बांग्लादेश एएसएच फाउंडेशन मस्जिद

दक्षिण एशिया में भारत के अलावा नेपाल ही एकमात्र हिंदू-बहुल देश है। यहाँ की कुल जनसंख्या में लगभग 81% यानी लगभग 2.36 करोड़ (2021 के डाटा के अनुसार) लोग हिंदू हैं। वहीं, मुस्लिम आबादी करीब 5% है।

लेकिन अब नेपाल में धार्मिक जनसंख्या को बदलने की एक संगठित कोशिश की जा रही है। बांग्लादेश के मुस्लिम संगठन नेपाल में धार्मिक जनसांख्यिकी को बदलने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। यह सब ‘मानवता की सेवा’ के नाम पर बहुत चतुराई से किया जा रहा है।

नेपाल में एएसएच की पहली मस्जिद की आधारशिला रखते हुए (फाइल फोटो,साभार – दैनिक अभिविन्यास,बांग्ला )

‘अलहाज शम्सुल हक फाउंडेशन’ (ASH) नामक एक बांग्लादेशी संगठन इस लक्ष्य पर मिशन मोड में काम कर रहा है।

मोहम्मद नासिर उद्दीन द्वारा स्थापित ASH फाउंडेशन नाम की यह संस्था बांग्लादेश के चटगाँव से संचालित होती है। यह संस्था बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन और मिस्र में भी काम करती है। हालाँकि ASH फाउंडेशन का दावा है कि इसका उद्देश्य भूख और गरीबी मिटाना है, लेकिन असल में इसके काम इस्लाम के प्रचार (तबलीग़) और धर्म परिवर्तन से जुड़े हुए हैं।

(फाइल फोटो,साभार – दैनिक अभिविन्यास,बांग्ला )

हाल ही में मोहम्मद नासिर उद्दीन ने नेपाल के सुनसरी जिले में ‘मस्जिद-ए-रज़्ज़ाक़’ की नींव रखी। इसके लिए उसने बांग्लादेश से फंड जुटाया। शुक्रवार (25 जुलाई 2025) को फेसबुक पर वायरल वीडियो में उसने कहा, “नेपाल में केवल 5% मुस्लिम हैं। यहाँ दावत (इस्लामी धर्मांतरण) का अवसर है।”

18 जुलाई को एक फेसबुक पोस्ट में ASH फाउंडेशन ने बताया कि यह मस्जिद कम से कम 15% आबादी तक इस्लाम का संदेश पहुँचाने का केंद्र बनेगी। इसने बैंक खातों का विवरण भी जारी किया और बांग्लादेशियों से दान माँगा ताकि वे हिंदू बहुल देश में और अधिक मस्जिदें बनाने और स्थानीय आबादी का धर्म परिवर्तन करने के अपने मिशन में योगदान दे सकें।

ASH के संस्थापक मुहम्मद नासिर उद्दीन ने स्थानीय मुस्लिमों के साथ बातचीत के दौरान अपने नापाक एजेंडे का खुलासा किया। उसने कहा, “नेपाल दुनिया के सबसे बड़े हिंदू राष्ट्रों में से एक है, इसलिए दावत का आयोजन बेहद जरूरी है। हमारे धर्म के सबसे बड़े सिद्धांतों में से एक है लोगों को अल्लाह के मार्ग पर चलने का न्योता देना।” 

संस्था का काम करने का तरीका-

1. हिंदुओं की सहनशीलता की तारीफ करके उनका विश्वास जीतना।

2. बांग्लादेश के मुस्लिमों से चंदा इकट्ठा करना।

3. उसी पैसे से मस्जिदें बनाना और गरीब हिंदुओं को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करना।

नेपाल के कुछ हिंदू संगठनों ने सरकार और पुलिस को इसके लिए सचेत किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

हिंदू बहुल नेपाल में बढ़ता इस्लामवाद

ऑपइंडिया ने नेपाल में मूल हिंदुओं के प्रति मुस्लिम समुदाय की बढ़ती दुश्मनी के कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। अप्रैल 2025 में नेपाल के परसा जिले के बीरगंज शहर में हिंसक मुस्लिम भीड़ ने हनुमान जयंती के जुलूस पर हमला किया था।

जुलाई 2024 में मुस्लिमों ने नेपाल के सरलाही जिले में सड़क निर्माण कार्य रोक कर उन पर पथराव किया था और दलित हिंदुओं के घरों पर भी हमला किया था।

एक महीने पहले हिंदू बहुल यह देश तब भी चर्चा में आया था जब मुस्लिमों ने रौतहट जिले में एक गाँव का नाम बदलकर ‘इस्लाम नगर’ और ‘ब्रह्म स्थान’ का नाम बदलकर ‘मदरसा चौक’ कर दिया था।

ब्रह्मस्थान को मदरसा चौक में बदला गया (फाइल फोटो – ऑपइंडिया)

ऑपइंडिया ने एक जमीन जिहाद मामले की भी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसमें बताया था कि मुस्लिमों ने सरकारी जमीन पर नमाज पढ़कर और अवैध रूप से दीवार बनाकर कब्जा करने की कोशिश की थी। यह घटना नेपाल के जनकपुर शहर में हुई थी। सितंबर 2022 की शुरुआत में ही हमने देश के पूर्व हिंदू क्षेत्रों में मस्जिदों और मदरसों और मदरसों की बढ़ती संख्या के बारे में चेतावनी दी थी।

नेपाल में ASH फाउंडेशन जैसे बांग्लादेशी मुस्लिम संगठनों की बढ़ती उपस्थिति के कारण, धर्मांतरण और हिंदू समुदाय के प्रति आक्रामकता बढ़ने की संभावना है।



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