गुरु-शिष्य परंपरा को बदनाम करने के लिए कॉन्ग्रेस को साधु-संतों ने फटकार लगाई है। इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है। मठ में ‘बुद्धि शुद्धि पूजा’ का आयोजन किया गया ताकि ऐसी भ्रामक जानकारी फैलाने वालों की बुद्धि शुद्ध हो सके।
राहुल गाँधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों को हवा देने के लिए कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम रामकमल दास को 50 बच्चों का पिता बताते हुए गुमराह करने की कोशिश कर रहा था। जिसके बाद संतों की प्रतिक्रिया सामने आई।
संत समाज की चेतावनी
कॉन्ग्रेस के इस आरोप पर संतों ने कड़ी आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कॉन्ग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए इसे सनातन हिंदू परंपरा को बदनाम करने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और इसे बिना सही जानकारी के राजनीतिक कारणों से बदनाम किया जा रहा है।
कांग्रेस का यह आरोप सनातन हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्माचार्यों को बदनाम करने की साजिश है, बोले अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती @NavbharatTimes pic.twitter.com/01UcdXdh8O
— NBT Uttar Pradesh (@UPNBT) August 12, 2025
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की गलत जानकारी फैलाई जाती रही तो संत समिति कानूनी कार्रवाई करेगी।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट बताती है कि कॉन्ग्रेस जिस मामले को लेकर भ्रम फैला रही है असल में वह मकान नहीं बल्कि एक मंदिर है। मतदाता सूची में दर्ज पता B 24/19 कोई आम मकान नहीं बल्कि राम जानकी मठ मंदिर है, जिसकी स्थापना आचार्य रामकमल दास ने की थी।
वहीं, धार्मिक परंपरा में साधु-संत अपने आधिकारिक दस्तावेजों जैसे- आधार कार्ड या वोटर आईडी में जन्म देने वाले पिता की जगह अपने गुरु का नाम पिता के रूप में लिखवाते हैं। और वाराणसी के राम जानकी मठ में भी ऐसा ही हुआ। इसी वजह से मतदाता सूची में 48 लोगों के पिता के नाम की जगह गुरु का नाम ‘रामकमल दास’ लिखा हुआ है। इसलिए शिष्यों के पते के तौर पर B 24/19 का पता लिखा गया है।
मठ के वरिष्ठ शिष्य अभिराम दास ने भी बताया कि भारत सरकार ने 2016 में एक आदेश जारी कर यह साफ किया था कि साधु-संन्यासी अपने दस्तावेजों में अपने गुरु का नाम पिता के रूप में दर्ज करा सकते हैं।
कॉन्ग्रेस का दुष्प्रचार: परंपरा को बनाया चुनावी हथियार
यूपी कॉन्ग्रेस ने X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा, “वाराणसी में चुनाव आयोग का एक और चमत्कार देखिए! मतदाता सूची में एक ही व्यक्ति ‘राजकमल दास’ के नाम पर 50 बेटों का रिकॉर्ड दर्ज है।”
वाराणसी में चुनाव आयोग का एक और चमत्कार देखिए!
मतदाता सूची में एक ही व्यक्ति 'राजकमल दास' के नाम पर 50 बेटों का रिकॉर्ड दर्ज है!
सबसे छोटा बेटा राघवेन्द्र- उम्र 28 साल,
और सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास- उम्र 72 साल!
क्या चुनाव आयोग इस गड़बड़ी को भी सिर्फ त्रुटि कहकर टाल देगा या… pic.twitter.com/jVmucDKUOe— UP Congress (@INCUttarPradesh) August 12, 2025
इसी मसले पर तथाकथित प्रोपेगेंडाई पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी अपने X अकाउंट से भ्रामक जानकारियाँ फैलाई और लिखा, “ये वाराणसी है… 50 बच्चों के पिता का नाम राजकमल दास.. सबसे छोटा बेटा राघ्वेन्द्र 28 साल का.. सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास 72 साल का..”
ये वाराणसी है…
50 बच्चों के पिता का नाम राजकमल दास..
सबसे छोटा बेटा राघ्वेन्द्र 28 साल का..
सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास 72 साल का.. pic.twitter.com/6488ZBwIQr— punya prasun bajpai (@ppbajpai) August 12, 2025
2 साल पहले भी हुआ था विवाद
संत राजकमल दास को लेकर विपक्ष ने 2 साल पहले भी भ्रामक जानकारियाँ फैलाई थी। लेकिन चुनाव आयोग ने फैक्ट चेक तथ्यों के साथ विपक्ष को जवाब दिया था कि ये पिता-पुत्र नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य है। लेकिन कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम फिर पुराने विवाद को लेकर हंगामा करने पर उतर आया है और मोदी सरकार पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगा रहा है।