सोमाली मुस्लिम और इस्लामिक सेंटर

अमेरिका में कई इस्लामी संगठन सार्वजनिक तौर पर अब रेपिस्ट और दूसरे अपराध करने वाले मुस्लिमों के बचाव में उतर आए हैं। ऐसा की कारनामा मिनेसोटा स्थित अल-इहसान इस्लामिक सेंटर ने किया है। उसने एक बलात्कारी के बचाव में जस्टिस को खत लिखा है।

जुलाई 2024 में एक सोमाली मुस्लिम अप्रवासी कलिनले इब्राहिम दिरी ने एक बच्ची का रेप किया। 12 साल की ये बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी। उस वक्त उसकी माँ घर पर नहीं थी। दिरी ने पहले बच्ची का अपहरण किया और फिर यौन शोषण का शिकार बनाया। कोर्ट ने इस मामले में उसे दोषी ठहराया था और 12 साल जेल की सजा सुनाई। इतने जघन्य अपराध के बावजूद इस्लामी संगठन बलात्कार की सजा कम करने और उसके ‘मानवीयता’ की बात करने लगे हैं।

दिरी का जन्म सोमालिया में गृहयुद्ध के दौरान हुआ था और 2006 में अमेरिका आने से पहले उन्होंने केन्या के एक शरणार्थी शिविर में अपना जीवन व्यतीत किया। हालाँकि दिरी की नागरिकता पर सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन दिरी ज्यादातर मिनेसोटा और नॉर्थ डकोटा में ही रहा है।

जुलाई 2024 में इस सोमाली मुस्लिम आप्रवासी पर एक 12 साल की बच्ची के साथ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया। शिकायत के अनुसार, पीड़िता मिनियापोलिस स्थित अपने घर के पास खेल रही थी, तभी दिरी छिप कर उसके पास पहुँचा और उससे बात करने लगा। उसने कथित तौर पर पूछा कि क्या बच्ची की माँ घर पर है? पीड़िता ने कहा कि नहीं वह घर पर नहीं है।

आरोपी वहाँ से चला गया और कुछ देर बाद वापस लौटा। उसने बच्ची के मुँह पर हाथ रखा और जबरन कार में बिठाया। बच्ची के सिर पर हमला किया ताकि वह ज्यादा न छटपटाए। कार को कुछ दूर ले जाकर उसके साथ जबरन रेप किया। बच्ची बहुत बुरे हाल में अपने घर पहुँची।

आरोपी दिरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसी साल मई में कोर्ट ने डिरी को नाबालिग के साथ रेप का दोषी पाया। डिरी के परिवार ने न्यायाधीश को पत्र लिखकर उसकी सजा तय करते समय उसके ‘चरित्र’ के दूसरे पहलुओं पर गौर करने और ‘सामुदायिक योगदान’ पर विचार करने का आग्रह किया।

परिवार के पत्र के अलावा अल-इहसान इस्लामिक सेंटर ने भी न्यायाधीश को खत लिखा है जिसमें दोषी दिरी को ‘हल्की सजा’ देने पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। पत्र में रेपिस्ट को एक ‘समर्पित पारिवारिक व्यक्ति’ बताया गया।

दिरी के जघन्य अपराध को हल्का करने की कोशिश करते हुए इस्लामिक सेंटर ने कहा, “डिरी को एक नई संस्कृति में नए सिरे से शुरुआत करने की चुनौती का सामना करना पड़ा।” और बच्ची के साथ रेप करने से पहले वह एक ‘मिलनसार’ और ‘पारिवारिक व्यक्ति’ के रूप में जाना जाता था।

इसमें मुस्लिम बलात्कारी के अपने परिवार और बच्चों के प्रति ‘प्रेम’ को भी उजागर किया गया है, और कहा गया है कि दिरी अल-इहसान इस्लामिक सेंटर मस्जिद में एक सक्रिय स्वयंसेवक भी तरह रहा है, ‘ हर शुक्रवार की नमाज, रमजान और सामुदायिक कार्यक्रमों के दौरान वह एक्टिव रहता था।’

अल-इहसान इस्लामिक सेंटर के कार्यकारी निदेशक अहमद अंशुर के इस पत्र पर हस्ताक्षर हैं। इसमें दिरी के ‘गुणों’ का वर्णन है। इसमें लिखा गया है, “आप अक्सर दिरी को बुज़ुर्गों को घर पहुँचाने में मदद करते या बाहर सफाई में मदद करते पाएँगे। उनमें सेवा भाव है और हमारे समुदाय को एकजुट रखने वाले की प्रतिबद्धता है।”

पत्र में लिखा गया है, “एक ऐसा व्यक्ति जिसने हर काम परिवार और समुदाय के लिए किया हो, उसकी ऐसी हालत देख कर हम सकते में हैं। हम सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि इस पत्र के जरिए कलीनल दिरी के व्यक्तित्व को समझा जाए। उनके योगदान भले ही सुर्खियाँ न बनें, लेकिन समुदाय के लिए काफी सकारात्मक रहे हैं।”

अल-इहसान सेंटर ने एक बलात्कारी को एक नायक और पीड़ित के रूप में पेश किया क्योंकि वह एक मुसलमान है। उसे उस वक्त उस बच्ची के बारे में नहीं सोचा, जिसे 12 साल की उम्र में डिरी की दरिंदगी का सामना करना पड़ा। इस्लामिक सेंटर ने घटना का जिक्र तक नहीं किया, निंदा करना तो दूर की बात है।



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