राँची की CBI कोर्ट ने झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का, उनकी पत्नी मेनन एक्का और 8 अन्य को शुक्रवार (29 अगस्त 2025) जनजातीय जमीन घोटाले में दोषी ठहराया। यह मामला 2006-2008 का है, जब एनोस ने अपनी पत्नी के नाम पर 1.18 करोड़ की जनजातीय जमीन खरीदी, जो CNT एक्ट के खिलाफ है। इस कानून में जनजातीय जमीन गैर-जनजातीय को बेचना मना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सभी पर CNT एक्ट (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908) का उल्लंघन कर जनजातियों की जमीन धोखे से खरीदने का आरोप था। कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद सभी दोषियों को जेल भेज दिया। फर्जी दस्तावेज और गलत अनुमति के जरिए यह सौदा हुआ। 2008-09 में जनहित याचिकाओं के बाद हाई कोर्ट ने CBI जाँच के आदेश दिए। CBI ने 2010 में केस दर्ज किया और 2012 में चार्जशीट दाखिल की।
दोषी ठहराए गए 10 लोगों में एनोस एक्का (पूर्व मंत्री), उनकी पत्नी मेनन एक्का, कार्तिक कुमार प्रभात, राज किशोर सिंह, फिरोज अख्तर, बृजेश मिश्रा, अनिल कुमार, मणिलाल महतो, ब्रजेश्वर महतो, परशुराम करकेट्टा शामिल हैं। वहीं, गोवर्धन बैठा नाम के एक आरोपित को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
क्या है मामला?
CBI के मुताबिक, 2006 से 2008 के बीच एनोस एक्का ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रांची में करीब 1.18 करोड़ रुपये की जमीन अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी। ये जमीन जनजातीय समुदाय से संबंधित थी, जिसे CNT एक्ट के तहत गैर-जनजातीय को बेचना मना है।
इसके बाद भी फर्जी पते और गलत दस्तावेजों के आधार पर यह जमीनें खरीदी गईं। कई मामलों में विक्रेताओं ने भूमि सुधार उपसमाहर्ता (LRDC) से गलत तरीके से अनुमति भी ली थी।
साल 2008 और 2009 में दो जनहित याचिकाएँ दायर की गई थीं, जिनके आधार पर झारखंड हाई कोर्ट ने CBI जाँच के आदेश दिए। इसके बाद CBI ने 11 अगस्त 2010 को एनोस एक्का, हरिनारायण राय और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। 10 दिसंबर 2012 को CBI ने 16 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
क्या है CNT एक्ट?
CNT एक्ट 1908 (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम) जनजातीय समुदाय की जमीन की सुरक्षा के लिए बना कानून है। इसके तहत जनजातीय जमीन को गैर- जनजातीय को बेचना या ट्रांसफर करना प्रतिबंधित है। यह कानून अंग्रेजों के समय, 1908 में लागू किया गया था और आज भी झारखंड में लागू है।
एनोस एक्का का राजनीतिक और आपराधिक इतिहास
2005, 2009 और 2014 में एनोस एक्का कोलेबिरा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। वे 2005 से 2008 तक मधु कोड़ा सरकार में मंत्री भी रहे। साल 2014 में एनोस एक्का को एक पारा शिक्षक मनोज कुमार की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
जुलाई 2018 में कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस तरह अब एनोस एक्का पर हत्या मामले के बाद जमीन घोटाले में भी दोष सिद्ध हो चुका है।