IIT गाँधीनगर ने अपने एक प्रोफेसर डॉ. आशीष खाखा को सेवा से हटा दिया है। यह जानकारी खुद संस्थान ने RTI के जवाब में दी है। पहले एक RTI के जरिए यह पूछा गया था कि डॉ आशीष खाखा अब संस्थान में कार्यरत हैं या नहीं, जिस पर जवाब आया कि उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया गया है।

मई 2025 में ऑपइंडिया ने एक रिपोर्ट में डॉ खाखा की सोशल मीडिया एक्टिविटी पर सवाल उठाए थे। इसके बाद उन्होंने अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया था, लेकिन बाद में वह फिर से सक्रिय हो गए।
डॉ आशीष खाखा सोशल मीडिया पर कॉन्ग्रेस नेताओं जैसे राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी के पोस्ट्स को लगातार शेयर करते हैं। उनके हैंडल से फिलिस्तीन के समर्थन में भी पोस्ट किए गए हैं। उन्होंने पत्रकार मोहम्मद जुबैर, यूट्यूबर ध्रुव राठी जैसे लोगों के पोस्ट भी रीपोस्ट किए हैं।
एक पोस्ट में उन्होंने कहा था कि लोगों को सड़क पर उतर कर लोकतंत्र को वापस लाना होगा। इसे भड़काऊ और उकसाने वाला बयान माना गया। उनके कुछ पोस्ट्स में गुजरात और वहाँ के लोगों को लेकर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया है।
उन्होंने गुजरात को ‘hellhole’, ‘scam society’, ‘करप्शन की खान’ और ‘त्रासदी का पर्याय’ जैसे शब्दों से संबोधित किया है। एक पोस्ट में उन्होंने यह भी कहा है कि ‘गुजरात तबाही का पर्याय’ है।
आशीष खाखा ने एक पोस्ट को रीपोस्ट किया और लोगों से उन्हें पढ़ने का आग्रह किया। इसमें दो प्रकाशन थे, ‘कोलोनाइजिंग कश्मीर’ और ‘कोलोनाइजिंग फिलिस्तीन’। पूर्व प्रोफेसर का साफ इशारा था कि भारत ने कश्मीर को ‘कोलोनाइज’ कर लिया है।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “अगर राहुल गाँधी नहीं, तो और कौन?” यानी राहुल गाँधी को भारत का उद्धारक बताया। इसके आलावा एक वायरल पोस्ट में उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का मजाक उड़ाने वाले एक ट्वीट को भी रीपोस्ट किया।
एक पोस्ट में एक यूजर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का मजाक उड़ाते हुए लिखा, “उनसे इस्तीफा कैसे माँगा जा सकता है? उन्हें बताइए कि भारत ‘अनियन ऑफ स्टेट्स’ है।” इस पोस्ट को पूर्व प्रोफेसर ने भी रीपोस्ट किया है।
एक सोशल मीडिया यूजर ने उन पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया और कहा कि बाद में डॉ खाखा ने उन्हें ब्लॉक कर दिया। यह पोस्ट भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
So this person @XaxaSpeaks whom I have never known in real life nor interacted with online, comes to my account – abuses me and blocks me.
This guy works for @HSSiitgn as a professor in “indigenous and development studies”.
Wonder what development is he teaching his student… pic.twitter.com/0QrKVyWjlQ— Neena Rai (@NeenaRai) April 26, 2025
उनकी एक रिसर्च ‘Covid-19 and the Indigenous Migrants Question in Urban India’ नामक लेख 2025 में लंदन से प्रकाशित एक पुस्तक ‘Governing the Crisis: Narratives of Covid-19 in India’ में छपी थी।
इसमें उन्होंने कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की परेशानियों पर लिखा था। लेख में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की कमी, गरीबी और पानी की समस्या और पर्याप्त डॉक्टरों की कमी के कारण मृत्यु दर ज्यादा बताई गई थी।
हालाँकि लेख में उन्होंने झारखंड और छत्तीसगढ़ (जो उस समय INDI गठबंधन शासित राज्य थे) की तारीफ की। उन्होंने हेमंत सोरेन और भूपेश बघेल जैसे नेताओं की व्यक्तिगत सराहना की, जबकि अन्य राज्यों के प्रयासों का उल्लेख नहीं किया गया।
इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह लेख किसी राजनीतिक झुकाव से प्रेरित था, क्योंकि उस समय सभी राज्य कोविड से निपटने के लिए प्रयासरत थे।
यह रिपोर्ट मूल रूप से गुजराती में लिखी गई है। मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।