प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2 दिवसीय जापान यात्रा ने दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण रही, बल्कि अगले दशक के लिए भारत-जापान संबंधों की रूपरेखा तैयार करने में भी अहम साबित हुई। दोनों देशों के नेताओं ने आर्थिक सहयोग, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

यात्रा से जुड़ी अहम बातें

प्रधानमंत्री मोदी का जापान में भव्य स्वागत हुआ। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने उन्हें औपचारिक रूप से स्वागत किया और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद उनके सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया।

अगले दिन (30 अगस्त 2025) दोनों नेता टोक्यो से सेंडाई तक विश्व प्रसिद्ध शिंकनसन बुलेट ट्रेन में एक साथ यात्रा की। इस दौरान उन्होंने एक साथ भोजन किया और टोक्यो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री का दौरा किया। जापानी प्रधानमंत्री ने दो दिनों तक प्रधानमंत्री मोदी के साथ समय बिताया, जो दोनों देशों के बीच गहरे रिश्तों का प्रतीक है।

आर्थिक सहयोग और निवेश

यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण जापान का अगले दस वर्षों में भारत में 10 ट्रिलियन येन (लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये) के निजी निवेश का वादा रहा। यह निवेश भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देगा और सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा।

इसके अलावा दोनों देशों ने ‘भारत-जापान संयुक्त दृष्टिकोण’ नामक एक रोडमैप तैयार किया, जो आर्थिक विकास, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, पर्यावरण और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देगा।

यात्रा के दौरान कई समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए, जिनमें शामिल हैं-

  • सुरक्षा सहयोग: समकालीन सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की योजना।
  • मानव संसाधन आदान-प्रदान: अगले पाँच वर्षों में 5 लाख लोगों, खासकर 50,000 भारतीय कुशल और अर्ध-कुशल कर्मियों को जापान भेजने की कार्य योजना।
  • डिजिटल साझेदारी 2.0: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में सहयोग।
  • स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण: कार्बन-मुक्त प्रौद्योगिकियों, हाइड्रोजन, अमोनिया और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर सहयोग।
  • अंतरिक्ष में सहयोग: चंद्रयान-5 मिशन के लिए इसरो और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के बीच सहयोग।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: कला, संस्कृति और संग्रहालय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता।

द्विपक्षीय समर्थन और राज्य-स्तरीय सहयोग

इस यात्रा की एक खास बात भारत-जापान संबंधों में द्विपक्षीय समर्थन रही। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों, योशिहिदे सुगा और फुमियो किशिदा से मुलाकात की। इसके अलावा, उन्होंने जापानी संसद के स्पीकर और कई सांसदों से भी बातचीत की। जापान के 16 प्रांतों के गवर्नरों ने टोक्यो में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की, जो भारत के मुख्यमंत्रियों के समकक्ष हैं। यह राज्य-स्तरीय सहयोग दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने का एक अनूठा उदाहरण है।

अन्य उल्लेखनीय परिणाम

  • भारत-जापान AI पहल: विश्वसनीय AI इकोसिस्टम के लिए सहयोग।
  • नेक्स्ट-जनरल मोबिलिटी पार्टनरशिप: रेलवे, विमानन और शिपिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग।
  • लघु और मध्यम उद्यम मंच: भारतीय और जापानी SMEs के बीच सहयोग को बढ़ावा।
  • टिकाऊ ईंधन पहल: बायोगैस और जैव ईंधन पर अनुसंधान।

प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा ने दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। यह यात्रा न केवल आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क को भी मजबूत करेगी। यह भारत और जापान के साझा दृष्टिकोण का प्रतीक है, जो एक समृद्ध, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

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