53 साल पहले शुरू हुई थी परियोजना
बिहार और झारखंड के सूखाग्रस्त जिलों में सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए 53 साल पहले एक जलाशय परियोजना शुरू की गई थी। नाम है- उत्तर कोयल जलाशय परियोजना। इसके पूरा होने पर झारखंड और बिहार के चार सूखाग्रस्त जिलों में 42301 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी। 1972 में शुरू की गई ये परियोजना राजनीति और लालफीताशाही का शिकार हो गई।
वर्षों से लटकी परियोजनाओं की पीएम मोदी ने ली सुध
पीएम मोदी ने इस परियोजना समेत ऐसे लटके हुए दूसरे कई परियोजनाओँ को लेकर समीक्षा बैठक की। पीएम ने कहा कि परियोजनाओं की देरी से दोहरा नुकसान होता है। एक तो लागत बढ़ जाती है, वहीं दूसरी ओर लोग इतने समय तक लाभ से वंचित रह जाते हैं। इसलिए केन्द्र और राज्य के अधिकारी दोनों को मिलकर ऐसी परियोजना को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए और लोगों को फायदा पहुँचाने पर काम करना चाहिए।
क्या है उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना?
उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना एक अंतरराज्यीय सिंचाई परियोजना है जिससे बिहार और झारखंड जुड़े हुए हैं। इसमें झारखंड के लातेहार के कुटकू गाँव से होकर बहने वाली उत्तरी कोयल नदी पर एक बाँध बनाने की योजना है। बाँध से 92 किलोमीटर दूर झारखंड के पलामू जिले के मोहम्मदगंज में बैराज बनेगा और फिर बैराज से दो नहरें निकलेंगी। दाहिनी मुख्य नहर (आरएमसी) और बैराज से बाईं मुख्य नहर (एलएमसी)
इस परियोजना की शुरुआत 1972 में किया गया था। उस वक्त बिहार और झारखंड अलग नहीं हुए थे। परियोजना को 1993 में वन विभाग ने रोक लगा दी थी क्योंकि बाँध में पानी जमा होने पर झारखंड के बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर रिजर्व को खतरा हो सकता था। काम रुकने के बाद यह परियोजना 71,720 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए सालाना जल दे रही थी। 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हुआ तो परियोजना के दोनों बैराज और बाँध झारखंड में आ गए। दो नहरों में से एक नहर झारखंड में रह गया जबकि दूसरा नहर बिहार और झारखंड दोनों में चला गया। बिहार में ये 79.08 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
2016 में पीएम मोदी ने परियोजना को पूरा करने का उठाया जिम्मा
मोदी सरकार ने 2016 में इस परियोजना को पूरा करने का फैसला किया। हालाँकि पलामू टाइगर रिजर्व को बचाने के लिए जलाशय में पानी के लेबल को कम रखने का फैसला लिया गया।
एक साल बाद कैबिनेट ने बचे हुए परियोजना के लिए 1622.27 करोड़ रुपए को मंजूरी दी। बाद में ये खर्च 2430.76 करोड़ रुपए हो गया। इसके बाद दोनों राज्यों की माँग पर कुछ अतिरिक्त काम जुड़ गए।
इस परियोजना के काम में एक बार फिर तेजी आने की संभावना है क्योंकि केन्द्र सरकार इसके लिए 1836.41 करोड़ रुपए देने जा रही है। पीएम मोदी की समीक्षा के बाद इसके काम में तेजी आई है।