प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार (30 जुलाई 2025) को छत्तीसगढ़ में मेडिकल सप्लाई घोटाले के मामले में 18 ठिकानों पर छापेमारी की। यह घोटाला 550 करोड़ (कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार 650 करोड़) से अधिक का है। यह कार्रवाई रायपुर, दुर्ग, भिलाई और आसपास के इलाकों में की गई।
मामला डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस (DHS) और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़ा है। इनके साथ-साथ मोक्षित कॉर्पोरेशन (Mokshit Corporation) नाम की निजी कंपनी भी इसमें शामिल थी। यह घोटाला उस समय हुआ था, जब राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार थी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे।
VIDEO | Durg: ED raids three residential complexes and the office of Mokshith Corporation in connection with the Chhattisgarh Medical Services Corporation Ltd scam case.
(Source: Third Party)#edraid
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/ssssjkdtYK— Press Trust of India (@PTI_News) July 30, 2025
छापेमारी उन लोगों के घर और कार्यालयों में हुई जो इस घोटाले से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े थे, जैसे सरकारी अधिकारी, मेडिकल सप्लायर, एजेंट और कुछ बिचौलिए। ED की टीम ने CGMSCL के पूर्व डिप्टी मैनेजर कमलकांत पाटनवार के घर पर भी छापा मारा। वह फिलहाल जेल में हैं।
आरोप के अनुसार, घोटाले में बिना आवश्यक्ता और जाँच के मेडिकल उपकरण और रसायन खरीदे गए थे। यह पूरा मामला तब सामने आया जब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने मोक्षित कॉर्पोरेशन से जुड़े दस्तावेज ED को सौंपे। इन दस्तावेजों में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले, इसके बाद ED ने यह कार्रवाई शुरू की।
घोटाले की पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ में एक बड़ा मेडिकल घोटाला सामने आया है। राज्य सरकार की संस्था छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) ने जनवरी 2022 से अक्टूबर 2023 तक करोड़ों रुपये का घपला किया था।
ACB और EOW की जाँच में पता चला कि CGMSCL ने मोक्षित कॉर्पोरेशन और उसकी एक शेल कंपनी के साथ मिलकर यह घोटाला किया। जाँच एजेंसियों ने अप्रैल में 18,000 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की, जिसके आधार पर ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जाँच शुरू की है।
चार्जशीट में जिन 6 लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा, CGMSCL के अधिकारी बसंत कुमार कौशिक, छिरोड़ रौतिया, कमलकांत पाटनवार, डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बांधे शामिल हैं। इनमें से कौशिक उस समय CGMSCL में जनरल मैनेजर (इक्विपमेंट) और डिप्टी मैनेजर (पर्चेज) थे, वहीं बाकी लोग भी टेक्निकल या प्रशासनिक पदों पर थे।
22 जनवरी को ACB/EOW ने इनके खिलाफ केस दर्ज किया और साथ ही चार कंपनियों को भी आरोपित बनाया था। इनमें हरियाणा का रिकॉर्ड एंड मेडिकेयर सिस्टम (Records and Medicare System HSIIDC), मोक्षित कॉर्पोरेशन, CB कॉर्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज शामिल है।
ACB/EOW ने बताया कि इस घोटाले में सामान की कीमत को जानबूझकर कई गुना बढ़ा दिया गया। उदाहरण के तौर पर, एक EDTA ट्यूब, जो बाजार में 8.50 रुपए की मिलती है, CGMSCL ने मोक्षित कॉर्पोरेशन से 2,352 रुपए प्रति ट्यूब के भाव पर खरीदी। वहीं, एक CBC मशीन, जिसकी मार्केट कीमत 5 लाख रुपए है, उसे 17 लाख रुपए में खरीदा गया।
इतना ही नहीं, मेडिकल उपकरण खरीदने की जो प्रक्रिया आमतौर पर कई महीनों में पूरी होती है, उसे महज 26 दिन में खत्म कर दिया गया।
यह मामला राज्य विधानसभा में भी उठा, जिसके बाद ED और EOW की छापेमारी तेज हुई। जाँच का मकसद है सरकारी अफसरों और निजी कंपनियों के बीच मिलीभगत के सबूत जुटाना, फर्जी दस्तावेजों की पहचान करना और यह जानना कि इस भ्रष्टाचार की जड़ें कहाँ तक फैली हैं।