उत्तर प्रदेश के बरेली में बच्चों को हिन्दू मान्यताओं के खिलाफ भड़काने वाले एक शिक्षक के ऊपर FIR दर्ज हुई है। इस शिक्षक का नाम रजनीश गंगवार है। उसकी एक वीडियो भी वायरल हो रही है। इसमें वह हाथ में माइक लिए हुए एक कविता सुनाता दिखता है। उसके सामने कई कतार में बच्चे खड़े हैं। वीडियो में रजनीश गंगवार काँवड़ के ऊपर एक कविता गा रहा है। वह कविता के सहारे बच्चों को सलाह देता है कि वह काँवड़ में शामिल ना हों, इसके लिए वह कई कुतर्क भी अपनी कविता में शामिल करता है।
"कावड़ लेने मत जाना, तुम ज्ञान का दीप जलाना"
"मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना"
ये कविता सुनाने वाले टीचर रजनीश गंगवार पर बरेली, यूपी में FIR हो गई है।
कविता की अंतिम पंक्तियां इस प्रकार हैं
"कांवड़ ढोकर कोई वकील, डीएम एसपी नहीं बना है।
कावड़ जल से कोई बनिया… pic.twitter.com/BVrONXDBOa— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) July 14, 2025
रजनीश की वीडियो वायरल होने के बाद उसके खिलाफ FIR दर्ज हुई तो ट्विटर से लेकर फेसबुक तक लिबरल गैंग रोने लगा। बच्चों को भड़काने वाले इस शिक्षक को ‘तार्किक’ बता कर FIR की कार्रवाई की निंदा हो रही है। हालाँकि, यह कोई नहीं कहना चाह रहा कि शिक्षक रजनीश ने जो कविता बच्चों को सुनाई है, वह कोई तर्कशील बात नहीं बल्कि सीधे तौर पर उनको उनके धर्म से विमुख करने का प्रयास और काँवड़ जैसी पवित्र परम्परा के खिलाफ भड़काना है।
रजनीश अपनी कविता में कहता है-
काँवड़ लेने मत जाना, तुम ज्ञान का दीप जलाना
मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना
अब अगर रजनीश की मानें तो जो काँवड़ लेने जाता है, वह ज्ञान का दीप नहीं जला सकता। रजनीश दावा करता है कि जो लोग काँवड़ लेकर जाते हैं वह ना ही ज्ञान अर्जित कर पाते हैं और ना ही मानवता की सेवा कर पाते हैं। अपनी कविता में तर्क की भ्रूणहत्या करने वाला रजनीश यह भूल जाता है कि इस देश में प्रत्येक वर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में हिन्दू काँवड़उठाते हैं और अपने आराध्य को अर्पित करते हैं। यह कोई पिकनिक नहीं बल्कि कठिन यात्रा होती है।
उसका यह दावा कि यह लोग पढ़े-लिखे नहीं होते या फिर मानवता की सेवा नहीं करते दरअसल एक वामपंथी प्रोपेगेंडा है जिसमे धर्म को हमेशा ही ऐसे नजरिए से देखा जाता है जैसे वह अज्ञानता का पोषक हो। जबकि सनातन में तो विद्या को ही सर्वोच्च माना गया है। छोटे बच्चों का दिमाग रजनीश का यह महीन प्रोपेगेंडा नहीं पकड़ पाता होगा, ऐसे में वह भले ही उससे प्रश्न ना करें, लेकिन उसकी बातें सीधे तौर पर काँवड़ के खिलाफ भड़काने वाली हैं।
इसी कविता की कुछ लाइनों में वह दावा करता है कि काँवड़ ढोकर कोई वकील, DM-SP नहीं बना है। रजनीश की यह बात बताती है कि उसके दिमाग में वामपंथी विचार इस कदर भरे हुए हैं कि वह बच्चों को करियर का फर्जी डर दिखाने से नहीं चूकता। जिन DM-SP का वह उदाहरण देता है, वह भी अपने धर्म के पालन में पीछे नहीं हटते। अगस्त, 2024 में हरिद्वार के DM-SP ने स्वयं काँवड़ उठाई थी और महादेव को जल अर्पित किया था।
रजनीश यह नहीं बताता कि एक वर्ष में कुछ दिन के लिए चलने वाली काँवड़ यात्रा किस तरह उनको DM-SP बनने से रोक लेगी। उसको यह समझाना चाहिए कि धर्म को अफीम बताने वाले कितने कम्युनिस्ट रोज वैज्ञानिक बन रहे हैं। उसको यह भी समझाना चाहिए कि कि तरह से किसी बच्चे का काँवड़ उठाना उसे उसकी पढ़ाई से विमुख कर देगा। क्या कोई बच्चा काँवड़ उठा लेगा तो उसके किताब छूने पर मनाही लग जाएगी?
