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पंजाब की यूनिवर्सिटी में पढ़ने गई गोवा की कृष्णा, कश्मीरी सहेलियों ने ब्रेनवॉश कर बना दिया आयशा: फिर दूसरों से कबूल करवाने लगी इस्लाम, आगरा ‘मुस्लिम गैंग’ के लिए जुटाती थी फंड


मुस्लिम ब्रेनवॉश कश्मीरी

पंजाब की यूनिवर्सिटी में गोवा की एक हिंदू लड़की पढ़ने पहुँचती है। यहाँ कश्मीरी छात्राएँ लड़की को इस्लाम कबूलने के लिए ब्रेनवॉश करती हैं। उनसे प्रभावित होकर एसबी कृष्णा अब आयशा बन जाती है। यह कहानी है आगरा से जुड़े धर्मांतरण गिरोह में पकड़ी गई एक लड़की की।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आयशा ने फंडिंग जुटाने के लिए व्हाट्सऐप पर कई ग्रुप बनाए हुए थे। इनके माध्यम से वह प्रभावशाली लोगों से संपर्क में रहती थी। इस प्रक्रिया में आयशा की मदद दिल्ली से पकड़ा गया गैंग का सरगना अब्दुल रहमान करता था। पुलिस पूछताछ में आयशा के बारे में कई खुलासे हुए हैं।

गोवा की हिंदू लड़की का कश्मीरी छात्राओं ने कराया धर्मांतरण

आयशा मूलरूप से गोवा की रहने वाली है। धर्मांतरण से पहले उसका नाम एसबी कृष्णा था। कृष्णा साल 2020 में पंजाब यूनिवर्सिटी में एमएससी डाटा साइंस की पढ़ाई करने आई थी। कॉलेज में उसकी दोस्ती कश्मीर की कुछ छात्राओं से हुई। इन्होने ही कृष्णा का ब्रेनवॉश किया। नमाज पढ़ने और बुर्का पहनने के फायदे गिनाए। धीरे-धीरे कृष्णा इससे प्रभावित होने लगी।

इसके बाद छात्राएँ कृष्णा को अपने साथ कश्मीर ले गईं। यहाँ काफी दिन कृष्णा उनके साथ रही। उधर, कृष्णा के माता-पिता को इसकी जानकारी नहीं थी। बेटी की गुमशुदगी को लेकर परिजनों ने दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज करवाई। काफी दिन बाद कश्मीर में मन ना लगने पर कृष्णा अपने आप दिल्ली वापस लौट आई।

कृष्णा वापस लौटने पर परिजन उसे अपने साथ गोवा ले आए। परिजनों ने उसका मोबाइल भी छीन लिया था। इसके चलते अपने सभी दोस्तों और धर्मांतरण गिरोह में शामिल कुछ लोगों से जिन्हें वह तब जानती थी, उनसे संपर्क टूट गया। लेकिन छह महीने बाद वह फिर भागी और इस बार कोलकाता चली गई।

यहाँ एसबी कृष्णा ने धर्म परिवर्तन कर आयशा नाम रख लिया। कोलकाता से ही आयशा का धर्मांतरण गिरोह से जुड़ाव शुरू हुआ। अब आयशा धर्मांतरण कराने के लिए फंडिंग जुटाने लग गई। इस फंडिंग को धर्मांतरण कराने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

गिरोह में शामिल 6 लोग पहले थे हिन्दू

आयशा जैसे ही 5 अन्य आऱोपितो धर्मांतरण कर गिरोह से जुड़े थे। इन्हें पुलिस ने अलग-अलग राज्यों से गिरफ्तार किया है। जयपुर से गिरफ्तार मोहम्मद अली पहले पियूष पँवार था। मुस्लिम युवती से प्यार में पढ़कर उसने इस्लाम कबूला।

