पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट की बहाली और चुनाव की तारीखों की घोषणा को लेकर चल रहा एक महीने से चल रहा आंदोलन अब और तेज हो गया है। ‘पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा’ ने बुधवार (26 नवंबर 2025) को घोषणा की कि 3 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ और पंजाब भर में BJP दफ़्तरों का घेराव किया जाएगा, क्योंकि अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीनेट चुनाव का शेड्यूल जारी नहीं किया है और न ही बातचीत में किए गए वादों की लिखित पुष्टि दी है।
छात्रों द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन में अब किसान यूनियन सदस्य, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और कई एक्टिविस्ट शामिल हो गए हैं, जिनका विश्वविद्यालय की प्रशासनिक संरचना से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन वे छात्रों के समर्थन के नाम पर धरनों में सक्रिय हैं।
इस बीच केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने आश्वासन दिया है कि सीनेट चुनाव की तारीख जल्द घोषित की जाएगी, लेकिन चुनाव पिछले एक साल से लंबित होने के कारण छात्रों में नाराजगी बनी हुई है।
इसी के तहत छात्रों ने बुधवार (26 नवंबर 2025) को विश्वविद्यालय बंद करने का आह्वान किया और कुलपति कार्यालय के पास विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले 10 नवंबर को गैर-छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जिसमें भीड़ ने विश्वविद्यालय के गेट तोड़ दिए और ट्रैक्टर, ट्रॉलियाँ, यूनियन प्रतिनिधि व राजनीतिक कार्यकर्ता परिसर में घुस आए थे।
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय की दो शीर्ष संस्थाओं ने सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसे विरोध के बाद 7 नवंबर 2025 को वापस ले लिया गया, लेकिन इसके बावजूद छात्र सीनेट चुनाव की घोषणा पर अड़े हुए हैं।
विश्वविद्यालय में सीनेट सर्वोच्च नीति-निर्माण करने वाली संस्था है, जिसमें सौ से अधिक सदस्य शामिल होते हैं, जबकि सिंडिकेट 15–20 सदस्यों वाली कार्यकारी इकाई है, जो सीनेट के फैसलों को लागू करती है। सीनेट चुनाव एक साल से न होने के कारण प्रशासनिक अस्थिरता और छात्रों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।
राजनीतिक दलों ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन को किया हाईजैक
पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा अपनी वैध माँगों को उठाने के लिए शुरू किया गया आंदोलन अब राजनीतिक दलों और बाहरी समूहों के हाथों में चला गया है। प्रदर्शन स्थल पर AAP, कॉन्ग्रेस और शिअद के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल सहित कई नेता पहुँच गए।
किसान यूनियन के बड़े नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल, हरिंदर लखोवाल और इंदरपाल बैन्स ने भी कैंपस में पहुँचकर छात्रों के धरने में भाग लिया। इसके अलावा जेल में बंद सांसद अमृतपाल सिंह के पिता, कुछ ऐतिहासिक कट्टरपंथी व्यक्तियों के परिजन, गैंगस्टर से एक्टिविस्ट बने लखा सिधाना, गायक सतिंदर सरताज और कई अन्य लोग भी विश्वविद्यालय पहुँचे।
इस दौरान प्रदर्शन में ‘चंडीगढ़ पंजाब दा’ और ‘राज करेगा खालसा’ जैसे नारे भी लगाए गए, जिससे आंदोलन का माहौल और ज्यादा राजनीतिक व वैचारिक रंग में रंग गया।













