अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आ रहे हैं। भारत-अमेरिका के रिश्तों में आई दरार को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। इस साल के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन दिल्ली में होने वाला है। अखबार के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप की भारत आने की कोई योजना नहीं है।

राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे के रद्द होने को लेकर फिलहाल अमेरिका और भारत ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आने को लेकर सहमति दी थी। लेकिन, अब प्लान कैंसिल कर दिया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सीजफायर को लेकर लगातार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान से प्रधानमंत्री मोदी का धैर्य खत्म हो रहा था। ट्रंप सार्वजनिक रूप से लगातार कह रहे थे कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष को खत्म करवाया।

फोन पर पीएम मोदी और ट्रंप के बीच बातचीत का दावा

अखबार के मुताबिक, 17 जून को ट्रंप से पीएम मोदी की बातचीत हुई थी। ये बातचीत जी7 शिखर सम्मेलन से वापस लौटने के बाद हुई थी। दरअसल शिखर सम्मेलन में कनानास्किस में ट्रंप और पीएम मोदी के बीच बैठक का कार्यक्रम था, लेकिन जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन तुरंत बाद ट्रंप वापस लौट गए थे। इसलिए आमने-सामने की बातचीत नहीं हो पाई थी। इसके बाद दोनों नेताओं की फोन पर बातचीत हुई।

बातचीत के दौरान ट्रंप ने बताया कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है। इससे साफ था कि ट्रंप चाहते थे कि भारत भी ऐसा करे। लेकिन पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है। ये भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत में तय हुआ।

हालाँकि ट्रंप ने पीएम मोदी की बातों का जवाब नहीं दिया, लेकिन असहमति साफ तौर पर सामने आ गई। भारत ने नोबेल पुरस्कार को लेकर कोई बातचीत नहीं की। ये रिश्तों में कड़वाहट की वजह बनी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि व्हाइट हाउस ने इस कॉल की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं की। लेकिन ट्रंप का भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने का दावा लगातार जारी रहा। वे अब तक 40 से ज्यादा बार कह चुके हैं कि उन्होंने ही सीजफायर करवाया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये अमेरिकी राष्ट्रपति की कहानी है जो नोबेल पुरस्कार पाने की इतनी चाहत रखता है, लेकिन उसकी इच्छा भारत की राजनीति की संवेदनशील और हकीकत से टकरा गई।

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