पिछले छह साल यानी 2019 से चुनाव नहीं लड़ने वाले राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है। आयोग ने ऐसे सभी पार्टियों को सूची से हटाने के संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिए हैं। फिलहाल इन पार्टियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव आयोग अपना फैसला लेगा कि इन पार्टियों को सूची से बाहर करना है या नहीं।
छत्तीसगढ में ऐसी 9 पार्टियाँ हैं जिन्हें नोटिस थमाया गया है।
- छत्तीसगढ़ एकता पार्टी
- छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा
- छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी
- छत्तीसगढ़ संयुक्त जातीय पार्टी
- छत्तीसगढ़ विकास पार्टी
- पृथक बस्तर राज्य पार्टी
- राष्ट्रीय आदिवासी बहुजन पार्टी
- राष्ट्रीय मानव एकता कांग्रेस पार्टी
- राष्ट्रीय समाजवादी स्वाभिमान मंच
राजस्थान की बात करें तो यहाँ भी ऐसी 9 पार्टियाँ हैं। इनमें पूर्व बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी का नाम भी शामिल है।
राजस्थान की 9 पार्टियाँ
- राजस्थान जनता पार्टी
- राष्ट्रीय जनसागर पार्टी
- खुशहाल किसान पार्टी
- भारत वाहिनी पार्टी
- भारतीय जन हितकारी पार्टी
- नेशनल जनसत्ता पार्टी
- नेशनल पीपुल्स फ्रंट
- स्वच्छ भारत पार्टी
- महाराणा क्रांति पार्टी
दरअसल ये पार्टियाँ चुनाव के समय राजनीतिक फायदे के लिए पेपर पर बनाई जाती हैं। पार्टी बनने पर सरकार से वित्तीय मदद और दूसरी सुविधाओं का लाभ उठा लिया जाता है और धरातल पर इसका वजूद नहीं होता।
भारत में रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 की धारा 29A के तहत राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग करता है। इसमें टैक्स में छूट का भी फायदा मिलता है। चुनाव चिन्ह मिलने और राजनीतिक फायदा उठाने के लिए पार्टियाँ माध्यम बन जाती हैं।
15 दिनों की मोहलत
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इन पार्टियों को 15 दिन में आयोग के ऑफिस आकर जवाब देने के लिए कहा है। पार्टियों के अध्यक्ष, महासचिव या पार्टी प्रमुख जो भी चाहे आयोग आकर जवाब दे सकते हैं। इसमें ये बताना होगा कि 2019 के बाद 6 साल तक इनलोगों ने किसी भी चुनाव में हिस्सा क्यों नहीं लिया? और अब तक धरातल पर क्या-क्या किया है या इनकी गतिविधि चल रही है या नहीं।
नोटिस में ये भी कहा गया है कि यदि वक्त रहते इन पार्टियों के नुमाइंदे आयोग के सामने प्रस्तुत होकर जवाब नहीं दिया तो आयोग इन पार्टियों को निष्क्रिय मानते हुए पार्टियों की सूची से हटा सकता है।
क्यों छीनी जाती है पार्टियों की मान्यता ?
- पार्टियाँ अगर चुनाव आयोग द्वारा तय वोट प्रतिशत से कम वोट पाती हैं तो मान्यता छिन जाती है।
- चुनाव आयोग के नियम और संविधान का उल्लंघन करने पर पार्टियों की मान्यता जा सकती है।
- चुनाव आयोग समय-समय पर समीक्षा करता है कि पार्टियाँ धरातल पर एक्टिव हैं या नहीं।
- अगर कोई राजनीतिक दल टूट जाता है और उसका वजूद नहीं बचता तो पार्टी की मान्यता खत्म हो जाती है।
- अगर पार्टी का रजिस्ट्रेशन गलत तरीके से किया गया हो, तो मान्यता रद्द हो सकती है