यदि कोई व्यक्ति चाहेगा तो ईश्वर के प्रति अपनी आस्था से समझौता किए बिना ही सफलता पाएगा और वकील अथवा DM-SP क्या है, बड़े से बड़े पद को छू सकता है। काँवड़ और शिक्षा एक दूसरे के दुश्मन नहीं है। असल में तो काँवड़ व्यक्ति को सामूहिकता और लक्ष्य प्राप्त करने में जरूरी एकाग्रता ही सिखाती है। और काँवड़ उठाने वाले कहीं दूसरे ग्रह से नहीं आते, वह हमारे आस-पास के लोग हैं जो बाकी दिनों में वकील-डॉक्टर, पत्रकार, शिक्षक और अधिकारी हैं।
इसी कविता में रजनीश ने दावा किया कि काँवड़ से बुद्धि-विवेक का विकास नहीं होगा। उसकी विष्ठा की उल्टी यहीं नहीं रुकी बल्कि उसने काँवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन से भांग-धतूरा और गांजे को जोड़ दिया। हाँ! यह बात ठीक है कि काँवड़ यात्रा के दौरान कुछ ऐसे लोग होंगे जो भांग खाते होंगे, संभवतः एकाध गांजा भी पीते हों। लेकिन वामपंथी रजनीश को समझना चाहिए कि इससे कहीं अधिक संख्या उनकी है जो नंगे पैर चलते हैं, जिनके कंधे काँवड़ के बोझ से छिलते हैं और छाले तक हो जाते हैं।
रजनीश इन सभी को नशेडी बताना चाहता है और काँवड़ यात्रा का अपमान करना चाहता है। वह स्कूल के भीतर नई पौध में वह जहर बोना चाहता है जो आगे चल कर कन्हैया कुमार या योगेन्द्र यादव जैसे सनातन विरोधी में तब्दील होती है। कभी कथित मानवता, कभी शिक्षा तो कभी विज्ञान को मुखौटा बना कर सनातन का यह अपमान किया जाता है। रजनीश भी यही करने का प्रयास कर रहा था, लेकिन सफल नहीं हो सका।

इस जहर की खेती के लिए रजनीश को शह देने वालों की कोई कमी नहीं हैं। उसके खिलाफ जब न्यायसंगत कार्रवाई हुई तो यह गैंग उसे बचाने आ गया। साक्षी जोशी जैसे पत्रकार तुरंत उसे बचाने आ जाते हैं। और वह ये काम तब करते हैं जब रजनीश खुद कार्रवाई का नाम सुनते ही माफी मोड में आ जाता है। रजनीश ने भी अब दुनिया भर की बातें करके अपने कृत्य को सही ठहराने की कोशिश की है। यहाँ पर स्पष्ट है कि रजनीश अगर गलत नहीं होता तो वह माफी क्यों माँगता।
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‘मेरा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं था’, मैने सिर्फ छोटे-छोटे बच्चों से अपील की थी- रजनीश
एमजीएम इंटर कॉलेज में शिक्षक है रजनीश गंगवार, बहेड़ी थाना क्षेत्र का मामला#Bareilly… pic.twitter.com/G1TeJw4v6X— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) July 15, 2025
असल में यह सब कुछ और नहीं शिक्षा की चाशनी में डुबो कर दी जाने वाली हिन्दू घृणा की छोटी-छोटी डोज हैं। देश भर के कॉलेज-स्कूलों में ना जाने कितने ही रजनीश बैठे हुए हैं जो मौक़ा मिलते ही बच्चों को वामपंथ के जाल में लेना नहीं छोड़ते। अब अगर बरेली के रजनीश पर कोई कार्रवाई हो रही है तो वह ठीक है और यह एक मिसाल भी बनेगी।