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‘पायलट की गलती’ या फ्यूल कंट्रोल स्विच में तकनीकी खराबी: 2018 की FAA एडवायजरी ने उठाए नए सवाल, बताया था- गड़बड़ हो सकती है ईंधन की सप्लाई


फ्यूल कंट्रोल स्विच

अहमदाबाद से लन्दन जा रहे एअर इंडिया के 787-8 ड्रीमलाइनर विमान हादसे की शुरूआती जाँच रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इसमें हादसे का कारण इंजन को ईंधन की सप्लाई बंद होना बताया गया है। रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह सप्लाई किसने बंद की।

रिपोर्ट में पायलटों के फ्यूल स्विच बंद होने को लेकर बातचीत सामने आई है। लेकिन इसी के साथ अमेरिकी विमानन नियामक FAA (फेडरल एयर एडमिनिस्ट्रेशन) की एक 2018 की एडवायजरी भी प्रकाश में आई है, जिसमें बोइंग निर्मित विमानों के फ्यूल स्विच में गड़बड़ी की बात कही गई थी।

FAA ने क्या कहा था?

FAA ने दिसम्बर, 2018 में यह बुलेटिन सभी एयरलाइन्स को भेजा था। FAA ने बताया था कि बोइंग कम्पनी को 737 विमान ऑपरेट करने वाली एयरलाइन्स से फ्यूल स्विच के बारे में कुछ रिपोर्ट्स मिली हैं। FAA के अनुसार, एयरलाइन्स ने बताया था कि कुछ विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच बिना लॉकिंग फीचर के इंगेज हुए इंस्टाल हो गए थे।

FAA ने बताया था कि फ्यूल कंट्रोल स्विच में लॉकिंग फीचर इसलिए होता है ताकि इसको धोखे से बंद या चालू नहीं किया जा सके। FAA के अनुसार, अगर लॉकिंग स्विच काम ना करे तो ईंधन सप्लाई और उसकी कटौती अनजाने में हो सकती है और यह गड़बड़ कर सकती है।

FAA की फ्यूल कंट्रोल स्विच को लेकर एडवायजरी

एडवायजरी में FAA ने यह बताया था कि लॉकिंग फीचर चालू रहने की सूरत में फ्यूल कंट्रोल स्विच को ऑन/ऑफ करने के लिए पायलट को उसे ऊपर उठाना पड़ता है और अगर लॉकिंग फीचर नहीं होता तो स्विच को बिना उठाए ही उसकी स्थिति बदली जा सकती है।

FAA ने कहा था कि स्विच को लॉकिंग फीचर के बिना चलाने पर इंजन बंद होने जैसे अनपेक्षित घटनाएँ भी हो सकती हैं। 2018 की इस एडवायजरी के अनुसार, जिन फ्यूल कंट्रोल स्विच में यह गड़बड़ी सामने आई थी, वह बोइंग की वेंडर कम्पनी हनीवेल ने बनाए थे।

इस एडवायजरी में FAA ने बताया था कि यह घटनाएँ भले ही 737 विमान मॉडल के साथ सामने आई हों लेकिन फ्यूल कंट्रोल स्विच का डिजाइन और भी विमानों में इसके जैसा ही था। इन विमानों की फेहरिस्त में 787-8 ड्रीमलाइनर भी था। यही विमान 12 जून, 2025 को अहमदाबाद में हादसे का शिकार हुआ।

FAA ने सभी एयरलाइन्स को बोला था कि वह इस सूचना के बाद जल्द से जल्द अपने विमानों की जाँच कर लें। इसे एअर इंडिया समेत बाकि एयरलाइन्स को भी भेजा गया था क्योंकि यह भी उस फेहरिस्त में शामिल कई विमानों का संचालन करती है। हालाँकि, इस जाँच को बाध्यकारी नहीं बनाया गया था।

अब क्यों चर्चा में है FAA की रिपोर्ट?

