दीघा जगन्नाथ धाम के प्रसाद का वितरण बंगाल सरकार ‘दुआरे सरकार’ योजना के तहत करवा रही है। लेकिन इन प्रसादों को जगन्नाथ मंदिर धाम ट्रस्ट द्वारा नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर बनाया जा रहा है। इसका बीजेपी लगातार विरोध कर रही है। अब प्रसाद के मुस्लिम मिठाई विक्रेताओं द्वारा बनवाए जाने की बात सामने आई है।
रानीनगर में दीघा जगन्नाथ धाम सांस्कृतिक केन्द्र के राशन डीलरों को जो प्रसाद वितरण के लिए चुने गए हैं उनमें चार में से तीन मुस्लिम हैं। इसके खिलाफ बीजेपी ने आवाज बुलंद की है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा है।
नोटिफिकेशन को लेकर बीजेपी नेता सुकांता मजुमदार ने ट्वीट किया है। बांग्ला में किए गए ट्वीट में उन्होने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल प्रशासन से पूछना चाहता हूँ कि क्या यह अधिसूचना सत्य है?
रानीनगर के ब्लॉक नंबर 1 में ‘दीघा जगन्नाथ धाम सांस्कृतिक केंद्र’ के राशन डीलरों को प्रसाद (मिठाई) की आपूर्ति के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है, उससे अब स्थानीय हिंदुओं में आशंका पैदा हो गई है। इस अधिसूचना की सच्चाई को प्रशासन के संज्ञान में तुरंत लाया जाना चाहिए।
नोटिस से पता चलता है कि कई स्थानीय मिठाई की दुकानों के मालिकों के नाम और नंबर दिए गए हैं, और सूचीबद्ध चार मिठाई की दुकानों में से तीन मुसलमानों के हैं!
तो क्या सरकार माननीय ‘तोषण’ की ओबीसी सूची की तरह मुसलमानों के आरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है?
क्या मुस्लिम व्यापारियों को भी हिंदुओं को वितरित करने के लिए प्रसाद तैयार करने का ठेका दिया जा रहा है?
इससे पहले नेता विपक्ष शुवेंदू अधिकारी ने भी इस मामले को उठाया। उनका कहना है कि न सिर्फ मिठाई खरीदना बल्कि स्थानीय दुकान से मिठाई के डिब्बे खरीदना भी हिन्दू धर्म का अपमान है। मिठाई के पैकेट को दिखाते हुए उन्होने कहा था कि पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर से प्रसाद लाने के बजाए राज्य सरकार स्थानीय दुकान से मिठाई तैयार करवा रही है। भगवान के प्रसाद के नाम पर स्थानीय दुकानों की मिठाई घरों तक पहुँचेगी। ये हिन्दुओं का अपमान है।
राज्य सरकार ने प्रसाद के पैकेट के लिए 20 रुपए दाम तय किए हैं।