अहमदाबाद एअर इंडिया विमान के हादसे को लेकर अंततोगत्वा पायलटों को दोषी ठहरा दिया गया है। 12 जून, 2025 को AI-171 फ्लाइट हादसे को लेकर पायलट को ही कुर्बानी का बकरा बनाने का प्रयास प्रारम्भिक जाँच रिपोर्ट सामने आने से पहले से ही चालू हो गया था। पहले इस विषय में दावे किए गए थे, रिपोर्ट आने के बाद इस पर आशंका जताई गई और कुछ दिनों के बाद विदेशी मीडिया के सहारे पायलटों को पूर्ण रूप से दोषी ठहरा दिया गया है। विदेशी मीडिया के इस कोरस गाने में भारतीय मीडिया भी शामिल हो गया है।
WSJ ने अब पायलटों को ही ठहरा दिया दोषी
इसकी शुरुआत अमेरिकी समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जनरल (WSJ) ने की है। WSJ ने गुरुवार (16 जुलाई, 2025) को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें बताया गया है कि अब एअर इंडिया हादसे की जाँच सीधे तौर पर AI-171 के मुख्य पायलट सुमीत सभरवाल पर केन्द्रित हो गई है। इस रिपोर्ट में 3 दशक से विमान उड़ा रहे पायलट सुमीत सभरवाल को फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने का दोषी ठहरा दिया गया है, जिसकी वजह से हादसा हुआ।

WSJ की रिपोर्ट में कहा गया है कि हादसे के बाद बरामद हुए विमान के ब्लैक बॉक्स में सेव हुई आवाज की रिकॉर्डिंग इशारा करती है कि कैप्टन सुमीत सभरवाल ने ही फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद किए। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अहमदाबाद एयरपोर्ट से विमान को लेकर फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर उड़े थे और फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद होने के बाद संभवतः उन्होंने ही कैप्टन सुमीत सभरवाल से पूछा था, “तुमने ये स्विच क्यों बंद किया?”
WSJ की रिपोर्ट में पायलटों को दोषी ठहराने के साथ यह नहीं स्पष्ट बताया गया है कि इसी आवाज की रिकॉर्डिंग में सुमीत सभरवाल ने फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने से इनकार किया था। WSJ की रिपोर्ट के बाद विदेशी मीडिया के बाकी संस्थान भी इसी सुर में गाने लगे हैं। रायटर्स, ब्लूमबर्ग, CNN और न्यू यॉर्क पोस्ट समेत बाक़ी अमेरिकी मीडिया संस्थानों ने सीधे तौर पर अपनी हेडलाइंस और खबर में कैप्टन सुमीत सभरवाल को फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने का दोषी मान लिया है।

विदेशी मीडिया के साथ भारतीय मीडिया भी मिला रहा सुर
ऐसा नहीं है कि भारतीय पायलट के नाम दोष डालने का काम सिर्फ अमेरिकी या बाकी विदेशी मीडिया ही कर रहा हो। इस काम में भारतीय मीडिया संस्थान भी शामिल हैं। बिजनेस स्टैण्डर्ड से लेकर ऑनमनोरमा तक ने WSJ की रिपोर्ट के हवाले से पायलटों की कथित गलती की बात को हेडलाइन्स में चलाया है। इन संस्थानों ने भी वह महत्वपूर्ण तथ्य नजरअंदाज कर दिया है कि जिसमें पायलट ने फ्यूल कंट्रोल स्विच को बंद करने से इनकार किया है।
बोइंग को बचने की पटकथा का अंतिम अध्याय भी पूरा
WSJ समेत तमाम संस्थानों ने अब पायलटों को अंतिम तौर पर पायलटों को दोषी ठहरा दिया ही है। हालाँकि इसकी पटकथा कई दिनों पहले से ही लिखी जा रही थी। अमेरिकी अखबार WSJ ने गुरुवार (10 जुलाई,2025) को इसी संबंध में एक खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में दावा किया गया था कि जाँचकर्ता अब एअर इंडिया हादसे की जाँच इंजन या अन्य फेलियर के एंगल से नहीं परंतु पायलटों की ‘भूल’ के एंगल से कर रहे हैं।
