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जिस लाल झंडे का ‘कत्लेआम’ से जुड़ा है इतिहास, ईरान ने उसे अपनी सबसे बड़ी मस्जिद पर फहराया: जानें इजरायल के साथ जंग के बीच ‘इस्लामी मुल्क’ दे रहा क्या संदेश; कभी दिल्ली में ये दिखा था


ईरान जामकारन लाल झंडा

इजरायल और ईरान के बीच में तनाव हमलों का रूप ले चुका है। एक ओर इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम से मिशन शुरू कर हमले शुरू किए। इसके बाद ईरान ने भी ‘टू प्रॉमिस थ्री’ इसराइल पर जवाबी हमले शुरू कर दिए। तनाव बढ़ने के साथ अब ईरान ने जामकारन मस्जिद पर लाल झंडा भी फहरा दिया है। इस लाल झंडा का महत्व ऐतिहासिक भी है और धार्मिक भी। लाल झंडे से ईरान दुनिया को स्पष्ट रूप से अपना संदेश देना चाहता है।

जामकारन पर लाल झंडा

जनवरी 2020 में अमेरिका ने बगदाद में एक एयर स्ट्राइक में ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर कासिम सुलेमानी को मार गिराया था। इसके बाद ईरान के कोम शहर की जमकारन मस्जिद के गुंबद पर पहली बार लाल झंडा लहराया गया। इसे अमेरिका के खिलाफ ईरान के जंग के ऐलान के तौर पर देखा जा रहा था। इसके बाद इजरायल के खिलाफ अप्रैल 2024 में और हमास नेता इस्माइल हानियेह की तेहरान में हत्या के बाद 31 जुलाई 2024 को भी ये लाल झंडा फहराया गया।

इस लाल झंडे का ईरान के लिए जितना महत्व है, उसकी ऐतिहासिकता उतनी ही भारत से भी जुड़ी हुई है। भारत की बात करें तो 1739 में पर्सिया से आए नादिरशाह ​ने चाँदनी चौक की सुनहरी मस्जिद पर लाल झंडा फहराया। वहीं से खड़े होकर वह अपनी फौज को दिल्ली की गलियों को खून से रंगते निहार रहा था। असल में लाल झंडा शिया परंपरा में खूनी प्रतिशोध का प्रतीक होता है। झंडे पर लिखा था, ‘जो लोग हुसैन के ख़ून का बदला लेना चाहते हैं’। शिया परंपरा के अनुसार, लाल झंडे पर लगे खून के छींटे मारे गए व्यक्तियों का बदला लेने का प्रतीक है।

अब आते हैं ईरान पर, यही लाल झंडा अब ईरान के कोम शहर की जमकारन मस्जिद के गुंबद पर लहरा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोम शहर से कुछ 6 किलोमीटर पूर्व में जामकारन गाँव में कोम-काशान मार्ग पर ये मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण 393 हिजरी यानी 1003 ईसवीं में शिया इस्लाम के 12वें इमाम, इमाम महदी के आदेश पर बनाया गया था।

कब शुरू हुए हमले

शुक्रवार (13 जून 2025) और शनिवार (14 जून 2025) को इजरायल और ईरान के बीच हमले चरम पर पहुँच गए हैं। जहाँ एक ओर इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमले किए हैं तो उसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन्स और मिसाइलें दागी हैं।

इजरायल ने शुक्रवार (13 जून 2025) की सुबह 5:30 बजे ईरान पर अपना सबसे बड़ा हवाई हमला शुरू किया था। ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ नाम से शुरू किए गए मिशन के तहत इजरायली फाइटर जेट्स और ड्रोन्स के जरिए 100 से अधिक जगहों पर हमले किए गए।

शुक्रवार की ही देर रात इजरायल ने फिर से ईरान पर हमला कर उसके परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों में अब तक 78 लोग मारे गए हैं और 350 से ज्यादा घायल हुए हैं। असल में इजरायल और अमेरिका नहीं चाहते कि ईरान परमाणु शक्ति बने, इसलिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर ये हमले किए गए हैं। इन हमलों से ईरान के परमाणु ठिकानों के साथ मिसाइल और सैन्य ठिकानों को काफी नुकसान पहुँचा है।

इन हमलों के जवाब में ईरान ने ‘ट्रू प्रॉमिस थ्री’ नाम से ऑपरेशन चलाया और इजरायल पर 150 से ज़्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इनमें से 6 मिसाइलें राजधानी तेल अवीव में गिरीं, जिसमें 1 महिला की मौत हो गई और 63 लोग घायल हो गए।

ईरान का जामकारन मस्जिद पर लाल झंडा फहराने के पीछे राजनीतिक महत्व भी है। इसके जरिए ईरान ने हमले का बदला लेने का ऐलान कर दिया है। अब ये देखना होगा कि इजरायल और अमेरिका ईरान के इस संदेश को समझ कर क्या कोई नई रणनीति तैयार करेंगे या फिर ईरान का ये ऐलान मूर्त रूप लेने में कामयाब होगा।

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