नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए भीषण विरोध प्रदर्शनों के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं। शनिवार (13 सितंबर 2025) को कर्फ्यू भी हटा दिया गया और अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की के शपथ लेने के बाद काठमांडू में जिंदगी सामान्य पटरी पर लौटती दिखाई दी। दुकानों, बाजारों और सड़कों पर फिर से हलचल शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में हुई हिंसा के कारण सेना को सड़कों पर तैनात किया गया था लेकिन अब सेना की मौजूदगी कम की जा रही है। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री कार्यालय को आग लगाई गई और सरकार गिरा दी गई। लेकिन अब युवाओं ने सड़कों और डिवाइडरों की रंगाई-पुताई तक खुद से करना आरंभ कर दिया है।
यह विरोध 2008 में गृहयुद्ध और राजशाही के अंत के बाद से सबसे बड़ा बताया जा रहा है। इसमें अब तक कम से कम 51 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें एक भारतीय नागरिक और तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
शुक्रवार (12 सितंबर 2025) की शाम, 73 वर्षीय पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें एक अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है, जिनका मुख्य काम है शांति बहाल करना और जनता की माँगों, जैसे भ्रष्टाचार खत्म करना और जवाबदेह शासन स्थापित करना, को पूरा करना।
उनकी नियुक्ति को जनता और खासकर युवाओं का बड़ा समर्थन मिला है। हजारों युवा कार्यकर्ताओं ने Discord ऐप पर चर्चा की और कार्की को अगला नेता चुना। सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने मिलकर इस नियुक्ति को अंतिम रूप दिया।
कई लोगों को कार्की से बदलाव की उम्मीद है। सामाजिक कार्यकर्ता सुरज भट्टाराई ने कहा, “नेपाल को उसकी पहली महिला प्रधानमंत्री मिल गई है। हमें भरोसा है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाएँगी।”
इसी तरह काठमांडू की एक दुकानदार दुर्गा मगर ने कहा, “चाहे Gen Z हो या कोई और, अब यह सब रुकना चाहिए। जो भी बदलाव लाए, बस देश में शांति चाहिए।” हालाँकि, भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना आसान नहीं होगा। सुरक्षा की दृष्टि से भी चुनौती बड़ी है, क्योंकि हिंसा के दौरान करीब 12,500 कैदी जेल से फरार हो गए हैं।
सरकार ने शनिवार (13 सितंबर) को कर्फ्यू हटाने और राहत के कदम उठाने की घोषणा की। सरकारी इमारतों की सफाई और मरम्मत का काम शुरू हो गया है, जिन्हें हाल ही में प्रदर्शनकारियों ने जला दिया था।
सबसे ज्यादा नुकसान काठमांडू के हिल्टन होटल को हुआ है, जिसे 8 अरब से ज्यादा की क्षति पहुँची है। इसके अलावा नेपाल सरकार ने विदेशी नागरिकों की मदद के लिए अस्थायी उपाय किए हैं, जो कर्फ्यू के चलते नेपाल में फँसे हुए थे।