कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी बिहार में 16 दिनों की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाल रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने 17 अगस्त 2025 को सासाराम से की थी। वोट चोरी के नाम पर जनता को बरगलाने के लिए जो मजमा लगाया गया था उसमें लालू यादव सहित कॉन्ग्रेस के सहयोगी दलों के नेता भी थे। लेकिन सासाराम के लोगों ने ही इस यात्रा के मकसद पर सवाल उठाए हैं।
कॉन्ग्रेस और RJD के पाप गिनाते हुए लोगों ने कहा है कि वे रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने के लिए, यह ढोंग कर रहे हैं। बिहार के लोगों का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग ने SIR की प्रक्रिया के तहत जो कुछ भी किया है वो सही है। इन लोगों से बातचीत का वीडियो बिहार के डिजिटल पोर्टल लाइव सीटीज ने अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया है।
‘जिसका खानदान चोर है वो दूसरों को वोट चोर बोलेगा’
बातचीत के दौरान एक शख्स ने राहुल गाँधी के आरोपों पर कहा, “जिसका खानदान ही चोर हो और अगर वो दूसरे को चोर बोले तो यह ठीक नहीं है। सरदार पटेल जी को प्रधानमंत्री बनना था लेकिन जवाहरलाल नेहरू बन गए और तभी से कॉन्ग्रेस वोट चोरी कर रही है।” शख्स ने कहा कि राहुल गाँधी का कोई असर नहीं है।
उन्होंने कहा, “वह (राहुल गाँधी) कह रहे हैं कि अगर वोट चोरी हुआ है तो हमारे पूरे रोहतास जिले में देखा जाए कि विधायक किस पार्टी के हैं। मनोज राम अभी-अभी जीते हैं तो फिर वो भी वोट चोरी करके जीते हैं।”
जिन मनोज का जिक्र इस शख्स ने किया है वो सासाराम सीट से कॉन्ग्रेस के सांसद हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को करीब 20,000 वोटों से हराया था। अब लोग तो पूछेंगे है कि जहाँ से आप रैली कर रहे हैं, आपकी पार्टी का सांसद है क्या वहाँ आपने भी वोट चोरी की थी?
पूरे रोहतास जिले के बात करें तो इसके तहत आने वाली तीनों लोकसभा सीटों (बक्सर, सासाराम और काराकाट) पर गैर बीजेपी दलों के सांसद हैं। इनमें एक सांसद RJD, एक कॉन्ग्रेस और एक CPI (ML)(L) से है। इस जिले के तहत आने वालीं 7 विधानसभा सीटों पर भी सिर्फ एक बीजेपी विधायक हैं। बाकी 4 सीटें RJD और 1-1 सीट कॉन्ग्रेस व CPI (ML)(L) के पास है।
‘कॉन्ग्रेस की वोट चोरी की परंपरा’
एक अन्य शख्स ने बातचीत के दौरान कहा कि राहुल गाँधी का बयान ऐसा है जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। शख्स ने कहा, “कॉन्ग्रेस की वोट चोरी की परंपरा है। सबसे पहली वोट चोरी 1975 में हुई, जब इंदिरा गाँधी ने वोट चोरी कर चुनाव जीता, कोर्ट ने उनका चुनाव रद्द किया और देश को आपातकाल जैसा गंभीर परिणाम भुगतना पड़ा।”
‘तेजस्वी यादव के बिहार को चूना लगाने’ के बयान पर शख्स ने कहा, “तेजस्वी के पिताजी खुद चारा घोटाले में बिहार को चुना लगा चुके हैं। तो वह वहीं बात कहेंगे।”
एक अन्य शख्स ने कहा, “ये लोग बेल पर छूटे हुए लोग हैं और नकारात्मकता की राजनीति कर रहे हैं। इसी नकारात्मकता की राजनीति के चलते ये लोग हाशिए पर हैं। कोई भी इनके साथ नहीं है।”
‘गाँधी परिवार ने उड़ाईं संविधान की धज्जियाँ’
एक अन्य शख्स ने गाँधी परिवार पर संविधान की धज्जियाँ उड़ाने और राष्ट्रपति का अपमान करने का भी आरोप लगाया है। शख्स ने कहा, “ये चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे। आयोग पर सवाल उठाने का मतलब है कि आप संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। संविधान को इन्होंने मजाक बना डाला है।”
उन्होंने आगे कहा, “भाई, बहन, माँ ये जितने भी लोग हैं इन्होंने संविधान की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। इन्होंने बाबा साहब का अपमान किया हैं और सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान किया है।” ऐसे लोगों का कहना है कि अगर वोट चोरी की होती तो उन क्षेत्रों में भी बीजेपी जीत जाती जहाँ अभी हारी है। कुछ लोगों खुलकर चुनाव आयोग के समर्थन में हैं और बिहार की SIR प्रक्रिया को पूरी तरह सही बता रहे हैं।
‘SIR गलतियों को सुधारने की कोशिश, इससे तकलीफ क्यों?’