यह खबर तब प्रकाशित की गई थी जब AAIB की जाँच रिपोर्ट सामने नहीं आई थी। बाद में जब AAIB की रिपोर्ट सामने आई तो इसमें पायलटों की भूल की बात तक नहीं की गई। यह प्रयास सिर्फ वॉल स्ट्रीट जनरल ने ही नहीं किया था। वॉल स्ट्रीट जनरल के अलावा ब्लूमबर्ग, रॉयटर्स, ABC न्यूज और विमानन पर रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट एयर करेंट ने भी विमान हादसे का कारण इंजन को ईंधन पहुंचाने वाले फ्यूल स्विच के ‘गलती से बंद होना’ बताने का प्रयास किया था।
इन सभी मीडिया पोर्टल में यह खबरें 8 जुलाई से 10 जुलाई के बीच प्रकाशित हुई थी जबकि AAIB की जाँच रिपोर्ट 12 जुलाई को प्रकाशित हुई थी। यह प्रयास AAIB रिपोर्ट के बाद रुके नहीं थे। AAIB रिपोर्ट को भी विदेशी मीडिया संस्थानों जैसे रॉयटर्स, बीबीसी, डेली मेल आदि ने इस रिपोर्ट को जानबूझकर गलत तरीके पेश किया। AAIB रिपोर्ट में पायलटों की गलती को लेकर कोई बात नहीं कही गई थी। फिर भी इन मीडिया संस्थानों ने पायलटों को ही को दोषी ठहराने की कोशिश की।

इस कड़ी में FAA की वह नोटिफिकेशन भी सामने आई थी जिसमे बोइंग को क्लीन चिट दी गई। अब इसी कहानी के अंतिम अध्याय में पायलटों को दोषी ठहराते हुए कैप्टन सुमीत सभरवाल को फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने का दोषी बता दिया गया है। यह सब तब हो रहा है जब AAIB ने स्वयं कहा है कि इस हादसे की जाँच अभी पूरी नहीं हुई है और जो भी रिपोर्ट सामने आई है वह प्रारम्भिक है। लेकिन बोइंग को क्लीन चिट देने के चक्कर में एक के बाद एक ऐसी पायलटों की गलती को लेकर रिपोर्ट्स गढ़ी जा रही हैं।
सरकार, एक्सपर्ट, पायलट… सभी ने खारिज किए दावे
WSJ समेत बाकी देसी-विदेशी मीडिया संस्थानों की बोइंग को बचाने की कोशिश हालाँकि ना ही पायलटों की यूनियन को रास आई है और ना ही भारत सरकार इस मामले में अधपकी बातों पर विश्वास करने को तैयार है। यहाँ तक कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ तक हवा में तीर चलाने की इन कोशिशों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं और खारिज कर दे रहे हैं। इस रिपोर्ट पर सरकार ने कैप्टन सुमीत सभरवाल को कटघरे में खड़े करने से इनकार कर दिया है।
NEWS18 इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने WSJ रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि कॉकपिट में रिकॉर्ड हुई आवाज के आधार पर कैप्टन सभरवाल को दोषी ठहराया जाना ठीक है। सरकार ने कहा है कि दोनों पायलटों की बातचीत को तोड़-मरोड़ का पेश किया जा रहा है। यह भी सरकारी सूत्रों ने कहा है कि कैप्टन सभरवाल तनाव में थे इसका कोई सबूत नहीं है और उनके पिता तक नागरिक उड्डयन मंत्रालय से रिटायर हुए थे।
इसी तरह भारतीय पायलट फेडरेशन (FIP) के मुखिया कैप्टन CS रंधावा ने कैप्टन सभरवाल को दोषी ठहराने की रिपोर्ट्स खारिज कर दी हैं। उन्होंने कहा है कि अब तक AAIB और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह नहीं कहा है कि हादसे का कारण कैप्टन सुमीत सभरवाल थे। उन्होंने कहा कि इस मामले में ANA NH985 फ्लाइट को याद किया जाना चाहिए, जिसमें पायलट के बिना कुछ किए ही फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद हो गए थे।
