तुर्की में लेमन पत्रिका के कार्टून को लेकर बवाल

तुर्की की साप्ताहिक व्यंग्य पत्रिका लेमन इनदिनों सुर्खियों में है। वजह से इसमें छपा कार्टून। दरअसल कार्टून में ‘मुहम्मद’ और ‘मूसा’ नाम के दो व्यक्तियों को आसमान में हाथ मिलाते दिखाया गया है और नीचे जमीन जल रही है। मुस्लिम कट्टरपंथियों का आरोप है कि ये पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा हैं।

इसके बाद मुस्लिम बहुल देश की भावनाएँ भड़क गई और देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन होने लगे। इस मामले में पुलिस ने तीन कार्टूनिस्टों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें कार्टूनिस्ट डोगन पेहलवान और पत्रिका के प्रबंध संपादक और प्रमुख संपादक शामिल हैं।

तुर्की के कानून मंत्री यिलमाज तुनक ने सोमवार को कहा कि तुर्की के अधिकारियों ने पत्रिका लेमन के खिलाफ़ आपराधिक जाँच शुरू कर दी है। तुनक ने अपने बयान में कहा कि इस्तांबुल के पुलिस कार्यालय ने तुर्की दंड संहिता की धारा 216 के तहत जाँच शुरू की है, जो “सार्वजनिक रूप से मजहबी मूल्यों का अपमान करने” से संबंधित है।

क्या है मामला?

पत्रिका के 26 जून के अंक में छपे कार्टून में इज़राइल और ईरान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष का संदर्भ दिया गया था और इसमें पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा को बमबारी से तबाह हुए शहर के ऊपर हाथ मिलाते हुए दिखाया गया था। कार्टून में नीचे जमीन पर जलता शहर और मिसाइलें दिखाई गई हैं।

पत्रिका का कहना है कि इस कार्टून का मकसद इजरायली हमले के दौरान ईरान में मारे गए एक मुस्लिम व्यक्ति की पीड़ा उजागर करना है। उसका नाम कार्टून में ‘मुहम्मद’ रख दिया गया है।

पत्रिका के प्रमुख संपादक तुन्के अकगुन ने एएफपी से बात करते हुए कहा है, “इस कार्टून में दिये गए नाम मुहम्मद का पैगंबर मुहम्मद से कोई लेना देना नहीं है। मुहम्मद नाम से करोड़ों लोग दुनियाभर में रहते हैं। ” पत्रिका ने कहा कि कार्टून का उद्देश्य धार्मिक मूल्यों का मजाक उड़ाना नहीं था।

इस्तांबुल में लेमन के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन

कार्टून को तुर्की में धार्मिक भावनाओं का अपमान माना गया और कट्टरपंथी संगठन सड़कों पर उतर आए। इस्तांबुल के इस्तिकलाल स्ट्रीट पर लेमन की इमारत के सामने कई प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। कुछ लोग लेमन के कार्यालय में घुसने की कोशिश करते देखे गए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लेमन पत्रिका ने पैगंबर मुहम्मद का खुलेआम अपमान किया है। इस अपमान को कभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता।

ऐसा ही एक मामला 2015 में फ्रांस में सामने आया था। उस वक्त भी मामला पैगंबर मुहम्मद के कार्टून का ही था। जब व्यंग्य पत्रिका ‘चार्ली हेब्दो’ के कार्यालय में घुस कर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने फायरिंग की थी। इसमें संपादक समेत 12 लोगों की मौत हो गयी थी।

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