लंबे समय तक आपसी तनातनी के बाद भारत और चीन ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसकी वजह अमेरिका द्वारा दोनों देशों पर लगाया गया नया टैरिफ यानी आयात शुल्क है। 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। इससे पहले तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्री मिले।
#WATCH | Delhi: In his meeting with Chinese Foreign Minister Wang Yi, EAM Dr S Jaishankar says, “Having seen a difficult period in our relationship, our two nations now seek to move ahead. This requires a candid and constructive approach from both sides. In that endeavour, we… pic.twitter.com/LOmJNjSrVq
— ANI (@ANI) August 18, 2025
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार (18 अगस्त 2025) को दिल्ली में हुए इस मुलाकात के दौरान राजनयिक संबंधों को सुधारने के साथ-साथ व्यापार, बॉर्डर और आतंकवाद सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
इस मौके पर विदेश मंत्री जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के दोनों देशों के प्रयासों का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के बीच मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए। दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान पर आधारित होने चाहिए।
हैदराबाद हाउस में हुई बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “हमारे संबंधों में एक कठिन दौर देखने के बाद, अब दोनों देश आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से एक स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस प्रयास में, हमें तीन परस्पर सिद्धांतों – परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हित का ध्यान रखना चाहिए। मतभेदों को विवाद या संघर्ष में नहीं बदलने देना चाहिए..”
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बैठक में सीमा पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए मार्ग खोलने को लेकर चीनी कोशिश का भी जिक्र किया। चीनी विदेश मंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निमंत्रण पर भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आए हैं। उन्होंने कहा, “हमने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखा है और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में कैलाश पर्वत और कैलाश मानसरोवर की भारतीय तीर्थयात्रा फिर से शुरू की है।”
चीनी विदेश मंत्री यी ने कहा, “हमने हस्तक्षेप को दूर करने, सहयोग बढ़ाने और चीन-भारत संबंधों में सुधार के साथ- साथ विकास की गति को और मज़बूत करने पर विश्वास जताया। हम एक-दूसरे की सफलता में योगदान देने के अलावा एशिया और पूरी दुनिया को स्थायित्व प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ें…” यी मंगलवार (19 अगस्त) को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे।
#WATCH | In his meeting with EAM Dr S Jaishankar, Chinese Foreign Minister Wang Yi says, “…We maintained peace and tranquillity in the border areas and resumed the Indian pilgrimage to Mount Kailash and Kailash Manasarovar in the Tibet Autonomous Region. We shared confidence to… pic.twitter.com/rorLRCmTeD
— ANI (@ANI) August 18, 2025
चीन करेगा भारत की रेयर खनिज, उर्वरक की चिंता का समाधान
रिपोर्टों के अनुसार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री जयशंकर को आश्वासन दिया कि चीन दुर्लभ खनिज, उर्वरक और सुरंग खोदने वाली मशीनों से संबंधित भारत की चिंताओं का समाधान कर रहा है। इस वर्ष अप्रैल में, चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए निर्यातकों के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। साथ ही दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। रेयर खनिज इलेक्ट्रिक और पेट्रोल वाहनों, रक्षा उपकरणों और ऊर्जा से जुड़े उपकरणों में इस्तेमाल होता है।
ट्रंप का ‘टैरिफ बम’ ला रहा भारत-चीन को करीब
वार्ता के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने यी का ध्यान गलवान घाटी में हुए गतिरोध की ओर भी आकर्षित किया। जयशंकर ने कहा, “हमारे संबंधों में सकारात्मकता का आधार सीमा पर संयुक्त रूप से शांति और सौहार्द बनाए रखने की क्षमता है। यह भी आवश्यक है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया आगे बढ़े।”
China promises to address three key concerns of India. Foreign Minister Wang Yi assured EAM that China is addressing India’s needs of fertilisers, rare earths and tunnel boring machines: Sources https://t.co/liCzB57nz2
— ANI (@ANI) August 19, 2025
ये घटना अप्रैल-मई 2020 की है, जब गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में कमांडिंग ऑफिसर समेत कम से कम 20 भारतीय सैनिक बलिदान हो गए। भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक चीन के 43-45 सैनिक हताहत हुए।
हालाँकि रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी टैरिफ से पैदा हुई राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हुए, दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों को पुनर्जीवित किया है।