Site icon sudarshanvahini.com

पाकिस्तान में चारों ओर बगावत का शोर, TTP-BLA-POK में जारी हमले और प्रदर्शन

पाकिस्तान जहाँ अमेरिका की आड़ में अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत दिखने की कोशिश कर रहा है, वहीं मुल्क में अंतर्कलह चरम पर है। एकतरफ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) रोज पाकिस्तानी फौजियों को मार रही है तो दूसरी तरफ POK में जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर है। उधर बलूचिस्तान तो कब से पाकिस्तान के झूठे ‘एकता’ के दावे का मजाक उड़ाता आ रहा है, जहाँ लोग खुलेआम कहते हैं कि उन्हें इस फौजी हुकूमत से आजादी चाहिए।

TTP का पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंकने का मकसद

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने विस्फोटक हमला किया। हमलावरों ने पहले सड़क किनारे बम (IED) विस्फोट किया और फिर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें 11 पाकिस्तानी सुरक्षाबलों की मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि TTP का ये हमला खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी एयरफोर्स द्वारा गिराए गए बम की प्रतिक्रिया है। इस हमले में 30 आम लोगों की मौत हुई थी, जिसमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे।

TTP लगातार पाकिस्तान की फौज को निशाना बनाकर हमले कर रहा है। इस संगठन का मकसद मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंककर कट्टर इस्लामी शासन लागू करना है।पाकिस्तान सुरक्षा एजेंसियों के लिए TTP अब एक बड़ा खतरा बन चुका है। संगठन अफगानिस्तान की सीमा के बनाए ठिकानों से हमले करता है। हालाँकि, काबुल ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि अफगान अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं होने देता है।

बावजूद पाकिस्तान लगातार आतंकी हमले के पीछे अफगानिस्तान की करास्तानी और TTP को संरक्षण देने के आरोप रहा है। यह आरोप अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से चल रही तनातनी से जन्मा हैं। दरअसल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,600 किलोमीटर तक सीमा फैली हुई है।

इस सीमा विवाद का मुख्य कारण डूरंड रेखा है, जिसे पाकिस्तान एक अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है जबकि तालिबान इसे एक थोपी हुई और अवैध रेखा मानता है। पाकिस्तान लगातार सीमा पर बाड़ लगाने की कोशिश करता है लेकिन तालिबान लड़ाके इका कड़ा विरोध करते हैं, जिससे तनाव पैदा होता है।

बलोच आर्मी ने जाफर एक्सप्रेस को लगातार बनाया निशाना

हाल ही के कुछ महीनों में जाफर एक्सप्रेस को कई बार निशाना बनाया गया। दो दिन पहले ही मंगलवार (07 अक्टूबर 2025) को बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर बलोच लिबरेशन आर्मी ( BLA) ने हमला किया। सिंध-बलूचिस्तान सीमा पर हुए इस हमले में पटरियों पर विस्फोटक (IED) लगाया गया था, जिसमें कई लोग घायल हुए।

इससे पहले सितंबर 2025 में जाफर एक्सप्रेस का एक कोच उड़ा दिया गया, जिसमें 12 यात्री घायल हुए थे। अगस्त 2025 में भी मस्तुंग जिले में विस्फोटक के चलते ट्रेन के छह डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिसमें 4 लोग घायल हुए थे। उसी महीने कोलपुर के पास निकासी के लिए भेजे गए पायलट इंजन पर गोलीबारी हुई। अलगाववादी BLA ने हमले की जिम्मेदारी ली।

जून 2025 में भी सिंध प्रांत के जकोबाबाद में बम से ट्रेन के 6 कोच पटरी से उतर गए मार्च 2025 में भी BLA ने 400 यात्रियों से भरी ट्रेन को हाइजैक किया। इसमें पाकिस्तानी फौजियों ने 16 बलोच आर्मी के सदस्यों को मार गिराया था।

बलूचिस्तान वो इलाका है जो पाकिस्तान को ईरान और अफगानिस्तान से जोड़ता है। बलूचिस्तान को अलग देश बनाने की माँग होती है। ये पाकिस्तान का सबसे बड़ा हिस्सा है। जहाँ पाकिस्तानी सरकार लगातार अमानवीय व्यवहार कर रही है। पाकिस्तानी फौज की दमनकारी नीति, आर्थिक और सामाजिक शोषण की वजह से बलूचिस्तानी की आजादी की माँग को लेकर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का गठन किया गया। 

