अमेरिका का बी-2 स्पिरिट बॉम्बर

अमेरिका ने ईरान में घुसकर उसके तीन न्यूक्लियर साइट्स (परमाणु ठिकानों) को तबाह कर दिया। इसमें उसने बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर (बमवर्षक विमान) का इस्तेमाल किया। ये स्टील्थ फाइटर जेट दुनिया के सबसे खतरनाक और आधुनिक हथियारों में से एक है। ये ऐसा विमान है जो न सिर्फ दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला कर सकता है, बल्कि उनकी रडार (Radar) और हवाई रक्षा (Air Defense) को भी चकमा दे देता है।

ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर अमेरिकी हमले के बाद बी-2 स्पिरिट्स ने एक बार फिर से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ये ऐसा फाइटर जेट है, जिसने बार-बार दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखाई है। ये अमेरिका के न्यूक्लियर ट्रॉयड की रीढ़ है।

बी-2 स्पिरिट की क्षमताओं को समझने के लिए ये जानना जरूरी कि ये फाइटर जेट इतना खास क्यों है? ये कैसे काम करता है? ये कौन-कौन से हथियार ले जा सकता है? ये दुश्मन की नजरों से कैसे बचता है? और इसकी इतनी अहमियत क्यों है?

बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर (बमवर्षक विमान) क्या है?

बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर (बमवर्षक विमान) एक ऐसा फाइटर जेट है, जिसे अमेरिकी कंपनी नॉर्थरॉन ग्रुम्मन ने बनाया। इसकी पहली उड़ान 1989 में हुई थी, और 1997 में इसे अमेरिकी वायुसेना (US Air Force) में शामिल किया गया।

इसका डिज़ाइन बहुत अनोखा है – ये एक चमगादड़ जैसा चपटा विमान है, जिसमें कोई पूँछ या धड़ (Fuselage) नहीं होता। इसे फ्लाइंग विंग डिज़ाइन कहते हैं। इसकी कीमत इतनी ज्यादा है – लगभग 2.1 बिलियन डॉलर (करीब 17,000 करोड़ रुपये) प्रति विमान, कि इसे दुनिया का सबसे महँगा फाइटर जेट माना जाता है।

अमेरिका के पास सिर्फ 21 बी-2 फाइटर जेट हैं, क्योंकि ये इतना महँगा है कि ज्यादा बनाना मुमकिन नहीं हुआ। ये फाइटर जेट खास तौर पर उन मिशनों के लिए बनाया गया है, जहाँ दुश्मन के इलाके में गहरे जाकर, बिना पकड़े गए, हमला करना हो।

ये सामान्य बमों से लेकर परमाणु हथियार (Nuclear Weapons) तक ले जा सकता है। हाल ही में ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए हमले में इसने अपनी ताकत दिखाई, जहाँ इसने 37 घंटे की लगातार उड़ान भरी और बंकर बस्टर बम (Bunker Buster Bombs) दागे।

बी-2 की जरूरत क्यों पड़ी?

बी-2 स्पिरिट का जन्म कोल्ड वॉर (शीत युद्ध) के समय हुआ, जब अमेरिका और सोवियत संघ (अब रूस) के बीच हथियारों की होड़ थी। 1970 के दशक में अमेरिका को एक ऐसे फाइटर जेट की जरूरत थी, जो सोवियत संघ की मजबूत हवाई रक्षा को भेद सके। इसके लिए नॉर्थरॉप ग्रुम्मन ग्रुप ने स्टील्थ तकनीक (Stealth Technology) पर काम शुरू किया।

फोटो साभार: ChatGPT

पहली उड़ान: 17 जुलाई 1989 को बी-2 ने पहली बार उड़ान भरी।

वायुसेना में शामिल: 1997 में इसे आधिकारिक तौर पर अमेरिकी वायुसेना में शामिल किया गया।

पहला युद्ध इस्तेमाल: 1999 में कोसोवो युद्ध में बी-2 का पहली बार इस्तेमाल हुआ। इसने सर्बिया के ठिकानों पर सटीक बमबारी की और बिना पकड़े गए वापस लौट आया।

अन्य मिशन: बी-2 का इस्तेमाल अफगानिस्तान (2001), इराक (2003), और लीबिया (2011) में भी हुआ। हर बार इसने दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर हमले किए।