#WATCH | Mumbai: On Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) preliminary report on the Air India plane crash, Captain CS Randhawa, President of the Federation of Indian Pilots (FIP), says, "Neither the report nor the Civil Aviation Minister has said that it was pilot… pic.twitter.com/ZKx4CNLAjv
— ANI (@ANI) July 17, 2025
FIP मुखिया कैप्टन रंधावा ने कहा है कि यह घटना भी वैसी ही गड़बड़ का दोहराव है। उन्होंने बोइंग पर भी प्रश्न उठाए है कि उसने अभी तक इस मामले में ना कोई एक्शन लिया है और ना ही कोई सलाह जारी की है। कैप्टन रंधावा ने जाँच समिति में अनुभवी पायलटों को शामिल किए जाने की माँग की है। उन्होंने इस समिति में पायलटों के साथ ही हादसे वाले विमान मॉडल के अनुभवी इंजीनियर्स को भी जाँच में शामिल करने की अपील केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से की है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मैरी शिवाओ ने भी यह मानने से इनकार किया है कि कैप्टन सभरवाल ने फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद किए थे। उन्होंने कहा कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई भी सबूत मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा, CVR में मौजूद आवाज़ों, शब्दों और ध्वनियों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाना चाहिए। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पायलट के आत्महत्या या हत्या का संकेत मिले। CVR की पूरी कॉपी जल्द से जल्द जारी की जानी चाहिए ताकि उलटी सीधी व्याख्या से बचा जा सके।
मैरी शिवाओ ने भी 2019 के ही ANA एयरलाइन घटना का जिक्र किया है। शिवाओ अमेरिका में कई विमान हादसों को लेकर जाँच में शामिल रही हैं और वह अमेरिकी ट्रांसपोर्ट बोर्ड की मुखिया रही हैं जो अमेरिका में विमान हादसों की जाँच करता है। शिवाओ के अलावा हवाई यातायात से जुड़े तमाम लोग पायलट को दोषी ठहराने की थ्योरी को खारिज कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी मीडिया लगातार ऐसी खबरें छाप रहा है। ऐसे में बोइंग को बचाने की साजिश के प्रश्न उठे हैं।
क्यों नहीं पचती कैप्टन सभरवाल की गलती की बात
WSJ समेत बाकी मीडिया संस्थान भले ही कैप्टन सुमीत सभरवाल को इस हादसे का दोषी मान चुके हों लेकिन यह दावे गले नहीं उतरते। सरकार और विशेषज्ञों के खारिज करने के अलावा सामान्य तौर पर यह बात गले नहीं उतरती है। जिन कैप्टन सभरवाल को इस हादसे का दोषी बताया जा रहा है वह तीन दशक से विमान उड़ा रहे थे। 54 वर्षीय कैप्टन सुमीत सभरवाल 8000 घंटों से अधिक विमान उड़ा चुके थे। उनका एक हँसता खेलता परिवार है।

ना ही अनुभव के हिसाब से उनमें कोई कमी थी और ना ही वह मानसिक तौर पर अस्थिर व्यक्ति थे। ऐसे में उनके जानबूझ कर विमान को क्रैश करने की थ्योरी कहीं नहीं टिकती। जिस कॉकपिट की आवाज के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया बता जा रहा है, उसी में उन्होंने स्पष्ट तौर पर फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने से इनकार किया है। इसके अलावा उनकी आत्महत्या के कथित दावे भी हवा हवाई दिखाई पड़ते हैं। क्योंकि अगर उन्हें जानबूझ कर ही विमान क्रैश करना होता तो वह उसे टेकऑफ के तुरंत बाद ही क्यों गिराते।
