जगन मोहन रेड्डी को अंतरिम जमानत

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को हिट एंड रन मामले में राहत दे दी है। 18 जून 2025 को गुंटूर जिले में एक रोड शो के दौरान वाईएसआरसीपी समर्थक चीली सिंगैया की उनकी गाड़ी के नीचे आने से मौत हो गयी थी। पुलिस जाँच में भी सामने आया कि जिस गाड़ी से ये हादसा हुआ वह जगन मोहन रेड्डी की थी। पुलिस ने उनकी गाड़ी को जब्त कर लिया था।

कोर्ट ने 27 जून के अपने आदेश में पुलिस को रेड्डी और दूसरे आरोपियों के खिलाफ 1 जुलाई तक कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा। हालाँकि एफआईआर को रद्द करने की रेड्डी की याचिका पर भी सुनवाई रोक दी।

वाईएसआरसीपी के 55 वर्षीय समर्थक सिंगैया की 18 जून 2025 को एक रोड शो के दौरान आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के वाहन से कुचलकर मौत हो गई थी। यह घटना गुंटूर जिले के एतुकुरु गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भगवान अंजनेया मंदिर के पास हुई थी। उस वक्त रेड्डी आत्महत्या करने वाले एक पूर्व सरपंच के परिवार से मिलकर लौट रहे थे।

55 वर्षीय चीली सिंगैया रेड्डी पूर्व सीएम पर फूल बरसाने की कोशिश कर रहे थे। अचानक वह फिसलकर गिर गए। रेड्डी की कार का अगला दाहिना पहिया सिंगैया की गर्दन पर चढ़ गया, जिससे उनकी मौत हो गई। रेड्डी की कार से कुचले गए व्यक्ति का वीडियो इंटरनेट पर वायरल भी हुआ था।

शुरुआत में पुलिस ने दावा किया था कि पीड़ित को एक प्राइवेट कार ने कुचला है, लेकिन सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुआ उसमें साफ दिखा था कि जो रेड्डी की कार के अगले पहिए के नीचे आ गये थे। कार उन्हें कुचल कर आगे बढ़ गई। हालाँकि जब लोगों ने उन्हें बाहर निकाला तो उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें अस्पताल भेजा गया।

घटना के वक्त रेड्डी यात्री सीट की तरफ कार की खिड़की से बाहर खड़े होकर लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। इस मामले में जगन मोहन रेड्डी को भारतीय दंड संहिता की धारा 105 के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए आरोपी नंबर 2 और उनके ड्राइवर को आरोपी नंबर 1 बनाया गया। इसके अलावा वाईएसआरसीपी सांसद वाई.वी. सुब्बा रेड्डी, पूर्व मंत्री पेरनी वेंकटरमैया और विदादला रजनी और रेड्डी के सहायक के. नागेश्वर रेड्डी को भी आरोपी बनाया गया है।

हाईकोर्ट ने हिट एंड रन केस से कुंभ में मची भगदड़ की तुलना की

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस के श्रीनिवास रेड्डी ने सड़क दुर्घटना के लिए वाहन में सवार यात्रियों से जुर्माना वसूलने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया। जस्टिस ने महाधिवक्ता दम्मलपति श्रीनिवास से पूछा कि दुर्घटना के लिए कार में बैठे लोगों को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?

जस्टिस रेड्डी ने महाकुंभ में मची भगदड़ का जिक्र करते हुए कहा, “सभी सावधानियों के बावजूद, कुंभ मेले में भी दुर्घटनाएँ हुईं।”

जस्टिस रेड्डी ने करोड़ों भक्तों की आस्था का केन्द्र रहे कुंभ मेले में हुए हादसे से लापरवाही से हुए कार दुर्घटना की तुलना कर दी। कोर्ट के कहने का मतलब है कि अच्छी तरह से कार्यक्रम आयोजित करने के बावजूद त्रासदियाँ हो जाती हैं। चाहे वह कुंभ मेला हो या कोई राजनीतिक रोड शो। इसके लिए आरोपित व्यक्तियों को लापरवाह नहीं माना जा सकता।

हालाँकि यह तुलना बहुत ही चौकाने वाला है। कुंभ मेले में करोड़ों लोग हर दिन आते हैं और डुबकी लगाते हैं। यहाँ भीड़ प्रबंधन खुद में काफी चुनौतीपूर्ण कार्य माना जाता है। जैसा कि इस साल महाकुंभ में भगदड़ के दौरान देखा गया। कभी-कभी भारी भीड़ और अफवाह भी भगदड़ का कारण बनती हैं।