बी-2 को शुरू में परमाणु हमलों के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे सामान्य युद्धों (Conventional Warfare) के लिए भी तैयार किया गया। इसका डिज़ाइन और तकनीक इतनी खास थी कि ये आज भी दुनिया का सबसे उन्नत फाइटर जेट माना जाता है।

खास फीचर्स बनाते हैं बी-2 को खास

बी-2 की ताकत इसके अनोखे डिज़ाइन और आधुनिक तकनीकों में है। इसे समझने के लिए इसके फीचर्स को आसान तरीके से समझते हैं-

स्टील्थ तकनीक (Stealth Technology): बी-2 को रडार (Radar) पकड़ नहीं सकता। इसका रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) सिर्फ 0.001 वर्ग मीटर है, यानी रडार पर ये एक छोटे से पक्षी जितना दिखता है। इसका चपटा डिज़ाइन और खास पेंट (Radar-Absorbent Material) रडार की तरंगों को सोख लेता है। इसकी गर्मी (Infrared Signature) और आवाज बहुत कम होती है, जिससे इसे सेंसर (Sensors) से पकड़ना मुश्किल है।

लंबी उड़ान की ताकत: बी-2 बिना रिफ्यूलिंग (Refueling) के 6,000 नॉटिकल मील (लगभग 11,000 किमी) तक उड़ सकता है। हवा में रिफ्यूलिंग के साथ ये दूरी 10,000 नॉटिकल मील (19,000 किमी) तक हो सकती है। जैसे, ईरान हमले में इसने मिसूरी से 37 घंटे की उड़ान भरी। ये 50,000 फीट (15,000 मीटर) की ऊँचाई पर उड़ सकता है, जहाँ ज्यादातर एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें (Anti-Aircraft Missiles) नहीं पहुँचतीं।

फोटो साभार: ChatGPT

दो लोगों की टीम: बी-2 को सिर्फ दो लोग चलाते हैं – एक पायलट और एक मिशन कमांडर। इसका कॉकपिट (Cockpit) इतना आधुनिक है कि लंबे मिशनों में भी पायलट थकते नहीं। इसमें ऑटोमेशन सिस्टम (Automation System) हैं, जो काम को आसान बनाते हैं।

हर मौसम में काम: बी-2 दिन हो या रात, बारिश हो या तूफान, हर हाल में मिशन पूरा कर सकता है। इसका जीपीएस (GPS) और नेविगेशन सिस्टम इतना सटीक है कि ये बिल्कुल सही निशाने पर हमला करता है।

लचीलापन: ये ऊँची उड़ान (High-Altitude) और जमीन के करीब (Low-Altitude) दोनों तरह से काम कर सकता है। दुश्मन की रक्षा के हिसाब से ये अपनी रणनीति बदल लेता है।

बी-2 कौन-कौन से हथियार ले जा सकता है?

बी-2 इतने ज्यादा हथियार – 40,000 पाउंड (18,000 किलोग्राम) ले जा सकता है कि इसे ‘उड़ता हुआ हथियारखाना’ कह सकते हैं। ये सामान्य बमों से लेकर परमाणु हथियार तक ले जा सकता है। इसके प्रमुख हथियार हैं-

मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP, बंकर बस्टर): ये 30,000 पाउंड (13,600 किलोग्राम) का भारी बम है, जो जमीन के अंदर बने बंकरों (Bunkers) को नष्ट करता है। ये 200 फीट (61 मीटर) तक जमीन में घुस सकता है और फिर फटता है। पहाड़ के अंदर 300 फीट नीचे ईरान के फोर्डो ठिकाने को 6 MOP बमों से नष्ट किया गया। बी-2 एक बार में दो MOP ले जा सकता है।

परमाणु हथियार (Nuclear Weapons): बी-2 16 B83 परमाणु बम (2,400 पाउंड प्रत्येक) ले जा सकता है। ये इसे परमाणु हमलों के लिए खास बनाता है। ये अमेरिका के न्यूक्लियर ट्रायड (परमाणु त्रिकोण) का हिस्सा है, जिसमें जमीन, समुद्र, और हवा से हमले की ताकत शामिल है।

सामान्य बम (Conventional Bombs): JDAM (जॉइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशन): ये जीपीएस-गाइडेड बम हैं, जो सटीक निशाना लगाते हैं। बी-2 80 ऐसे 500-पाउंड बम ले जा सकता है।

