चेनाब ब्रिज

22 वर्ष की मेहनत, 1300 से ज्यादा भारतीयों के पौरुष और 28 हजार टन स्टील से भारत ने अपने मुकुट जम्मू कश्मीर में घाटी को चीरने वाली चेनाब नदी के ऊपर एक पुल बना कर तैयार कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब इसका उद्घाटन किया तो प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जो अंग्रेज ना कर सके, जो महाराजा के राज में ना हो सका, वो आपने कर दिखाया। 

पहली बार देश के दूसरे हिस्से से चली कोई रेल श्रीनगर पहुँची। इस काम में दिन रात पसीना बहाने वाले भारतीयों का ₹1400 करोड़ से अधिक टैक्स का पैसा लगा। लेकिन जब आइफिल टॉवर से भी ऊँचा यह ब्रिज तैयार हुआ, तो हर भारतीय के मन में उमंग आई। 

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भले ही भारतीय इस उपलब्धि से प्रसन्न हुए हों, आज भी दिमाग में औपनिवेशिक विचारधारा लेकर बैठे अंग्रेजों को इससे चिढ़ हो गई। कश्मीर के लोगों को महज कुछ घंटों में भारत के बाकी हिस्सों में ले आने वाला यह ब्रिज एक ब्रिटिश टीवी चैनल को कश्मीरियों पर पकड़ मजबूत करने का साधन दिखाई पड़ा। 

इस ब्रिटिश चैनल का नाम है टीवी 4। उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के नशे में आज भी चूर चैनल 4 ने हाल ही में कश्मीर में बनाए जा रहे हजारों करोड़ के इन्फ्रा को लेकर एक वीडियो प्रकाशित की। लगभग 10 मिनट के वीडियो में चैनल 4 ने चेनाब पर बनाए नए ब्रिज और श्रीनगर के जाम को खत्म करने के लिए बनाई गई जा रही रिंग रोड को लेकर प्रोपेगेंडा किया। 

चैनल 4 दावा करता है कि भारतीय सेना कश्मीर के हर शहर में मौजूद है और इसकी शहर दर शहर मौजूदगी है। उसका यह भी दावा है कि कश्मीर के भीतर वर्तमान में 7.5 लाख से अधिक सैनिक मौजूद हैं। उसका यह दावा हास्यास्पद और जमीनी सच्चाई से कोसों दूर है।

कश्मीर बीते 80 साल से पाकिस्तानी हमलों और बीते 35 सालों से पाकिस्तान के पाले आतंकवाद से जूझ रहा है। इस आतंकवाद ने बीते 35 सालों में 5000 से ज्यादा भारतीय सुरक्षाबलों और 15000 से ज्यादा नागरिकों की जिंदगियां ली हैं। 

इसी आतंकवाद के चलते हजारों लाखों कश्मीरी हिंदू और सिख अपनी ही जमीन से विस्थापित हो गए। हिंदू महिलाओं का रेप, उनकी हत्याएं हुईं। इसी आतंकवाद ने कश्मीर के बच्चों के हाथ में पत्थर और एके 47 पकड़ा दिए। इसी ने कश्मीर घाटी को दशकों पीछे धकेल दिया। 

इससे निपटने को भारतीय सुरक्षाबल हर शहर क्या, हर गली में तैनात किए जाएँगे। भारत सरकार का पहला काम है अपने नागरिकों को सुरक्षित करना। चाहे वह कश्मीर में रहते हो या ईटानगर में। उन्हें सुरक्षित करने के लिए यदि सुरक्षाबलों की तैनाती करनी पड़ी, तो की ही जाएगी। 

ब्रिटिश चैनल का इस बात पर रोना एकदम गलत है। उसने यह दावा किया है कि कश्मीर के भीतर 7.5 लाख से अधिक सैनिक तैनात हैं। यह संख्या जैसे कहाँ से मिली, यह नहीं मालूम। क्योंकि भारत कभी भी तैनाती संबंधित जानकारियां सार्वजनिक नहीं करता। 

अमेरिका को अपनी सुरक्षा गिरवीं रखने वाला ब्रिटेन अब यह नहीं समझ सकता कि कश्मीर उन दो देशों से घिरा हुआ है, जो भारत से 5 बार युद्ध लड़ चुके हैं। छोटी मोटी लड़ाइयों की गिनती ही नहीं है। पाकिस्तान और चीन का सामना करने को हमेशा सुरक्षाबल तैनात करने ही पड़ेंगे। इसके लिए इंफ्रा भी बनाना ही पड़ेगा। 

