द केरल स्टोरी जितेश पिल्लाई

71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को दो सम्मान मिले हैं। सुदिप्तो सेन को सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर और प्रसांतनु मोहपात्रा को सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफर का पुरस्कार दिया गया है। फ़िल्मी दुनिया में सम्मान के प्रतिमान माने जाने वाले यह पुरस्कार एक तय प्रक्रिया के तहत सरकार देती है।

द केरल स्टोरी को मिले इन सम्मानों पर लेकिन अब कुछ लोग परेशान हो गए हैं। ‘द केरल स्टोरी’ को मिले इन सम्मानों पर फिल्मी चेहरे और पत्रकार सवाल उठा रहे हैं। यह वही लोग हैं जो खुद दर्जन के भाव से पुरस्कार बाँटते हैं और इनकी सच्चाई भी सबको पता है।

अब फिल्मफेयर मैगजीन के एडिटर जितेश पिल्लई ने ‘द केरल स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार के जूरी सदस्य आशुतोष गोवारिकर की आलोचना की है। जितेश पिल्लाई ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर प्रलाप किया है।

इंस्टाग्राम पर जितेश पिल्लाई ने इसको लेकर लिखा, “एक खतरनाक फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार देकर राष्ट्रीय पुरस्कार के जूरी ने गलत संकेत दिए हैं। चलिए एक पल के लिए फिल्म के शातिर प्रचार और इसकी झूठी कहानी को भूल जाइए… यह अब तक बनी सबसे घटिया फिल्मों में से एक है- इसकी स्क्रिप्ट सबसे घटिया ढंग से लिखी गई है, इसमें एक्टिंग बेहद खराब है, फोटोग्राफी बेहद घटिया है और निर्देशन भी बेढंगे तरीके से किया गया है।”

उन्होंने आगे लिखा, “क्या जूरी के अध्यक्ष आशुतोष गोवारिकर को सिनेमाटोग्राफी की इतनी गंदी समझ है कि वह ऐसी फिल्म को पुरस्कार देते हैं और जख्म पर नमक छिड़कने के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार भी दिया गया है।”

पिल्लई ने अपना रोना जारी रखते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि इसे चुनने का मापदंड क्या था और किस वर्ष इसका चयन किया गया था? जब हमारे पास कटहल, बलगम, चिता, 12वीं फेल, आत्म, ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट, विदुथलाई और ऐसी ही कई अच्छी फिल्में थीं तो केरल स्टोरी को सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का पुरस्कार नहीं दिया चाहिए था।”

जितेश पिल्लई ने यह भी कहा, “अच्छे सिनेमा के प्रेमियों का सिर शर्म से झुक गया है। यह वाकई अब तक का सबसे बुरा झटका है और सिनेमा की उत्कृष्टता जज करने के लिए बुरा समय है।”

केरल में इस्लामी कट्टरपंथ और जिहाद की सच्चाई पर रोने वाले जितेश पिल्लई खुद फिल्मफेयर नाम के अवॉर्ड शो से जुड़े हैं। सिनेमा की उत्कृष्टता पर जार-जार रोने वाले जितेश पिल्लई का फिल्मफेयर तो बिकता है। और यह कोई हवा-हवाई दावा नहीं है।

इसकी पोल खुद ऋषि कपूर ने साल 2016 में एक इंटरव्यू के दौरान खोल दी थी। जब उन्होंने कहा था कि फिल्म ‘बॉबी’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड खरीदना पढ़ा था। यह बात ऋषि कपूर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में भी लिखी थी।

सिंगर अमाल मलिक तक ने फिल्मफेयर अवॉर्ड शो पर ‘पक्षपात’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि यह अवॉर्ड शो केवल स्टार किड्स यानी हीरो-हीरोइन के बेटे-बेटियों को लॉन्च करने का एक साधन है।

उन्होंने कहा था कि स्टार किड्स को ‘बेस्ट डेब्यू अवार्ड’ देकर बॉलीवुड में नए मौके दिलाए जाते हैं। मलिक ने कहा था कि इससे अक्षय कुमार, रणदीप हुड्डा और दिलजीत दोसांझ जैसे बड़े कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है।

‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ फिल्म के लीड एक्टर अभय देओल ने भी फिल्मफेयर अवॉर्ड को लेकर अपना अनुभव साझा किया था। उन्होंने कहा था कि अवॉर्ड समारोह ने उन्हें इंडस्ट्री में ‘डिमोट’ कर दिया है। वे कहते हैं कि जिंदगी न मिलेगी न दोबारा के लीड एक्टर से अब वे सपोर्टिंग एक्टर बन गए हैं।

ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिस फिल्मफेयर के बल पर पिल्लई द केरल स्टोरी को लेकर रो रहे हैं, वह तो एक बाजारू अवॉर्ड है। एक क्षण को मान लेते हैं कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में हो सकता है चुनाव गलत हो गया हो, लेकिन वहाँ कोई भी पुरस्कार बिकने के लिए नहीं रखा था।

निर्देशन, सिनेमेटोग्राफी और बाकी चीजों को लेकर 2 बीघे की पोस्ट में रोने वाले पिल्लई का असल दर्द है इस फिल्म की विषयवस्तु। यह फिल्म उस जिहादी मानसिकता को पर्दे पर उतारती है, जिसे पिल्लई जैसे लिबरल दबा कर रखना चाहते हैं।

हमेशा ला ला लैंड टाइप की फिल्मों को लेकर ज्ञान बघारने वाले पिल्लई को कडवा सच पचा नहीं है। कोई और शख्स यह बातें करता तो ठीक भी लगता। लेकिन वह शख्स बोल रहा है, जिसका करियर की छत अवॉर्ड बेचने वाली मैगजीन की दीवारों पर खड़ी हैं। विडंबना का इससे अप्रतिम उदाहरण दूसरा शायद ही देखने को मिले।

इस आलोचना में उनका साथ देने वालों का नाम गेस करना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। बस एक बार वह नाम याद कर लीजिए जो हमेशा ही इस्लामी कट्टरपंथ पर चुप रहे हैं। जी! आपने सही समझा, अब उनके साथ ‘पाकिस्तानी प्रेम’ दिखा चुकी एक्ट्रेस दिया मिर्जा और सोनाक्षी सिन्हा भी जुड़ गई हैं।

जितेश पिल्लई की द केरल स्टोरी को राष्ट्रीय पुरस्कार को मिलने पर आलोचना वाली इंस्टाग्राम पोस्ट में कमेंट कर अपनी राय दी है। हालाँकि, इससे यह सच्चाई नहीं बदलती कि द केरल स्टोरी ने उस पहलू को छुआ, जहाँ पर साउथ बॉम्बे के फिल्मकार जाने से भी डरते हैं।



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