भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार (17 अगस्त 2025) को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर खुलकर बात की। उन्होंने साफ कहा कि चुनाव आयोग किसी भी राजनीतिक दल के साथ पक्षपात नहीं करता। उनके लिए न कोई पक्ष है, न विपक्ष, बल्कि सभी दल और मतदाता बराबर हैं। यह बयान कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों के जवाब में आया, जिसे आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में SIR का काम पूरी पारदर्शिता के साथ हो रहा है। इस प्रक्रिया में 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) ने मतदाता सूची का मसौदा तैयार किया है। इस मसौदे को सभी राजनीतिक दलों के एजेंट्स ने अपने हस्ताक्षरों से सत्यापित किया है। मतदाताओं ने इस दौरान 28,370 दावे और आपत्तियाँ दर्ज की हैं। आयोग ने गलतियों को ठीक करने के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक का समय दिया है।
#WATCH | Delhi: Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar says, "…SIR has been started in Bihar. 1.6 lakh Booth Level Agents(BLA) have prepared a draft list…As this draft list was being prepared in every booth, the Booth Level Agents of all political parties verified it with… pic.twitter.com/Y8bRTprCQH
— ANI (@ANI) August 17, 2025
सीईसी ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि कुछ राजनीतिक दलों के जिला स्तर के अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित एजेंट्स के सत्यापित दस्तावेज या तो उनके राष्ट्रीय नेताओं तक नहीं पहुँच रहे या फिर जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मसला है। अगर कोई शिकायत है, तो आयोग के दरवाजे हमेशा खुले हैं। लेकिन ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करना संविधान का अपमान है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी बताया कि कुछ नेताओं ने बिना सबूत के दोहरे मतदान के आरोप लगाए। जब उनसे सबूत माँगे गए, तो कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने सवाल उठाया कि जब लोकसभा चुनाव में एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट्स और 20 लाख से ज्यादा पोलिंग एजेंट्स पारदर्शी तरीके से काम करते हैं, तो क्या कोई वोट चुरा सकता है?
ज्ञानेश कुमार ने यह भी कहा कि कुछ समय पहले कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी सहमति के मीडिया में दिखाई गईं। उन्होंने पूछा, “क्या चुनाव आयोग को माताओं, बहनों, बेटियों के सीसीटीवी वीडियो सार्वजनिक करने चाहिए?” उन्होंने साफ किया कि मतदाता सूची में जिनके नाम हैं, वही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।
बिहार में SIR के तहत 7.89 करोड़ लोगों का सत्यापन हुआ, जिसमें से 7.24 करोड़ फॉर्म 30 दिन के भीतर वापस मिले। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि नेपाली और बांग्लादेशी नागरिक भारत में सांसद या विधायक का चुनाव नहीं कर सकते। 30 सितंबर तक ऐसे लोगों की गहन जाँच होगी और इस दौरान उनका वोट काट दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल में SIR की घोषणा जल्द होगी, और बाकी देश में भी यह प्रक्रिया चलेगी।
उन्होंने कहा कि शिकायत करना, शिकायत को बढ़ाना और भ्रम फैलाना, ये तीन अलग-अलग चीजें हैं। अगर 45 दिन तक कोई गलती नहीं दिखी, तो अब आरोप लगाने का क्या मतलब? जनता सब समझती है। SIR का मकसद मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध करना है, ताकि कोई गलत व्यक्ति वोट न डाल सके।
ज्ञानेश कुमार ने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग निडर होकर काम करता है। यह गरीब, अमीर, युवा, बुजुर्ग, महिला और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है। उन्होंने कहा कि आयोग का काम संविधान के तहत हर भारतीय नागरिक को वोट देने का हक देना है। सभी राजनीतिक दलों का पंजीकरण भी आयोग के पास होता है, फिर भेदभाव का सवाल ही नहीं उठता।
मुख्य चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि बिहार में SIR की प्रक्रिया में सभी हितधारक मिलकर काम कर रहे हैं। बूथ स्तर पर मतदाता, अधिकारी और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि पारदर्शी तरीके से सत्यापन कर रहे हैं। कई जगह वीडियो प्रशंसापत्र भी दिए जा रहे हैं। आयोग का मकसद है कि मतदाता सूची में कोई गलती न रहे और हर पात्र व्यक्ति को वोट देने का मौका मिले।
चुनाव आयोग के प्रेस कॉन्फ्रेंस की अहम बातें
- चुनाव आयोग के लिए न कोई पक्ष है, न कोई विपक्ष है। चुनाव आयोग के लिए सब समकक्ष हैं
- सभी राजनीतिक दलों ने बिहार SIR में 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स ने हस्ताक्षर किए हैं
- मतदाताओं ने 28 हजार क्लेम और ऑब्जेक्शन दिए हैं
- चुनाव आयोग त्रुटियों को हटाने के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर का समय दिया
- यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्ष और एजेंट के हस्ताक्षर किए हुए कागज राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक पहुँच नहीं पा रहे हैं या भ्रम फैलाने का प्रयास हो रहे है
- वोट चोरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह किया जाए तो यह संविधान का अपमान है
- हमने बीते दिनों देखा कि कई मतदाताओं की फोटो बिना उनकी सहमति के बिना मीडिया में रखी गई
- क्या चुनाव आयोग को माताओं बेटियों की वीडियो साझा करनी चाहिए क्या?
- कुछ मतदाताओं द्वारा दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए, साक्ष्य नहीं दिया गया। इनसे चुनाव आयोग नहीं डरता है
- चुनाव आयोग निडरता के साथ सभी वर्ग के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है, खड़ा रहेगा
- बिहार में 7.89 करोड़ लोगों का SIR हुआ। 7.24 करोड़ फॉर्म वापस मिले 30 दिन के अंदर
- नेपाली बांग्लादेशी भारत के MP MLA का चुनाव नहीं कर सकते।
- 30 सितंबर तक नेपाली-बांग्लादेशी नागरिकों की जाँच होगी, गहन जाँच प्रक्रिया के दौरान उनका वोट काट दिया जाएगा।
- पश्चिम बंगाल में SIR का ऐलान आने वाले समय में उचित समय पर लिया जाएगा। बाकी देश में भी होगा।
- एक होता है, शिकायत करना, एक होता है शिकायत बढ़ाना और एक होता है भ्रम फैलाना।
- जब चुनाव के 45 दिन के बाद कोई गलती नजर नहीं आई, तो अब आरोप लगाने का मतलब क्या यह पूरे देश की जनता समझती है
- SIR का काम वोटर लिस्ट को पूरी तरह से प्यूरीफाई करना है।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज्ञानेश कुमार ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना ठीक नहीं। जब सात करोड़ से ज्यादा मतदाता आयोग के साथ हैं, तो उसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने नेताओं से अपील की कि वे बिना सबूत के आरोप न लगाएँ और अगर कोई शिकायत है, तो कोर्ट में याचिका दायर करें।