वर्ष 1999 में इसी तरह इजिप्ट एयर का एक विमान अटलांटिक महासागर में जाकर क्रैश हो गया था। फ्लाइट 990 नाम से जाने वाली यह फ्लाइट अमेरिकी शहर लॉस एंजिल्स से मिस्र की राजधानी काहिरा जा रही थी। यह बोइंग का 767-300ER विमान था। इस हादसे में 217 लोग मारे गए थे। जाँच में सामने आया था कि इसके पायलट गमील अल बतूती ने जान बूझ कर यह विमान महासागर में क्रैश कर दिया था। इस हादसे की जाँच में सामने आया था कि बतूती ने फ्लाइट के कंट्रोल गड़बड़ किए, जिससे हादसा हुआ।

इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि पायलट ने तब तक इन्तजार किया जब तक किसी के बचने की संभावना शून्य ना हो जाए और फिर विमान को क्रैश हो जाए। यहाँ कैप्टन सुमीत सभरवाल ने ऐसा कोई कृत्य नहीं किया। ना ही जाँच में यह बात सामने आई है। दूसरी बात फ्यूल कंट्रोल स्विच से जुड़ी है। हादसे के बाद कई विशेषज्ञों ने बताया है कि धोखे से हाथ लगने पर कंट्रोल स्विच बंद या चालू नहीं हो सकते, क्योंकि यह इस तरह डिजाइन किए गए हैं।
2019 का हादसा तकनीकी गड़बड़ी का कर रहा इशारा
पायलटों के ऊपर पूरा दोष मढ़ रहे मीडिया और बाकी लोगों को 2019 का ANA एयर का इंसिडेंट भी याद करना चाहिए, जिसकी बात लगातार कई विशेषज्ञ कर रहे हैं। दरअसल, 2019 में आल निप्पन एयरवेज (ANA) का एक 787 ड्रीमलाइनर जापान की राजधानी टोक्यो से ओसाका शहर को जा रहा था। लैंडिंग के कुछ ही सेकंड्स पहले इसके भी फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद हो गए थे। इसमें पायलटों का कोई हस्तक्षेप नहीं था और जाँच में सामने आया था कि यह घटना एक सॉफ्टवेयर फेलियर थी।
एअर इंडिया हादसा भी कुछ-कुछ वैसा ही है। हालाँकि, अभी जाँच पूरी नहीं हुई है और यह सामने नहीं आया है कि क्या यहाँ भी तकनीकी खराबी के चलते AI171 फ्लाइट के इंजनों की सप्लाई बंद हो गई। यह कोई बात सामने आए, इससे पहले ही कैप्टन सुमीत सभरवाल के रूप में एक कुर्बानी का बकरा ढूंढ लिया गया है और उसी पर दोष डाल कर बोइंग को बचाने का प्रयास चल रहा है। बोइंग को सीधे तौर पर पायलट को दोषी बताए जाने वाली रिपोर्ट्स से फायदा भी हो रहा है।
बोइंग के शेयर पर रिपोर्ट्स का सीधा फायदा
अहमदाबाद में विमान हादसे, इसकी जाँच और इससे जुड़ी रिपोर्ट्स का सीधा असर बोइंग के शेयर पर दिख रहा है। जब 12 जून, 2025 को हादसा हुआ था तो बोइंग के शेयर ने तेज गोता लगाया था। हादसे के दौरान जिस बोइंग का शेयर $215 से गोता लगाते हुए सीधे तौर पर $198 तक आ गया था। लगभग 7%-8% की यह गिरावट बोइंग के लिए एक बड़ा झटका थी। हालाँकि, इसके बाद जैसे ही बोइंग हादसा मामले में पायलटों पर दोष मढ़ा जाना चालू हुआ, इसका शेयर वापस चढ़ने लगा।

WSJ की हालिया रिपोर्ट सामने आने के बाद यह शेयर $229 तक चढ़ चुका है। यह एक वर्ष में इसका उच्चतम स्तर है। यानी अमेरिकी अखबारों में आई इन खबरों का सीधा फायदा बोइंग को वित्तीय मोर्चे पर है। इस एंगल से देखने पर स्पष्ट नजर आता है कि बोइंग के इस हादसे में पाक साफ़ निकलने का सीधा कारण क्या है। यह कोई नई बात नहीं है कि बोइंग अपने वित्तीय फायदे के लिए पायलटों को दोषी बताए, इससे पहले 2019 में भी यही कहानी हो चुकी है। इसलिए फिर से इसके होने पर कोई आश्चर्य नहीं होता।