अतहर खान, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी, सलीम खान की जमानत याचिकाएँ खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (2 सितंबर 2025) को दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के आरोपितों अतहर खान, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी और सलीम खान की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि इन चारों आरोपितों (अपीलकर्ताओं) ने दंगों की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई।

प्रदर्शन स्थलों के निर्माण में शामिल थे आरोपित

जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि आरोपित दिल्ली में कई जगहों जैसे खुरेजी, चाँद बाग, करावल नगर, करदम नगर और निजामुद्दीन में प्रदर्शन स्थल बनाने में शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने लाठी, टूटे शीशे, तेजाब, रॉड आदि का इस्तेमाल करके हिंसा को बढ़ाने की योजना बनाई।

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का स्क्रीनशॉट

अभियोजन पक्ष के सबूतों और गवाहों के बयानों की समीक्षा के बाद कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में सबूत हैं कि आरोपितों ने कई बैठकों में हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने पुलिस और गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की साजिश रची।

अतहर खान और शादाब खान ने तोड़े सीसीटीवी कैमरे

हाई कोर्ट के मुताबिक, अतहर खान और शादाब खान ने सरकारी सीसीटीवी कैमरों को तोड़ने या ढकने का फैसला किया ताकि वे बिना डर के काम कर सकें। सीसीटीवी कैमरे तोड़ने के निर्देश सलीम खान और एक अन्य सह-आरोपी सलीम मलिक को भी दिए गए। सलीम खान को एक सीसीटीवी फुटेज में लाठी जैसे सामान से कैमरा हटाते हुए देखा गया।

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का स्क्रीनशॉट

अब्दुल खालिद सैफी ने प्रदर्शनों के लिए फंड जुटाए

कोर्ट ने कहा कि अब्दुल खालिद सैफी कई व्हाट्सएप ग्रुप और साजिश भरी बैठकों का हिस्सा था। उसने बंदूकें जुटाने और प्रोटेस्ट वाली जगहों को मैनेज करने के लिए फंड इकट्ठा किया। कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के बयानों का विस्तार से परीक्षण करने से बचते हुए कहा कि हिंदू विरोधी दंगों की साजिश में शामिल इन चारों आरोपितों समेत सभी लोगों को साजिश को आगे बढ़ाने के लिए खास भूमिकाएँ दी गई थीं।

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का स्क्रीनशॉट

कोर्ट ने कहा, “जमानत याचिका पर विचार के दौरान अभियोजन पक्ष के सबूतों की खूबियों या खामियों में जाना कानूनन सही नहीं है, यह केवल ट्रायल के दौरान परखा जा सकता है।”

आरोपितों के खिलाफ कई FIR को कोर्ट ने अलग माना

आरोपित सलीम खान ने दावा किया कि उनके खिलाफ एक ही सबूत और कहानी के आधार पर कई FIR में कार्रवाई हो रही है। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि अलग-अलग FIR अलग आधार पर हैं और इस मामले की FIR एक बड़ी साजिश से जुड़ी है।

समानता का दावा कोर्ट ने किया खारिज

आरोपितों ने दावा किया कि उन्हें अन्य आरोपितों जैसे देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा के समान माना जाए, जिन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। कोर्ट ने कहा कि इन अपीलकर्ताओं की भूमिका उन सह-आरोपितों से अलग है, जिन्हें जमानत दी गई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “हमारे सावधानीपूर्वक विचार के बाद तथ्यों और परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए ये अपीलें खारिज की जाती हैं।”

गौरतलब है कि दिल्ली में 2020 की फरवरी में हिंदू विरोधी दंगे भड़क उठे थे। ये दंगे CAA और NRC को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद भड़के। शरजील इमाम और उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा जैसे लोग शामिल थे। आरोप है कि उनके उकसावे से दंगे हुए। इस मामले में UAPA के तहत कार्रवाई हुई और अब कोर्ट इसकी जाँच कर रही है। फिलहाल आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

मूल रूप से यह रिपोर्ट अंग्रेजी में अदिति ने लिखी है, इस लिंक पर क्लिक कर विस्तार से पढ़ सकते है।

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