JSOW (जॉइंट स्टैंडऑफ वेपन): ये ग्लाइड बम हैं, जो दूर से हमला करते हैं।

JASSM-ER (जॉइंट एयर-टू-सरफेस स्टैंडऑफ मिसाइल): ये लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, जो 500 मील (805 किमी) तक निशाना लगा सकती हैं।

टॉमहॉक मिसाइलें (Tomahawk Missiles): ईरान के नतांज और इस्फहान ठिकानों पर 30 टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं। ये लंबी दूरी की सटीक मिसाइलें हैं, जो बी-2 के साथ-साथ अन्य प्लेटफॉर्म्स से भी छोड़ी जा सकती हैं।

बी-2 दुश्मन की पकड़ से कैसे बचता है?

बी-2 को टअदृश्य योद्धाट कहा जाता है, क्योंकि ये दुश्मन की रडार और हवाई रक्षा को आसानी से चकमा दे देता है। इसके पीछे कई खास तकनीकें हैं-

रडार-शोषक सामग्री (Radar-Absorbent Material): बी-2 की बॉडी पर खास पेंट और सामग्री होती है, जो रडार की तरंगों को सोख लेती है। इससे रडार को सिग्नल वापस नहीं मिलता, और विमान स्टील्थ यानी ‘अदृश्य’ रहता है।

फ्लाइंग विंग डिज़ाइन: इसका चपटा और बिना पूंछ वाला डिज़ाइन रडार सिग्नल्स को बिखेर देता है। इसमें कोई नुकीले किनारे नहीं होते, जो रडार की पकड़ में आएँ।

कम गर्मी और आवाज (Low Infrared and Acoustic Signature): बी-2 के इंजन कम गर्मी और आवाज पैदा करते हैं, जिससे इसे इन्फ्रारेड सेंसर (Infrared Sensors) या साउंड डिटेक्टर से पकड़ना मुश्किल है।

हथियार अंदर रखने की जगह (Internal Weapons Bay): इसके सारे हथियार विमान के अंदर रखे जाते हैं, जिससे बाहर कुछ दिखाई नहीं देता। इससे रडार सिग्नेचर और कम हो जाता है।

जैमिंग सिस्टम (Electronic Countermeasures): बी-2 में ऐसे सिस्टम हैं, जो दुश्मन के रडार और मिसाइलों को भटका सकते हैं। ये इसे और सुरक्षित बनाते हैं।

बी-2 की इतनी अहमियत क्यों है?

बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर (बमवर्षक विमान) की अहमियत कई कारणों से है-

रणनीतिक डर (Strategic Deterrence): बी-2 अमेरिका के परमाणु त्रिकोण का हिस्सा है। ये दुश्मनों को ये सोचने पर मजबूर करता है कि अमेरिका उनके सबसे मजबूत ठिकानों को भी नष्ट कर सकता है। इसके 2 और साथी भी हैं -रॉकवेल बी-1 लॉन्सर और बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस।

गहरे हमले की ताकत: बी-2 उन ठिकानों पर हमला कर सकता है, जो जमीन के अंदर गहरे बने हों, जैसे ईरान का फोर्डो बंकर। MOP जैसे बमों के साथ, ये दुनिया में अकेला ऐसा फाइटर जेट है।

दुनिया में कहीं भी हमला: इसकी लंबी उड़ान और हवा में रिफ्यूलिंग की ताकत इसे दुनिया के किसी भी कोने में हमला करने लायक बनाती है।

मनोवैज्ञानिक दबाव: बी-2 का इस्तेमाल दुश्मन पर डर पैदा करता है। जैसे ईरान पर हमले ने दिखाया कि कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।

कम संख्या, बड़ा असर: सिर्फ 21 फाइटर जेट होने के बावजूद, बी-2 की ताकत इतनी है कि ये पूरी जंग का रुख बदल सकता है।

ईरान परमाणु ठिकानों पर बी-2 का इस्तेमाल

21 जून 2025 को अमेरिका ने बी-2 का इस्तेमाल करके ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हमला किया। इस हमले की कुछ खास बातें-

फोर्डो पर हमला: फोर्डो एक ऐसा ठिकाना था, जो पहाड़ के अंदर 300 फीट नीचे बना था। बी-2 ने 6 MOP बमों से इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया।