1948 में पाकिस्तान ने इस प्रांत को अपने में मिला लिया था। तभी से बलोच आजादी की माँग करते आ रहे हैं। बलोच लोगों का कहना है कि पाकिस्तानी सरकार ने अब तक सिर्फ इस प्रांत को लूटा है और लोगों की उपेक्षा की है। मिनरल्स से भरपूर इस प्रांत में कोयला, सोना, तांबा, गैस की बहुतायत है। फिर भी पाकिस्तान जैसे भिखारी देश का ये सबसे गरीब इलाका है।

POK में प्रदर्शन पर पाकिस्तानी सरकार का ‘दमनकारी रवैया’

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भी इन दिनों बड़े उथल-पुथल से गुजर रहा है। यहाँ सितंबर 2025 के अंत से आम नागरिक पाकिस्तानी सरकार की ‘दमनकारी नीतियों’ के खिलाफ ‘शटर डाउन’ और ‘होल्डिंग हड़ताल’ के तहत सड़क पर उतर आए हैं, जिससे क्षेत्र में इस्लामाबाद की पकड़ हिल गई है।

यहाँ प्रदर्शनकारियों की माँग सिर्फ सुविधाएँ नहीं थीं बल्कि राजनीतिक आत्म-सम्मान और न्याय की भी थी। मगर पाकिस्तानी सरकार का जवाब था बल प्रयोग। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस और सुरक्षाबल प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प पर उतर आए, जिसका नतीजा 12 आम नागरिकों की मौत से चुकाना पड़ा। पूरे इलाके में शट डाउट लगा दिया गया।

व्यापारियों, नागरिक समाज समूहों और कार्यकर्ताओं के गठबंधन के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शनों ने क्षेत्रीय राजधानी मुजफ्फराबाद, रावलकोट, कोटली, ददयाल और नीलम घाटी जैसे प्रमुख शहरों को ठप कर दिया। 4 अक्टूबर 2025 तक, पाकिस्तान सरकार ने प्रदर्शनकारियों के नेताओं के साथ प्रदर्शनों को समाप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। अक्टूबर 2025 की शुरुआत तक आधी रात को विरोध प्रदर्शन और कर्फ्यू की खबरें जारी रहीं।

ये विरोध-प्रदर्शन पिछले चार दशक में POK में हुए सबसे बड़े विद्रोहों में से एक है। ‘कश्मीर हमारा, इसका फैसला हम करेंगे’ और ‘हुक्मरान सुन लो, हम तुम्हारे विनाश हैं’ जैसे नारों ने सीधे तौर पर इस्लामाबाद की नीतियों को निशाना बनाया है।

POK में गाँव-गाँव में महिलाएँ और बच्चे आवाज उठा रहे हैं। यहाँ प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी फौज की गाड़ियों को आग लगा दी और फौजियों को कुछ समय के लिए बंधक बना लिया। यह दिखाता है कि POK में पाकिस्तानी फौज की पकड़ ढीली हो चुकी है।

पाकिस्तान में गृहयुद्ध का माहौल

पाकिस्तान में TTP की हिंसा, बलोच की आजादी की माँग और POK में प्रदर्शन को साथ रखकर देखा जाए तो मुल्क भीतर से सड़ चुका है। पाकिस्तान के पास ना स्थिर सरकार, ना एकजुट फौज और ना ही जनता का भरोसा है। ये पाकिस्तानी सरकार की ‘दमनकारी नीतियों’ का ही नतीजा है। इससे साफ कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में गृहयुद्ध के माहौल हैं।

बावजूद पाकिस्तान विदेशों में जाकर हवाबाजी से बाज नहीं आ रहा है। कभी डोनाल्ड ट्रंप से दोस्ती बढ़ाकर दुनिया में दिखावा कर रहा है। तो कभी संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत पर झूठी रिपोर्टें पेश कर रहा है। लेकिन असलियत अब सबके सामने है। अंदर से पाकिस्तान की हवा निकल चुकी है।

पाकिस्तान की हालत उस सर्कस के जोकर जैसी हो गई है, जो दूसरों को हँसाने के चक्कर में खुद पर ही गिर जाता है। आज पाकिस्तान खुद अपनी ही चालों में फँस चुका है। दुनिया अब समझने लगी है कि यह देश सिर्फ दिखावे की दोस्ती और धमकी की राजनीति जानता है। पाकिस्तान को अब बाहरी दुश्मन की जरूरत नहीं है, उसका असली दुशमन अब वो खुद है।

Source link

Exit mobile version