पाकिस्तान एक बार फिर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में लौट सकता है। इसकी आशंका खुद पाकिस्तान ने जताई है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने मुल्क पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी का डर जाहिर किया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि अगर पाकिस्तान अवैध डिजिटल ट्रांजेक्शन की सही ढंग से व्यवस्थित नहीं करता है तो मुल्क पर FATF की ग्रे सूची में जाने का खतरा बढ़ सकता है। फिलहाल पाकिस्तान में 15 प्रतिशत तक आबादी अवैध डिजिटल ट्रांजेक्शन कर रही है।

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बड़ी मुश्किल से पाकिस्तान 4 साल में FATF की ग्रे लिस्ट से साल 2022 में बाहर हुआ है। इससे पता लगता है कि पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति कितनी कमजोर है और वो अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करने में बार-बार फेल हो जाता है।

वित्त मंत्री ने यह भी कबूल किया कि पाकिस्तान को फिर से अंतर्राष्ट्रीय निगरानी में लाने का खतरा है। इसका मुख्य कारण जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ पाकिस्तान के संबंध हैं।

आतंकियों को डिजिटल वॉलेट से फंडिंग कर रहा पाकिस्तान

पाकिस्तानी वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने FATF के ग्रे लिस्ट में जाने के खतरे को देश की इकोनॉमी से जोड़ने की कोशिश की है लेकिन हकीकत पाकिस्तान द्वारा लगातार की जा रही आतंकियों को फंडिंग है। पाकिस्तान पर कई बार आतंकवादियों को फंडिंग के आरोप लगे हैं, जिससे मुल्क अंतरराष्ट्रीय निगरानी में भी फँस चुका है।

अब इसी FATF की अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचने के लिए पाकिस्तान ने आतंकियों को फंडिंग का नया तरीका अपनाया। अब फंडिंग डिजिटल वॉलेट से शुरू की गई है। अब बैंक खातों से पैसा ट्रांसफर करने से बचा जा रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय संगठनों की निगरानी से बचा जा सके।

कुछ समय पहले खबर आई थी कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में जैश-ए-मोहम्मद के जिस ठिकाने को तबाह किया था, अब उसे दोबारा खड़ा करने की तैयारी चल रही है।इसके लिए आतंकवादी EasyPaisa और SadaPay जैसे पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट्स में 390 करोड़ रुपए जुटाए जा रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 ऐसे वॉलेट मिले थे, जिनका जैश से सीधा संबंध है। एक SadaPay खाता मसूद अजहर के भाई तल्हा अल सैफ (तल्हा गुलजार) के नाम पर था।

भारत लंबे समय से कर रहा माँग

भारत लगातार पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में वापस डालने की माँग कर रहा है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से यह माँग तेज हो गई। भारत ने पाकिस्तान की पोल खोलते हुए बताया था कि उसने वर्ल्ड बैंक और IMF से लिए गए लोन को आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया है।

जून 2025 में FATF प्लेनरी से पहले भारत ने एक डोसियर भी तैयार किया और दुनियाभर के FATF सदस्यों से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल करने के लिए समर्थन जुटाया। लेकिन पाकिस्तान के करीबी दोस्त चीन समेत तुर्की और जापान ने इसका समर्थन नहीं किया था।

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