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दुबई में भी इस्लामी धर्मांतरण का काम, 6 महीने में 3600+ बने मुसलमान: जानिए – साम-दाम-दंड-भेद के दम पर इस्लाम को कैसे आगे बढ़ा रहा सरकारी विभाग, जो सीधे ‘किंग’ को करता है रिपोर्ट


3600 लोगों ने दुबई में इस्लाम कबूला

दुबई में 2025 के पहले छह महीनों (जनवरी से जून) में 3,600 से ज्यादा लोगों ने इस्लाम कबूला है। यह काम मोहम्मद बिन राशिद सेंटर फॉर इस्लामिक कल्चर के जरिए हुआ, जो कि दुबई की सरकारी संस्था इस्लामिक अफेयर्स एंड चैरिटेबल एक्टिविटीज डिपार्टमेंट (IACAD) के अधीन है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह चौंकाने वाली जानकारी दुबई सरकार की एक अहम संस्था IACAD ने जारी की है। इस संख्या के साथ ही सैकड़ों लोग इस्लाम से जुड़े एजुकेशनल और जागरूकता कार्यक्रमों में भी शामिल हुए हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य मकसद इस्लाम मजहब के बारे में और विचारों को बेहतर ढंग से समझाना है।

IACAD: कौन सी संस्था है और इसका उद्देश्य क्या है?

IACAD यानी इस्लामिक अफेयर्स एंड चैरिटेबल एक्टिविटीज डिपार्टमेंट दुबई सरकार का एक विभाग है, जो वहाँ पर इस्लाम से जुड़े सभी कामों की देखरेख करता है। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी, जिसका मकसद पूरे दुबई में मजहबी जागरुकता और इस्लामिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।

IACAD यानी इस्लामिक अफेयर्स एंड चैरिटेबल एक्टिविटीज़ डिपार्टमेंट एक सरकारी संस्था है, जो इस्लाम मज़हब से जुड़ी तमाम गतिविधियों को संभालती है। इसका काम सिर्फ कुरान बाँटना, मस्जिदों की देखरेख करना या इस्लामी शिक्षकों को लाइसेंस देना ही नहीं है, बल्कि यह संस्था इस्लाम की सीखों को दुनिया के सामने पेश करने का भी काम करती है।

IACAD का मानना है कि इस्लाम एक ऐसा मज़हब है जो इल्म (ज्ञान), सहनशीलता (सबर), और आपसी बातचीत (मशवरा) को बढ़ावा देता है। संस्था चाहती है कि दुनिया को इस्लाम की नरम और समझदारी वाली तस्वीर दिखे।

इसलिए वो न सिर्फ मजहबी तालीम देती है, बल्कि लोगों को इस्लामी तहज़ीब यानी इस्लामिक तौर-तरीकों से भी जोड़ने की कोशिश करती है। IACAD उन लोगों से भी बात करती है जो इस्लाम को जानना या समझना चाहते हैं। चाहे वो मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम। IACAD संस्था कोर्सों और इंटरएक्टिव सेशन्स के जरिए इस्लाम की बातों को लोगों तक पहुँचाने का काम करती है।

IACAD का दावा है कि वह इस्लामी तालीम और अदब (संस्कार) के जरिए अलग-अलग समाजों और सोच वाले लोगों के बीच पुल बनाता है। इस तरह का काम वह मोहम्मद बिन राशिद सेंटर फॉर इस्लामिक कल्चर के जरिए करता है। यहाँ ऐसे लोग आते हैं जो इस्लाम अपनाना चाहते हैं या उसके बारे में सीखना चाहते हैं।

IACAD कैसे काम करती है और इसकी क्या जिम्मेदारियाँ हैं?

