पाकिस्तान में मीडिया की हालत बद से बदतर होती जा रही है और वहाँ पत्रकारों पर शिकंजा कसना कोई नई बात नहीं है। इस बार पाकिस्तान ने अपने पत्रकार असद अली तूर को इस्लामाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने से रोक दिया। असद कुछ दिनों पहले तोता खरीद को लेकर चर्चा में आए थे, जब तोता खरीदने के बाद इनके बैंक अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया था।
असद अली तूर इस्लामाबाद से अमेरिकी विदेश मंत्रालय के 12 दिवसीय इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम (IVLP) में भाग लेने के लिए वॉशिंगटन जा रहे थे। इमिग्रेशन अधिकारियों ने तूर ने कहा कि उनका नाम पाकिस्तान की प्रोविजनल नेशनल आइडेंटिफिकेशन लिस्ट (PNIL) में है। पाकिस्तान में इस लिस्ट में शामिल लोगों को कुछ समय तक विदेश यात्रा से रोक दिया जाता है।
तूर ने पाकिस्तानी सरकार को घेरा
तूर ने शनिवार (9 अगस्त 2025) को एक्स पर एक पोस्ट में पाकिस्तानी सरकार की आलोचना की है। तूर ने लिखा, “मैंने बार-बार PNIL में अपना नाम जोड़ने का कारण पूछा लेकिन अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था।”
तूर ने कहा, “पाकिस्तान में पत्रकारिता और सत्ता के सामने सच बोलना अपराध माना जाता है। हाँ, मैंने यह अपराध किया है और मैं यह अपराध दोहराता रहूँगा। एक पत्रकार को रोकना इस ‘हाइब्रिड’ शासन की एक और उपलब्धि है, जिसके शासन में पाकिस्तान विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 152वें स्थान से 6 अंक गिरकर 158वें स्थान पर आ गया है।”
पाकिस्तान मानवाधिकार परिषद (HRCP) ने तूर को विदेश जाने से रोके जाने की निंदा की हैं और पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने की माँग की है।
तूर की एक्स प्रोफाइल से पता चलता है कि वह ब्लूचिस्तान के गायब हुए लोगों को लेकर प्रदर्शन करने वालों का समर्थन कर रहे थे। तूर ने कई पोस्ट में पाकिस्तान की सरकार पर सवाल भी उठाए थे।

पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में शामिल पाकिस्तान
रिपोटर्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा जारी 2025 के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पाकिस्तान 180 देशों की सूची में 158वें नंबर पर है। RSF ने अपनी प्रोफाइल में कहा है कि पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है और जहाँ हर साल कई पत्रकारों की हत्याएँ होती हैं।
अगर कोई पाकिस्तानी पत्रकार वहाँ की सेना के नियमों के खिलाफ जाता है तो उसके अपहरण होने, कई वर्षों तक जेल में रहने का खतरा बना रहता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI किसी भी आलोचना करने वाले को ‘चुप’ करा देती है। पत्रकारिता की सुरक्षा की आड़ लेकर पाकिस्तानी कानून का उपयोग सरकार और सेना की किसी भी आलोचना को सेंसर करने के लिए किया जाता है।
पाकिस्तान में मुश्किल होती पत्रकारिता
पाकिस्तान में पत्रकारों के लिए स्थितियाँ मुश्किल होती जा रही हैं। सरकार से सवाल करने वाले पत्रकारों पर हमले किए जाने का लंबा इतिहास है। हामिद मीर जैसे कई पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता के लिए निशाना बनाया गया है। 2025 के शुरुआत में आई HRCP की रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान में स्वतंत्र पत्रकारिता के पक्षधर मीडिया आउटलेट्स को कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इस रिपोर्ट में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बिगड़ती स्थिति का वर्णन किया गया था।