केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट के लिए 2 महीने पहले शुरू किए गए UMEED पोर्टल पर अब तक केवल 69 वक्फ निर्माताओं (संपत्ति वक्फ करने वाले) ने अपनी संपत्तियों का डेटा अपलोड किया है।

इस पोर्टल पर सारी वक्फ संपत्तियों का ब्यौरा इसके शुरू होने के 6 महीने के भीतर अपलोड किया जाना है। एक और जहाँ पुराने WAMSI पोर्टल पर 8.72 लाख संपत्तियाँ दर्ज हैं तो नए पोर्टल पर वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के अपलोड करने में हो रही देरी पर अब सवाल उठने लगे हैं।

केवल 663 ने शुरू की डेटा अपलोड करने की प्रक्रिया

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया है कि अब तक सिर्फ 663 वक्फ निर्माताओं ने डेटा अपलोड करने की प्रक्रिया शुरू की है जिसमें सबसे ज्यादा 163 ओडिशा से हैं ।

रिजिजू द्वारा पेश किए गए आँकड़ों के मुताबिक, अब तक 4 संपत्तियों को खारिज किया जा चुका है जिनमें आंध्र प्रदेश की 3 और ओडिशा की एक संपत्ति शामिल है। वहीं, अब तक एक भी अनुमोदनकर्ता के अनुमोदन को स्वीकृत नहीं किया गया है।

कैसे काम करता है UMEED पोर्टल?

किरेन रिजिजू ने 6 जून को दिल्ली से UMEED पोर्टल की शुरुआत की थी। सरकार के मुताबिक, यह पोर्टल वक्फ संपत्तियों की वास्तविक समय पर अपलोडिंग, सत्यापन और निगरानी के लिए एक सेंट्रल डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा। सरकार को उम्मीद थी कि इससे देश भर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता आएगी।

जानकारी के मुताबिक, इस पोर्टल में 3-स्तरों वाली सत्यापन प्रणाली ‘निर्माता-जांचकर्ता-स्वीकृतकर्ता’ है। इसके तहत एक मुतवल्ली संपत्ति के विवरण को ‘निर्माता’ के रूप में दर्ज करता है जिसके बाद वक्फ बोर्ड के अधिकारियों द्वारा इसका सत्यापन और निर्धारित सरकारी प्राधिकरण द्वारा रिकॉर्ड की जांच के बाद स्वीकृति दी जाती है।

रिजिजू ने लोकसभा में बताया कि देश के विभिन्न वक्फ बोर्ड्स द्वारा इस पोर्टल से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए एक हेल्पलाइन भी बनाई गई है। उन्होंने बताया कि 28 जुलाई 2025 तक देश भर से करीब 140 शिकायतें या सुझाव उन्हें मिले और इसके समाधानों को पोर्टल पर ही अपलोड कर दिया गया है।

पुराने पोर्टल पर हैं 8.72 लाख संपत्तियाँ?

अभी तक वक्फ की सभी संपत्तियों का ब्यौरा ‘वक्फ असेट्स मैनेजमैंट सिस्टम ऑफ इंडिया‘ (WAMSI) के पोर्टल पर होता है। WAMSI पर मौजूद डेटा के मुताबिक, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 32 वक्फ बोर्ड के पास 8,72,985 अचल संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों में 1.5 लाख से अधिक कब्रिस्तान, 1.4 लाख कृषि भूमि से जुड़ी संपत्तियाँ और 1.19 लाख मस्जिदें शामिल हैं।

वहीं, अगर राज्यों की बात करें तो पोर्टल के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में सर्वाधिक 2.17 लाख संपत्तियाँ रजिस्टर्ड हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड और पंजाब वक्फ बोर्ड में क्रमश: 80,922 और 75,965 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं।

संपत्तियाँ दर्ज कराने से क्यों बच रहे हैं वक्फ बोर्ड?

वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और कई जगहों को वक्फ के काम पर जबरन कब्जाने को लेकर लगातार शिकायती सामने आ रही थीं। राज्यों को वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले भी सामने आए जिसके बाद वक्फ के प्रबंधन को और बेहतर करने के लिए मोदी सरकार ने काम करने शुरू किया। इसके लिए सरकार द्वारा नया वक्फ संशोधन कानून भी बनाया गया है।

UMEED पोर्टल भी इसी कड़ी की एक हिस्सा था जिससे वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन बेहतर हो उनसे जुड़े सही रिकॉर्ड्स भी सरकार तक पहुँच सकें। WAMSI जैसे पोर्टल जहाँ संपत्तियों को दर्ज करने के लिए ज्यादा कानूनी पेचीदगों की जरूरत नहीं हैं, वहाँ लाखों की संख्या में सपत्तियाँ दर्ज हैं तो नए पोर्टल पर संपत्तियाँ दर्ज करने से बोर्ड बचते नजर आ रहे हैं। इसे लेकर ही कई सवाल उठने लगे हैं।

वक्फ कानून को लेकर लगातार हंगामा हुआ था और देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन किए गए थे, ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं वक्फ बोर्ड से जुड़े लोगों को इस कानून के वापस होने का भरोसा तो नहीं है जिससे ये वक्फ संपत्तियों के विवरण देने से बच सकें।

दूसरी और कई जगहों पर संपत्तियों को अवैध तरह से कब्जा करने के बाद उन्हें जबरन वक्फ घोषित करने जैसे आरोप भी लगाए गए थे तो क्या ऐसा भी संभव है कि बहुत बड़ी संख्या में संपत्तियों से जुड़े कागजात ही बोर्ड्स के पास ना हों और वे अब इनका ब्यौरा देने से बच रहे हों।

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