भारत को सेना की तैनाती पर ज्ञान देने वाला ब्रिटेन यह भूल जाता है कि उत्तरी आयरलैंड में 1960 के दशक के बाद चालू हुई आजादी की लड़ाई को कुचलने के लिए जाने लगातार 15000 से अधिक सुरक्षाबल तैनात कर रखे थे। ब्रिटिश चैनल 4 इसी वीडियो में कश्मीर के भारत में विलय और 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने पर भी प्रलाप करता है। 

चैनल 4 का दावा है कि अनुच्छेद 370 हटाने से कश्मीरियों को चोट पहुँची है। वह कुछ कथित विशेषज्ञों को भी वही वामपंथी भाषा बोलने के लिए बुलाता है। इसमें उनका दावा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से कश्मीरियों को कोई फायदा नहीं होगा।

इन मूढ़ मति लोगों को क्या यह नहीं मालूम कि यदि सैन्य टुकड़ी चेनाब ब्रिज से 3 घंटे में कश्मीर पहुंचेगी तो कश्मीर का आम युवा भी तो पढ़ने और सामान्य व्यापारी अपने काम के लिए 3 घंटे में ही देश के बाकी हिस्से में पहुंचेगा। 

इस ब्रिटिश चैनल का एक दावा और भी है। इसका कहना है कि श्रीनगर के चारों तरफ बनाई जा रही रिंग रोड के आसपास जो बस्तियां बसाई जाएंगी, वो असल में बाहरियों को बसाने का एक प्लान है। भले अभी तक सरकार ने ऐसी कोई मंशा ना जताई हो और ना है ही।

यह ब्रिटिश संस्थान यह क्यों भूलता है कि कश्मीर भी भारत का ही हिस्सा है और जैसे कश्मीर के लोग भारत के बाकी हिस्सों में अधिकारपूर्वक रह सकते हैं, वैसे ही बाकी भारत से भी लोग आकर कश्मीर में रह सकते हैं। इसका दावा है कि अब तक 1 लाख लोग कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 1 लाख लोगों को यहां का निवास प्रमाण पत्र दिया गया है।

सदैव प्रोपेगेंडा मोड में रहने वाले इस ब्रिटिश चैनल को यह नहीं पता कि जम्मू कश्मीर में बीते 70 सालों से वाल्मीकि समुदाय के हजारों लोगों को नागरिकता नहीं दी गई थी और उन्हें सिर्फ साफ सफाई के काम के लायक समझा गया था। अब इस सांवैधानिक बदलाव ने उन्हें भी दोयम दर्जे से उठा कर भारतीय नागरिक होने का सम्मान दिया है। 

ब्रिटिश चैनल का यह अंतहीन प्रोपेगेंडा कभी खत्म नहीं होने वाला। यदि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के भीतर इंफ्रास्ट्रक्चर ना बनाती, तो इसी ब्रिटिश चैनल का कहना होता कि देश के आर्थिक विकास के बावजूद कश्मीरियों को सुविधाओं से महरूम रखा जा रहा है।

जब भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया तो उसकी चिंता है कि कहीं भारतीय सेना इसका उपयोग ना कर ले। असल में यह और कुछ विदेशी मीडिया का दोगलापन है जो छठे छमासे बाहर आ ही जाता है। ब्रिटिश मीडिया ही यह कहती हो, ऐसा नहीं है।

अमेरिकी संस्थान न्यू यॉर्क टाइम्स ने भी कुछ ऐसा ही दावा कुछ दिन पहले किया था। उसने भी इंफ्रा के इस्तेमाल को लेकर रोना रोया था। दरअसल, इनकी व्यथा यह नहीं है कि कश्मीर के लोगों को क्या समस्याएं होती हैं या वहां इंफ्रा क्यों बन रहा है।

इनकी व्यथा है कि कश्मीर में भारत ने आतंकवाद से लड़ते हुए लाखों करोड़ का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया है। इन देशों की कश्मीर पर चौधराहट को स्वीकार करने से मना कर दिया है, यह इनकी पीड़ा का मूल है। इनकी यह पीड़ा अब कम से कम तब तक नहीं खत्म होगी, जब तक मोदी सरकार देश की सत्ता में विराजमान है।

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