IACAD की जिम्मेदारियाँ बहुत विस्तृत हैं और यह कई तरीकों से अपने उद्देश्यों को पूरा करती है। यहाँ विस्तार से बताया गया है कि यह संस्था क्या-क्या काम करती है।

फतवा जारी करना: IACAD संस्था लोगों को मजहबी मामलों में मार्गदर्शन देती है और उनके सवालों का जवाब फतवा के रूप में देती है। यह सुविधा ऑनलाइन भी उपलब्ध है, ताकि लोग आसानी से अपने सवालों का हल पा सकें।

कुरान और इस्लामिक साहित्य का वितरण: यह संस्था कुरान और अन्य इस्लामिक किताबों को छापती है और लोगों के बीच बाँटती है। इसका उद्देश्य इस्लामिक ज्ञान को लोगों तक पहुँचाना है।

हज और उमराह का प्रबंधन: IACAD संस्था हज और उमराह करने वालों की मदद करता है। यह संस्था सफर की पूरी योजना बनाती है और लोगों को रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) करवाने में भी सहायता करती है। ताकि जो लोग मक्का-मदीना जाना चाहते हैं, उनका सफर आराम से और सही तरीके से हो सके।

मस्जिदों की देखरेख: दुबई की सभी मस्जिदों की जिम्मेदारी IACAD की होती है। यह संस्था देखती है कि मस्जिदों में नमाज और दूसरी इबादतें ठीक से हों। साथ ही यह भी ध्यान रखती है कि मस्जिद का माहौल शांत और लोगों के लिए अच्छा बना रहे।

ऑनलाइन सेवाएँ: IACAD संस्था तकनीक का इस्तेमाल करके अपनी वेबसाइट पर लोगों के लिए कई सुविधाएँ देती है। जैसे- (1) लोग अपने मजहबी सवाल ऑनलाइन पूछ सकते हैं। (2) नए मुस्लिम लोगों को इस्लाम समझाने के लिए गाइड मिलती है। (3) दुबई में कहाँ-कहाँ मस्जिदें हैं, उसकी पूरी लिस्ट मिलती है। (4) हर दिन की नमाज का सही समय पता चलता है। (5) साल भर की इस्लामिक छुट्टियों की जानकारी भी मिलती है।

निशाने पर कौन लोग हैं और कितने लोग अपना धर्म बदल चुके हैं?

IACAD संस्था का मुख्य उद्देश्य वो लोग है, जो दुबई में रहते हैं और इस्लाम मजहब को जानना या समझना चाहते हैं। इसमें न सिर्फ दुबई के नागरिक, बल्कि विदेशों से आए लोग भी शामिल हैं। यह संस्था उन लोगों को खासतौर पर निशाना बनाती है, जिन्होंने नया-नया इस्लाम कबूला है।

दिए गए आँकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में 3,600 से ज़्यादा लोगों ने इस्लाम कबूल किया। रिपोर्ट में ये तो नहीं बताया गया कि ये लोग पहले किस धर्म के थे, लेकिन ये ज़रूर कहा गया है कि वे अलग-अलग देशों और सभ्यताओं से आए थे।

धर्म परिवर्तन के अलावा, IACAD संस्था ने ऐसे शैक्षिक कोर्स शुरू किए हैं जिनमें इस्लाम के बारे में गहराई से सिखाया जाता है। इनमें 1,300 से ज्यादा लोगों ने दाखिला लिया। इन कोर्सों में इस्लाम के रोजमर्रा के तौर-तरीके, नियम और उसूल समझाए जाते हैं।

IACAD ने कुल 47 जागरुकता वाले ऐसे कोर्स कराए, जिनमें 1,400 से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। इनका मकसद था कि लोग इस्लामिक सोच और मान्यताओं को सही तरीके से समझ सकें। ये कोर्स इस्लाम की तालीम और समझ बढ़ाने के लिए चलाए जाते हैं।

शिक्षा में ‘सस्टेनेबल नॉलेज रूम’ तकनीक का इस्तेमाल

IACAD संस्था ने इस्लाम मजहब की शिक्षा को आधुनिक और ज़्यादा आकर्षक बनाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया है। ‘सस्टेनेबल नॉलेज रूम’ एक ऐसा ही प्रोजेक्ट है, जो मोहम्मद बिन राशिद सेंटर फॉर इस्लामिक कल्चर में मौजूद है।

यह एक 360-डिग्री का वर्चुअल क्लासरूम है, जहाँ लोग इंटरैक्टिव तरीके से इस्लाम के बारे में सीखते हैं। यह तकनीक शिक्षा को एक वास्तविकता में बदल देती है। इससे लोग इस्लाम से जुड़ी जानकारी को ज़्यादा आसानी से समझ पाते हैं। इस तकनीक से 190 से ज़्यादा लोगों ने अपना मजहब बदला है। इस रूम का इस्तेमाल बच्चों और बड़ों दोनों पर किया जाता है।



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