12 जून, 2025 को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे की शुरूआती जाँच रिपोर्ट भारतीय एजेंसी AAIB ने 12 जुलाई को जारी की है। इस जाँच रिपोर्ट में बताया गया है कि विमान के उड़ान भरने के कुछ सेकंड के भीतर ही विमान को ईंधन मिलना बंद हो गया था।

रिपोर्ट में बताया गया है कि एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 में ईंधन सप्लाई बंद होने के बाद एक पायलट ने दूसरे पायलट से पूछा था कि उसने फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद क्यों किया। इसके जवाब में दूसरे पायलट ने ऐसा करने से इनकार किया था।

AAIB रिपोर्ट का वह हिस्सा, जहाँ पर फ्यूल कंट्रोल स्विच के विषय में बात हुई है

रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि फ्यूल कंट्रोल स्विच क्यों बंद हो गए थे। चूंकि पायलटों ने इससे मना किया था और बाकी बातचीत के लिए समय नहीं बचा था इसलिए इस पर और भी कोई जानकारी सामने नहीं आई। ऐसे में फ्यूल कंट्रोल स्विच की संभावित गड़बड़ी को लेकर भी प्रश्न उठ रहे हैं।

विमान में क्यों लगाए जाते हैं फ्यूल कंट्रोल स्विच?

आधुनिक विमान बड़ी मात्रा में तेल खपत करते हैं और उनके इंजनों को चलने के लिए नियमित ईंधन की सप्लाई चाहिए होती है। विमानों में फ्यूल सप्लाई को नियमित करने के लिए यह स्विच लगाए जाते हैं। इनको बंद करने की आवश्यकता ईंधन भरते समय पड़ती है।

फ्यूल कंट्रोल स्विच

इसके अलावा अगर किसी विमान के इंजन उड़ान के दौरान गड़बड़ करते हैं या बंद हो जाते हैं तो उन्हें दोबारा चालू करने के लिए भी फ्यूल कंट्रोल स्विच काम में लाए जाते हैं। कई ऐसे भी मौके हो सकते हैं जब दो विमान वाले इंजन का एक इंजन खराब हो जाए, ऐसे में उसे बंद करने के लिए भी फ्यूल कंट्रोल स्विच का इस्तेमाल किया जाता है।

धोखे से यह बंद या चालू ना हो जाएँ, इसके लिए इन स्विच के आसपास लोहे की एक रेलिंग जैसी लगाई जाती है। फ्यूल कंट्रोल स्विच क कॉकपिट में लगाने की शुरुआत जेट विमानों के आने के साथ ही 1950 के दशक में चालू हो गई थी। बोइंग 707 और डगलस DC-8 जैसे विमानों में पहली बार आधुनिक फ्यूल कंट्रोल स्विच लगाए गए थे।

एअर इंडिया का इस मामले पर क्या रुख?

एअर इंडिया ने भी 2018 की FAA एडवायजरी को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। एअर इंडिया ने हादसे की जाँच कर रही एजेंसी AAIB को बताया है कि उसे भी FAA की यह एडवायजरी मिली थी लेकिन इसमें कही गई इंस्पेक्शन की बात अनिवार्य नहीं थी। एअर इंडिया ने बताया है कि उसने यह इंस्पेक्शन अपने विमानों के फ्यूल कंट्रोल स्विच को लेकर नहीं किए थे। उसने यह भी स्पष्ट किया है कि विमान के बाकी मानकों को वह लगातार पूरा कर रही थी।

‘पायलटों की गलती’ वाले दावे का खंडन

इंडियन एयरलाइन्स पायलट एसोसिएशन (ALPA) ने AAIB की शुरूआती जाँच रिपोर्ट का खंडन किया है। यूनियन ने कहा है कि शुरूआती तौर पर पायलटों को गलत दिखाने का प्रयास किया गया है। उसने यह भी कहा गया है कि रिपोर्ट में पायलटों को लेकर पक्षपात किया गया है। यूनियन ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि रिपोर्ट जारी होने से पहले ही मीडिया के पास पायलटों को लेकर जानकारी पहुँच गई थी, जो ठीक नहीं है।

पायलट की गलती या गड़बड़ी, इसका नहीं कोई जवाब

एअर इंडिया हादसे की रिपोर्ट ने जहाँ कई जवाब दिए हैं, वहीं कई प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद होने का असल कारण क्या था, जो बाद में हादसे कारण बना। रिपोर्ट में यह भी जवाब स्पष्ट नहीं हुआ कि आखिर फ्यूल कंट्रोल स्विच चालू किए जाने के बाद एक ही इंजन वापस क्यों ऑन हो पाया।

इस बीच कई विदेशी मीडिया पोर्टल ने एअर इंडिया के पायलटों कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर को ही हादसे का जिम्मेदार बताने का प्रयास किया है। जबकि AAIB जाँच रिपोर्ट से कहीं पर भी यह स्पष्ट नहीं होता कि उन्होंने ही फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद किया था।

इस बीच 2018 की उस एडवायजरी ने यह भी प्रश्न उठा दिए हैं कि कहीं इन स्विच में कोई तकनीकी समस्या तो नहीं थी।

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