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जय श्री राम की बात झूठी, बांकुरा पुलिस का फैक्ट चेक, द वायर की गलत रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के बांकुरा में एक मुस्लिम फेरीवाले पर हमले की खबर को ‘द वायर’ ने तोड़-मरोड़कर सांप्रदायिक रंग देकर पेश किया और एक आर्टिक्ल छाप दिया। वेबसाइट ने लिखा कि 60 साल के मइमूर अली मंडल को ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया और मना करने पर चाकू मारा गया। लेकिन अब पुलिस की जाँच और आधिकारिक बयान से साफ हो गया है कि ‘द वायर’ की कहानी भ्रामक, तथ्यहीन और समाज में जहर घोलने वाली थी।

बांकुरा पुलिस ने खुद प्रेस नोट जारी कर कहा है कि घटना पूरी तरह ‘अपराध की श्रेणी’ में आती है, इसका ‘कोई धार्मिक या सांप्रदायिक पहलू नहीं’ है। हमलावर ने पैसों के लिए हमला किया और वो नशे की हालत में था। पुलिस ने आरोपित को एक घंटे के अंदर गिरफ्तार भी कर लिया। फिर भी ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में पूरे मामले को ‘हिंदू बनाम मुस्लिम’ की शक्ल दे दी और एकतरफा बयानबाज़ी पर आधारित कहानी चला दी।

क्या है असली मामला?

6 सितंबर 2025 की दोपहर बांकुरा में एक मुस्लिम फेरीवाले मइमूर अली मंडल पर चाकू से हमला हुआ। आरोपित ने मंडल से ₹200 माँगे, जो फेरीवाले मइमूर ने देने से मना किया। इसके बाद आरोपित ने हमला कर दिया। पुलिस की शुरुआती जाँच में यह बात सामने आई कि आरोपित नशेड़ी है और उसका कोई पूर्व आपराधिक या सांप्रदायिक रिकॉर्ड नहीं है।

घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मंडल की शिकायत पर केस दर्ज किया और तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपित समीर साहिस को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित लोकपुर कद्मापाड़ा का रहने वाला है। बांकुरा और ओंदा पुलिस की संयुक्त टीम ने पूरे मामले को ट्रैक कर यह स्पष्ट किया कि घटना का कोई धार्मिक या ‘जय श्री राम’ जैसे नारे से संबंध नहीं है। पुलिस ने यह भी कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निपटा जाएगा।

‘द वायर’ का एजेंडा उजागर

पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि कुछ सोशल मीडिया हैंडल्स और रिपोर्ट्स ने घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, जो पूरी तरह गलत और भ्रामक है। ऐसी सूचनाएँ कानून व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुँचा सकती हैं। इसके बावजूद ‘द वायर’ ने न सिर्फ एकपक्षीय बयान छापा, बल्कि पूरे बांकुरा शहर की छवि खराब करने की कोशिश की। यह दर्शाकर कि वहाँ मुस्लिमों पर धार्मिक हमले हो रहे हैं।

हकीकत यह है कि मंडल खुद पिछले 32 सालों से बांकुरा में काम कर रहे हैं और स्थानीय लोगों से उनका हमेशा अच्छा व्यवहार रहा है। यह बात उन्होंने खुद अपने बयान में भी मानी है। लेकिन ‘द वायर’ ने उसे दरकिनार कर अपने ढर्रे के मुताबिक पूरे मामले को हिंदुत्व की आड़ में मुस्लिम विरोधी हमला बना दिया।

सोचिए, अगर पुलिस ने वक्त पर फैक्ट चेक न किया होता?

‘द वायर’ जैसी वेबसाइटों की यही चाल है- असत्य को सत्य की शक्ल में परोसना, ताकि समाज में अस्थिरता फैले और धार्मिक विभाजन गहराए। जब पुलिस की आधिकारिक जाँच और FIR यह साफ कह रही है कि ‘जय श्री राम’ बोलने का कोई ज़िक्र पुख़्ता रूप से साबित नहीं हुआ है, तब ‘द वायर’ का इस बात को बढ़ा-चढ़ाकर छापना क्या सिर्फ ‘खबर’ देना है? या फिर जानबूझकर समाज को गुमराह करना?

ये रिपोर्टिंग नहीं, प्रोपेगेंडा

बांकुरा पुलिस का कहना है कि ऐसे भ्रामक दावों को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर भी लोगों से अपील की गई है कि वे बिना जाँचे-परखे किसी भी खबर पर भरोसा न करें। इस मामले में सिर्फ एक नशेड़ी के हमले को सांप्रदायिक हिंसा बताकर ‘द वायर’ ने न सिर्फ अपनी पत्रकारिता की विश्वसनीयता खोई है, बल्कि उन लोगों की भावनाओं से खेला है जो पहले से ही समाज में असुरक्षित महसूस करते हैं।

सवाल ये है- क्या ‘द वायर’ अब इस गलत रिपोर्टिंग के लिए माफी माँगेगा? या फिर हमेशा की तरह, सच को दबाकर अपनी फर्जी नैरेटिव की दुकान चलाता रहेगा?



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