू नेताओं के नाम लेने के लिए प्राइवेट पार्ट में करंट, जबरन मांस खिलाना, जनेऊ- धार्मिक ग्रंथों को पैरों से कुचलना और पत्नी-बेटी को नंगा करने और रेप की धमकी देकर प्रताड़ित किया गया।

मालेगाँव ब्लास्ट केस में आरोपित रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी भयानक यातनाओं से गुजरना पड़ा। उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से अपने दर्द को साझा किया है। उनके मुताबिक, हिरासत में उन्हें पुरुष कैदियों के साथ रखकर पोर्न वीडियो दिखाए जाते थे और भद्दे सवाल किए जाते थे। उन्हें चमड़े की बेल्ट से पीटा जाता था, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर समस्या आ गई थी। इन यातनाओं के कारण उन्हें कैंसर और न्यूरो संबंधी बीमारियाँ हो गईं और उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।

रमेश उपाध्याय और समीर कुलकर्णी की दर्दनाक कहानी

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मालेगाँव ब्लास्ट के आरोपित रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय ने बताया कि कैसे उन्हें महाराष्ट्र ATS ने बिना किसी वजह के उठाया और गैरकानूनी हिरासत में रखा। उनके अनुसार, उन्हें बुरी तरह पीटा गया, प्राइवेट पार्ट्स पर बिजली के झटके दिए गए और उनके पैरों पर लकड़ी रखकर दो पुलिसवाले खड़े हो जाते थे। उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए उनकी पत्नी को नंगा करने और बेटी के साथ रेप करने की धमकी दी गई। ATS उन पर दबाव डाल रही थी कि वे योगी आदित्यनाथ, प्रवीण तोगड़िया, इंद्रेश और श्री श्री रविशंकर जैसे हिंदू नेताओं का नाम लें और कहें कि इन्हीं लोगों ने उन्हें ब्लास्ट करने के लिए कहा था।

इस मामले में एक अन्य आरोपित समीर कुलकर्णी ने भी ऐसी ही आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि पुलिसवाले उन्हें रोज 20-20 घंटे तक पीटते थे, जिससे उनके तीन दाँत टूट गए। शाकाहारी होने के बावजूद, उनके मुँह में जबरन माँस के टुकड़े ठूँसे गए। समीर ने बताया कि ATS अधिकारियों ने उनके धार्मिक ग्रंथ जैसे गीता और हनुमान चालीसा को उनके सामने फाड़ा और जनेऊ को उतरवाकर पैरों से कुचला। इन अत्याचारों का मकसद उनसे मनचाही गवाही उगलवाना था।

कॉन्ग्रेस और ‘हिंदू आतंकवाद’ की साजिश

यह स्पष्ट है कि यह पूरा मामला तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार की एक सुनियोजित साजिश थी। ब्यूरोक्रेट आरवीएस मणि ने अपनी किताब ‘हिंदू टेरर’ में इसका खुलासा किया है। गवाहों और आरोपितों के बयान से यह बात सामने आई कि कॉन्ग्रेस की तत्कालीन सरकार के इशारे पर एजेंसियों ने हिंदू नेताओं को फँसाने के लिए लोगों पर दबाव बनाया।

कर्नल पुरोहित ने कोर्ट को बताया था कि कॉन्ग्रेस सरकार ने तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ और RSS प्रमुख मोहन भागवत को इस मामले में फँसाने की कोशिश की थी। यह सब जनता का ध्यान कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे घोटालों से हटाने के लिए किया गया था।

कोर्ट का फैसला और निष्कर्ष

गौरतलब है कि मुंबई की स्पेशल NIA कोर्ट के जज एके लाहोटी ने अपने 500 से ज्यादा पेज के फैसले में साफ कहा कि अभियोजन पक्ष कोई ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन दोषसिद्धि नैतिक आधार पर नहीं, बल्कि ठोस सबूतों पर होनी चाहिए।” इस फैसले ने पिछले 17 वर्षों से चल रही ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को पूरी तरह से नकार दिया।

कोर्ट ने विक्टिम्स के लिए मुआवजे का भी ऐलान किया। इस पूरे मामले से यह साबित होता है कि एक राजनीतिक साजिश के तहत निर्दोष लोगों को प्रताड़ित किया गया, जिनके जीवन के महत्वपूर्ण साल जेल में यातनाओं के बीच गुजरे। इस मामले ने भारतीय न्याय प्रणाली में एक नई मिसाल पेश की है, जहाँ सच्चाई और न्याय की जीत हुई है।

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