नतांज और इस्फहान: इन ठिकानों पर 30 टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं, जो सतह पर बने ढाँचों को खत्म करने के लिए थीं।

37 घंटे की उड़ान: बी-2 ने मिसूरी (अमेरिका) से उड़ान भरी, हवा में कई बार रिफ्यूलिंग की और 11,400 किमी की दूरी तय करके हमला किया।

रणनीतिक संदेश: इस हमले ने ईरान को साफ बता दिया कि उनकी सबसे मजबूत सुविधाएँ भी अमेरिका की पहुँच से बाहर नहीं हैं।

फोटो साभार: ChatGPT

बी-2 स्पिरिट बॉम्बर्स का भविष्य

हालाँकि बी-2 अब 36 साल पुराना है, लेकिन ये अभी भी दुनिया का सबसे उन्नत फाइटर जेट है। अमेरिका इसे 2030 तक इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है, जब तक कि नया बी-21 रेडर स्टील्थ बॉम्बर (बमवर्षक विमान) पूरी तरह तैयार न हो जाए। बी-2 को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है, जैसे-

नए रडार और सेंसर: इनसे ये और सटीक और सुरक्षित हो रहा है।

आधुनिक हथियार: नए बम और मिसाइलें जोड़ी जा रही हैं।

सॉफ्टवेयर अपडेट: इससे इसका सिस्टम और तेज और स्मार्ट हो रहा है।

बी-21 रेडर आने के बाद बी-2 धीरे-धीरे रिटायर हो सकता है, लेकिन अभी ये अमेरिका की सैन्य ताकत का अहम हिस्सा है।

अमेरिका का न्यूक्लियर ट्रॉयड क्या है और भविष्य कैसा होगा?

अमेरिका का न्यूक्लियर ट्रॉयड 3 बड़े फाइटर-स्ट्रेटजिक बॉम्बर्स से मिलकर बना है। इसमें हैं – रॉकवेल बी-1 लॉन्सर, बी-2 स्पिरिट और बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस। हालाँकि बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस स्टील्थ नहीं है बल्कि जेट पॉवर्ड स्ट्रेटजिक बॉम्बर है। पर ये बी-2 से भी ज्यादा हथियार ले जा सकता है। वहीं, रॉकवेल बी-1 भी 34 हजार किलो के बम ले जा सकते हैं। ये तीनों साइज में न सिर्फ बड़े हैं, बल्कि पूरी दुनिया में कहीं भी हमला करने में सक्षम हैं और कितने भी बड़े बमों के साथ।

हालाँकि बी-2 स्पिरिट इन सबसे सबसे खास है, क्योंकि वो स्टील्थ यानी अदृश्य रहकर हमला करता है और किसी रडार की पकड़ में नहीं आता। ये तीनों स्ट्रेटजिक बॉम्बर अमेरिका के न्यूक्लियर ट्रॉयड का हिस्सा हैं, जो कन्वेंशनल यानी आम बमों के साथ ही परमाणु बम भी ले जा सकते हैं।

आने वाले समय में इन्हें रिप्लेस किया जाना है। सबसे पहले बी-2 स्पिरिट और बी-1 लॉन्सर 2030 से 2024 तक रिटायर होंगे, इसके बाद 2050 से पहले तक बी-52। इनकी जगह लेने के लिए बी-21 रेडर जेट तैयार हो रहे हैं, जिन्हें लॉन्ग रेंज स्ट्राइक बॉम्बर के तौर पर बनाया जा रहा है। ये स्टील्थ भी होंगे और ज्यादा ताकतवर भी।

बहरहाल, बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर (बमवर्षक विमान) सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि अमेरिका की सैन्य ताकत का प्रतीक है। इसका इतिहास कोल्ड वॉर से शुरू हुआ और आज ये ईरान जैसे मिशनों में अपनी ताकत दिखा रहा है। इसकी स्टील्थ तकनीक, लंबी उड़ान और भारी हथियार ले जाने की ताकत इसे बेजोड़ बनाती है। ये दुश्मन की नजरों से बचकर उनके सबसे सुरक्षित ठिकानों को नष्ट कर सकता है।

भविष्य में बी-21 रेडर इसका स्थान ले सकता है, लेकिन अभी बी-2 दुनिया का सबसे खतरनाक फाइटर जेट है। चाहे रणनीतिक डर हो या गहरे हमले बी-2 हर मोर्चे पर लाजवाब है।

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