यूरोपीय संघ ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध को लेकर रूस पर 18वें दौर के प्रतिबंधों की घोषणा की है। यह प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था, खासकर उसके ऊर्जा और सैन्य क्षेत्र को कमजोर करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। यूरोपीय आयोग का कहना है कि यह अब तक का सबसे सख्त प्रतिबंध पैकेज है, जिससे रूस के युद्ध बजट पर सीधा असर पड़ेगा।
हालाँकि अब तक यूरोपीय देश इसी रिफायनरी से निकले तेल से अपनी गाड़ियाँ चला रहा थे और अब इस पर बैन लगा दिया गया। ये EU के दोहरे रवैये को भी दिखाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नए प्रतिबंध पैकेज में यूरोपीय संघ ने रूसी तेल निर्यात को खास तौर पर निशाना बनाया है। अब ऐसे रूसी तेल पर भी प्रतिबंध लगाया गया है जो अन्य देशों, खासकर भारत जैसी जगहों पर जाकर रिफाइन होता है।
इसमें भारत की सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनरी और भारतीय झंडे के तहत पंजीकृत जहाजों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने रूसी तेल की कीमत की सीमा को घटाकर बाजार मूल्य से 15% कम कर दिया है, जिससे रूस को मिलने वाला तेल राजस्व और घट जाएगा।
इस बार यूरोपीय संघ ने 105 ‘छाया बेड़े’ (Shadow Fleet) के जहाजों और उनके सहायकों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं, जो चुपचाप रूस के लिए तेल ढोने का काम करते हैं। रूस से यूरोप तक गैस पहुँचाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा।
रूसी बैंकों की वित्तीय पहुँच को भी सीमित किया गया है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में भाग न ले सकें। इसके साथ-साथ रूस के सैन्य उद्योग पर दबाव बढ़ाने के लिए वहाँ इस्तेमाल होने वाली तकनीकों और उपकरणों के निर्यात को और सीमित किया गया है।
यूरोपीय संघ ने उन चीनी बैंकों पर भी ध्यान केंद्रित किया है जो रूस को इन प्रतिबंधों से बचने में मदद करते हैं। साथ ही, ड्रोन निर्माण में इस्तेमाल होने वाली संवेदनशील तकनीक के निर्यात पर भी नियंत्रण और सख्ती बढ़ाई गई है।
यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष और विदेश मामलों की प्रमुख काजा कल्लास ने इन सभी कदमों को रूस के खिलाफ सबसे सख्त कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा, “हम क्रेमलिन के युद्ध बजट को कमजोर कर रहे हैं और रूस की सैन्य ताकत को सीमित करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहे हैं।”
Nord Stream pipelines will be banned.
A lower oil price cap.
We are putting more pressure on Russia’s military industry, Chinese banks that enables sanctions evasion, and blocking tech exports used in drones. (2/3)— Kaja Kallas (@kajakallas) July 18, 2025
यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ नए और कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की है। इस बार कई नए क्षेत्रों को निशाना बनाया गया है, जिनमें भारत से जुड़ी कुछ संस्थाएँ और जहाज भी शामिल हैं। यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष काजा कल्लास ने कहा कि पहली बार, भारत में एक ध्वज रजिस्ट्री और सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनरी को इन प्रतिबंधों में शामिल किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि ये प्रतिबंध उन लोगों को भी प्रभावित करेंगे जो यूक्रेनी बच्चों को गुमराह कर रहे हैं। कल्लास ने साफ कहा कि यूरोपीय संघ रूस के खिलाफ दबाव लगातार बढ़ाता रहेगा ताकि मॉस्को को अपनी आक्रामक नीतियाँ रोकनी पड़ें।
इस नए प्रतिबंध पैकेज में 20 और रूसी बैंकों को SWIFT प्रणाली से बाहर कर दिया गया है, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की क्षमता और सीमित हो जाएगी। हालाँकि यूरोपीय संघ ने सीधे उस रिफाइनरी का नाम नहीं लिया जो रूसी तेल का प्रोसेसिंग करती है।
लेकिन यह साफ हो गया है कि गुजरात के वडिनार में स्थित वडिनार तेल रिफाइनरी को निशाना बनाया गया है। यह रिफाइनरी पहले एस्सार ऑयल द्वारा बनाई गई थी और अब नायरा एनर्जी लिमिटेड द्वारा चलाई जा रही है, जिसमें रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है।
भारत की जिस ध्वज रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाया गया है, वह उन जहाजों की सूची होती है जो भारतीय झंडे के नीचे पंजीकृत होते हैं। इस प्रतिबंध के जरिए यूरोपीय संघ को यह अधिकार मिल गया है कि वह ऐसे जहाजों के खिलाफ कार्रवाई कर सके जो रूस के तेल व्यापार में मदद कर रहे हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोपीय संघ ने रूसी तेल की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया है, बल्कि यह तय किया है कि रूसी तेल को अब बाजार कीमत से 15% कम मूल्य पर ही बेचा जा सकेगा, ताकि रूस को मिलने वाली कमाई घटाई जा सके।
इन सब कदमों से यूरोपीय संघ रूस की आर्थिक और सैन्य ताकत को कमजोर करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जिसके कारण भारत से जुड़े कुछ व्यापारिक रास्ते भी अब इस दबाव का हिस्सा बन चुके हैं।