मदरसे में पढ़ते छात्र, प्रतीकात्मक तस्वीर

मध्य प्रदेश के इंदौर में मुस्लिम छात्रों के नाम से मिलने वाली छात्रवृत्ति में बड़ा घोटाला सामने आया है। इस मामले में 27 मदरसों और स्कूलों को घोटाले के लिए संदिग्ध माना गया है और 5 के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। क्राइम ब्रांच की जाँच में सामने आया है कि मदरसों और स्कूलों के संचालक खंडहर और खाली मैदान को ही शिक्षण संस्थान बताकर लाखों रुपए की छात्रवृत्ति ले रहे थे।

नई दुनिया की खबर के मुताबिक, क्राइम ब्रांच ने फर्जीवाड़ा करने वाले संचालकों की तलाश शुरू कर दी है और सरकार को इस मामले की रिपोर्ट भेजी जा रही है। दरअसल, क्राइम ब्रांच ने पिछड़ा वर्ग एवँ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक अनिल कुमार सोनी की शिकायत पर 17 जून 2025 को केस दर्ज किया था और इस मामले की जाँच कर रही थी।

रिपोर्ट में डीसीपी(क्राइम) राजेश कुमार त्रिपाठी के हवाले से बताया गया है कि पुलिस ने जब एक आरोपित आफताब खान के ठिकाने पर दबिश दी पर वह मोबाइल बंद कर फरार हो गया। आफताब का सेंट जेवियर कॉन्वेंट नाम से सब्जी मंडी खजराना में स्कूल था और उसने 7 लाख से ज्यादा की स्कॉलरशिप ली थी। हालाँकि, जब इस स्कूल की जाँच करने टीम पहुँची तो उस जगह पर कुछ नहीं मिला।

शिकायत के बाद निरीक्षक माधवसिंह भदौरिया ने जाँच की और केयर वेल स्कूल के संचालक मोहम्मद रफीक खान, मदरसा साफिया की संचालिक शबनम शाह, मदरसा उस्मानिया की संचालिका शहनाज खानम, सेंट जेवियर कान्वेंट के संचालक आफताब खान और जेआर डीआरडी मेमोरियल स्कूल के संचालक आफताब के खिलाफ केस दर्ज किया है।

माधवसिंह भदौरिया ने इस मामले को लेकर बताया कि 9वीं और 10वीं के लिए अपात्र विद्यार्थियों का सबसे पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया गया फिर संस्थाओं ने अपने लॉग-इन का इस्तेमाल कर अपात्र छात्रों का रजिस्ट्रेशन आगे भी बढ़ा दिया था। इस जाँच में कुल 27 शिक्षण संस्थानों को संदिग्ध बताया गया है। इस फर्जीवाड़े की जाँच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर इन संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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