बिहार चुनाव में विपक्ष ने मतदाता सूची की SIR प्रक्रिया को लेकर हल्ला बोला हुआ है। विपक्ष द्वारा लगातार वोट काटने के आरोप लगाए जा रहे हैं। SIR के बाद जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची से चुनाव आयोग ने पुराने 65 लाख से अधिक नाम हटा दिए हैं, जिसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है।
एक शख्स ने इसे लेकर कहा, “जिन लोगों का नाम हटा है उनमें से 50% लोगों का दो जगह नाम होगा। मेरा नाम मेरे गाँव में भी है और सासाराम में भी है और एक जगह कटना बहुत जरूरी है। इसलिए SIR बहुत जरूरी है। कहीं ना कहीं गलतियाँ तो हैं और अगर कोई उस गलती को सुधारने का प्रयास करे तो हमें क्यों तकलीफ हो रही है? मतलब कि हम खुद गलत हैं। चुनाव आयोग जो कर रहहे है वो देश हित में है।” वहीं, एक अन्य शख्स ने कहा कि गलत अफवाह फैलाने से कुछ नहीं होगा क्योंकि बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर पूछ रहे हैं कि नाम कैसे कटा है।
‘कॉन्ग्रेस को रोहिंग्याओं के वोट कटने का दर्द है’
एक शख्स ने दावा किया है कि कॉन्ग्रेस का असल दर्द विदेशी ताकतों का कमजोर होना और रोहिंग्याओं का वोट कटना है। शख्स ने कहा, “नाम देश में किसी का नहीं कटा है। कॉन्ग्रेस दोमुँही बातें करती है। कर्नाटक के मुद्दे को लेकर इसने पूरे देश में हंगामा मचाया कि वोटर लिस्ट गलत है। वहाँ चुनाव जीती भी। लेकिन जब यहाँ SIR के तहत चुनाव आयोग पूरी तरह लगा कि मतदाता सूची को शुद्ध कर दिया जाए, तो कॉन्ग्रेस ने फिर ड्रामा शुरू कर दिया है।”
शख्स ने आगे कहा, “इनका असली दर्द क्या है? इनका दर्द रोहिंग्याओं का दर्द है। इनका दर्द विदेशियों का दर्द है। यह पार्टी देशहित में नहीं, विदेशियों के लिए जीती है। कॉन्ग्रेस के पेट में दर्द इस बात का है कि विदेशी ताकतें कमजोर हो रही हैं और रोहिंग्या जैसे विदेशी घुसपैठियों का वोट कट रहा है।”
‘4-4 जगह वोट दे रहे थे रोहिंग्या, उनका नाम कटा’
एक शख्स ने कहा कि SIR के तहत अवैध नामों को काटा गया है। शख्स ने कहा, “रोहिंग्या यहाँ पर आकर पनाह लेकर के वो चार-चार जगह नाम जुड़वा करके वोट देने का काम करते थे।” उसने कहा कि अब फिर से तेजस्वी यादव और लालू यादव का जंगलराज बिहार में नहीं लौटेगा।
‘लोकतंत्र पर सवाल उठा रहे लोकतंत्र के हत्यारे’
एक शख्स ने कहा, “लोकतंत्र की हत्या करने वाले कॉन्ग्रेसी और RJD के लोग आज लोकतंत्र के ऊपर सवाल उठा रहे हैं। जो सेना के ऊपर सवाल उठा सकता है तो उनके लिए चुनाव आयोग क्या चीज है?”
एक शख्स ने कहा कि जिन वोटरों का निधन हो गया है राहुल गाँधी उन्होंने जिंदा करने आए थे। राहुल उन्हें बताने आए थे कि जाओ और अवैध रूप से वोट करो। जो लोग यहाँ से चले गए हैं, उनको राहुल गाँधी बोल रहे हैं कि जिंदा हो जाओ और यही रहो डबल वोटर बनकर।
एक अन्य शख्स ने कहा कि विपक्षियों ने बिहार को एक ऐसा नासूर दिया है जिसके चलते बिहार में कोई उद्योग लगाने को तैयार नहीं है। विपक्षियों ने घोटाले किए जिसके बाद उद्योगपति यहाँ आने से कतरा रहे हैं।
कुछ मिलाकर देखा जाए तो राहुल गाँधी या अन्य विपक्षी दलों के चुनाव आयोग पर जो आरोप हैं, उनका असर लोगों तक नहीं पहुँचा है। जिन 65 लाख कटे नामों के सहारे राहुल गाँधी राजनीतिक संजीवनी खोजने की कोशिश कर रहे हैं उनका असर लोगों पर इसलिए भी नहीं दिख रहा है क्योंकि लगभग सभी लोगों के नाम वोटर लिस्ट में मौजूद हैं। ऐसे में लोगों द्वारा विरोध किए जाने का कोई तुक नहीं हैं।