कुंभ मेले जैसी भीड़ की तुलना जगन मोहन रेड्डी के रोड शो से नहीं की जा सकती। हालाँकि भीड़ यहाँ भी थी, लेकिन वाहनों के काफिले के साथ एक नियंत्रित राजनीतिक कार्यक्रम था। हालाँकि ऐसे आयोजनों में भीड़ का जोश में आना भी सामान्य है। लेकिन नेता की कार के नीचे आने से हुई मौत की बारीकी से घटना की जाँच की माँग करता है। इसमें चालक का आचरण, काफिले ने प्रोटोकॉल का पालन किया या नहीं, कार द्वारा पीड़ित को कुचलने के समय और उसके बाद कार में बैठे लोगों का आचरण आदि शामिल हैं।

कुंभ मेले में हुई भगदड़ के साथ जगन मोहन रेड्डी के कार के नीचे आए व्यक्ति की दुर्घटना में हुई मौत की तुलना मामले को सरलीकृत करने और जाँच की कमजोरी को दर्शाता है।

यह भी याद रखना चाहिए कि पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि पीड़ित को एक निजी वाहन ने कुचल दिया था, जो वाईएसआरसीपी के आधिकारिक काफिले का हिस्सा नहीं था। हालांकि, सोशल मीडिया पर सामने आए घटना के वीडियो में दिखाया गया है कि पीड़ित को एक काली कार के अगले पहिये के नीचे बेरहमी से कुचल दिया गया था, जबकि रेड्डी यात्री सीट की तरफ कार की खिड़की से बाहर निकल रहे थे। वीडियो में देखा जा सकता है कि रेड्डी की कार नहीं रुकी और पीड़ित के कुचले जाने के बाद भी चलती रही। पीड़ित के परिवार ने घटना की जाँच की माँग की है।

इसके अलावा, गुंटूर रेंज के आईजी सर्व श्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि रेड्डी के काफिले में अनुमति से ज्यादा वाहन मौजूद थे। आईजी त्रिपाठी ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़ित की इस तरह से मौत हो गई। प्रारंभिक निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि काफिले में लगभग 30 से 35 वाहन थे, जबकि आधिकारिक तौर पर केवल तीन की अनुमति थी।”

अमीर और शक्तिशाली अक्सर बच निकलते हैं

हिट-एंड-रन मामलों में अक्सर अमीर और शक्तिशाली आरोपित बच निकलते हैं। 2024 के पुणे पोर्श मामले में भी देखा गया कि कैसे एक अमीर बाप के बेटे ने नशे की हालत में अपनी पोर्श टेकन कार से बाइक को टक्कर मार दी और उसपर सवार दो लोगों की मौत हो गयी थी। हालाँकि आरोपित को कुछ ही घंटों के भीतर जमानत मिल गई। यहाँ तक कि किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपित को सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का लेख लिखने, 15 दिनों तक यरवदा यातायात पुलिस के साथ काम करने और नशामुक्ति परामर्श लेने का आदेश दिया था।

इसी तरह जेसिका लाल मर्डर केस (1999), संजीव नंदा BMW हिट-एंड-रन केस (1999) जैसे कई मामले हैं, जिनमें पुलिस सुस्त दिखी और सजा अपेक्षाकृत बहुत कम थीं। अब संगैया हिट-एंड-रन केस इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि हमारी न्याय प्रणाली दो तरह की दिखती है। एक हाई-प्रोफाइल आरोपियों का ‘सिस्टम’ है जहाँ आरोपितों के प्रति सिस्टम उदार है। वहीं दूसरे मामले हैं जहाँ लोगों को छोटी घटनाओं पर भी जमानत मिलने में वक्त लग जाता है।

संगैया हिट-एंड-रन मामले में जाँच अभी भी जारी है, लेकिन कोर्ट ने रेड्डी और अन्य को न केवल अंतरिम राहत दी है, बल्कि इस घटना को पहले ही ‘दुर्घटना’ घोषित कर दिया है और इसे कुंभ मेले में हुई भगदड़ में हुई मौतों से तुलना की है।



Source link

Search

Categories

Recent Posts

Tags

Gallery