लेकिन कुछ समय बाद युवती उसे छोड़कर चली गई। इसके बाद कलीम सिद्दीकी की मदद से PFI संगठन से जुड़ गया। संगठन के लिए काम करते हुए वह कोलकाता में दीन की तालीम देने लगा। यहाँ गिरोह की सदस्य आयशा से मिला। आयशा से फंडिंग लेकर धर्म परिवर्तन के काम में लग गया।

आरोपित में से एक मोहम्मद इब्राहिम भी पहले रीथ बनिक था। इब्राहिम ने ही आगरा की दोनों बहनों का कोलकाता पहुँचने का इंतजाम कराया था। गैंग का सरगना फिरोजाबाद निवासी अब्दुल रहमान ने भी धर्म परिवर्तन कराया था। इस्लाम कबूलने से पहले उसका नाम महेंद्र पाल जादौन था।

कलीम सिद्दीकी चलाता था गिरोह

धर्मांतरण गिरोह चलाने वाला अब्दुल रहमान है, जिसे दिल्ली के मुस्तफाबाद से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में सामने आया कि रहमान भी असली मास्टरमाइंड नहीं है। रहमान खुद जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मौलाना कलीम सिद्दीकी के लिए काम कर रहा था।

UPATS ने सिद्दी को साल 2021 में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तार किया था। 2024 में सिद्दीकी और उसके 11 साथियों को उम्रकैद की सजा मिली। तब से वह रहमान के माध्यम से अपनी एक्टिविटी चलाई हुई है।

मुजाहिदा बनने को तैयार थी आगरा की लड़की

कोलकाता से बचाई गई आगरा की दो सगी बहनों का भी धर्मांतरण करा दिया गया था। उन्हें सलफी मुस्लिमों की तरह ब्रेनवॉश किया गया था। दोनों में से एक बहन तो इस कदर ब्रेनवॉश हुई कि वह मुजाहिदा (कुर्बान होने को तैयार) तक बन गई थी। वह बरामद होने के बाद भी घर तक नहीं जाना चाहती थी।

वहीं, गिरोह में शामिल मोहम्मद इब्राहिम ने पुलिस को बताया कि हिंदू युवतियों को मुगल शासन की कहानियाँ सुनाई जाती थी। मुस्लिम शासकों के भारत पर राज की वीडियो दिखाई जाती थी। इससे सिर्फ लड़कियाँ धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि कुर्बान तक होने को तैयार हो जाती थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस को बहनों का धर्मांतरण कराने वाली आयशा के फोन से कुछ वीडियो भी बरामद हुए हैं। एक वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं और वॉयसओवर में एक इस्लामी कट्टरपंथी कह रहा है- “बहुत बन गए सोमनाथ में मंदिर… अब टूटने चाहिए।”

वहीं, पुलिस ने बताया कि कोलकाता में जब बहनों को बचाने के लिए पुलिस पहुँची, तो उन्होंने हिजाब पहना हुआ था। पुलिस को देखते ही वह छिप गईं और वापस लौटने से इनकार कर दिया। बहनों का कहना था कि उन्हें मकसद मिल गया है। महिला पुलिस ने बहनों की काउंसलिंग की और उन्हें सुरक्षित वापस आगरा लाया गया।

पुलिस को बहनों की सोशल मीडिया ID पर AK-47 के साथ तस्वीरें मिली। जाँच एजेंसी ने बहनों को ISIS मॉड्यूल में इस्तेमाल होने का शक जताया है। सोशल मीडिया पर उनका गैंग के सरगना अब्दुल रहमान से भी लंबी-लंबी चैट्स मिली हैं।

बातचीत में बहनों को इस्लाम के लिए मरने और मारने के लिए तैयार किया जा रहा था। इन सभी चैट्स को आरोपितों के खिलाफ तैयार हो रही केस डायरी में भी शामिल किया गया है।

पुलिस इस मामले में लगातार जाँच कर रही है और पीड़ितों को पहचानने का प्रयास कर रही है।

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