मानसून सत्र के दौरान बुधवार (23 जुलाई 2025) को संसद में ‘नेशनल स्पोर्ट्स बिल-2025’ पेश किया जा रहा है। इस बिल के तहत बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया यानी बीसीसीआई भी विधेयक का हिस्सा बन जाएगा। वर्तमान में बीसीसीआई भले ही सरकार के आर्थिक मदद पर निर्भर न हो लेकिन इस बिल में शामिल होने के बाद उसे राष्ट्रीय खेल बोर्ड से मान्यता लेनी पड़ेगी।

युवा मामलों और खेल मंत्रालय की ओर से मंगलवार (22 जुलाई 2025) को ड्राफ्ट स्पोर्ट्स बिल पेश किया जा चुका है। इस बिल का उद्देश्य भारत में विभिन्न खेलों की व्यवस्था को बेहतर स्तर पर लेकर आना है। विश्लेषकों का मानना है कि इसके बाद भारतीय खेलों की दुनिया हमेशा के लिए बदल जाएगी।

खेल मंत्री मनसुख मांडवीया ने इससे पहले भी दो बार कैबिनेट और एक बार संसद में इस बिल को लाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। ड्राफ्ट पेश करने के दौरान खेल और युवा मामलों की कैबिनेट मंत्री रक्षा खड़से ने इस बिल को लेकर कहा, “लगभग 25 वर्षों के बाद भारत में खेल को लेकर नई नीति आ रही है। इसे ‘खेलो भारत नीति’ के नाम से जाना जाएगा। इसमें काफी अच्छी सुविधाओं के साथ अच्छी नीतियाँ शामिल की गई हैं।”

रक्षा ने कहा, “इसमें कई अच्छी नीतियाँ हैं जो स्पोर्ट्स सेक्टर और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देंगे। साथ ही 2036 के ओलंपिक खेलों में भारत के विजन और खेल को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे। हर राज्य, हर प्राइवेट सेक्टर को साथ में लेकर खेल को आगे पहुँचाने का हम प्रयास कर रहे हैं।”

क्यों आ रहा नया बिल

नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल-2025 का उद्देश्य भारत में खेल प्रशासन को पारदर्शी जवाबदेही और खिलाड़ियों पर केंद्रित रखना है। इसके तहत राष्ट्रीय खेल महासंघ को एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड के अधीन लाया जाएगा ताकि खेल संघ में समय पर चुनाव हो सकें। उनकी प्रशासनिक जवाबदेही बन सके और वित्तीय पारदर्शिता को भी सुनिश्चित किया जा सके।

इस बिल के तहत खिलाड़ियों के अधिकारों के लिए खेल ट्रिब्यूनल की स्थापना भी की जाएगी। इस लिहाज से बीसीसीआई को भी अन्य खेल संघो की तरह पारदर्शिता और एक बेहतर खेल संघ के सिद्धांतों का पालन करना होगा

क्या-क्या खासियतें हैं शामिल

राष्ट्रीय खेल बोर्ड या नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड (NSB) के बनने पर उसके अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को केंद्र सरकार की ओर से नियुक्ति दी जाएगी। उसकी चयन समिति में कैबिनेट सचिव या खेल सचिव के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, अर्जुन या खेल रत्न पुरस्कार विजेता एक खिलाड़ी और दो अनुभवी खेल प्रशासक शामिल होंगे।

इस नए बिल में प्रशासकों की आयु सीमा को भी 70 वर्ष से 75 वर्ष तक बढ़ा दिया गया है यानी 75 वर्ष की आयु के लोग भी चुनाव लड़ सकते हैं। हालाँकि इसमें अंतरराष्ट्रीय संघ के कानून को प्राथमिकता मिलेगी।

इसी के साथ ही खेल ट्रिब्यूनल स्थापित किया जाएगा जिसका मुख्य उद्देश्य खेल संघ और खिलाड़ियों के बीच हो रहे विवाद या किसी तरह के प्रशासनिक मामलों में निर्णय लेना होगा। साथ ही चुनावी अनियमिताओं पर भी ट्रिब्यूनल नजर रखेगा। ‌

बीसीसीआई पर कैसे पड़ेगा इस बिल का असर

बीसीसीआई के इस बिल में शामिल होने के बाद उसे सूचना के अधिकार (RTI) के तहत लाया जाएगा। इसके जरिए एक आम इंसान भी बीसीसीआई के फैसले के साथ आर्थिक लेनदेनसमेत अन्य जानकारियों के बारे में पूछताछ कर सकता है।

बिल के तहत बनने वाले खेल बोर्ड में इस बात की सुनिश्चितता तय की जाएगी कि बीसीसीआई में भी चुनाव समय पर हों और उसके संचालन में कोई गड़बड़ी न हो। इसके अलावा क्रिकेटरों के चयन के साथ अनुशासनात्मक मामलों में भी बीसीसीआई को खेल ट्रिब्यूनल के निर्णय मानने पड़ेंगे। एक तरह से कहा जाए तो इस बिल में शामिल होने के बाद बीसीसीआई की बादशाहत कम हो जाएगी।

अगर यह बिल कानून बनता है तो भारतीय खेल जगत में यह एक ऐतिहासिक बदलाव होगा जिसमें खिलाड़ियों की भलाई, पारदर्शिता और उनके साथ हुए किसी भी तरह के अन्याय के लिए खेल संघों की जवाबदेही सबसे पहली प्राथमिकता होगी।

असल में क्रिकेट के T20 सीरीज को 2018 में लॉस एंजेलिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में भी शामिल किया गया है। इस लिहाज से बीसीसीआई को गवर्नेंस बिल में शामिल करना एक बेहतर निर्णय भी हो सकता है।

इस बिल के आने से पहले खेल मंत्री मनसुख मांडवीया ने कहा था कि इस बिल का मसौदा तैयार करते समय अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से भी परामर्श किया गया है। इससे 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी में भारत की बोली के लिए IOC के साथ बेहतर संबंध स्गेथापित किए जा सकेंगे।

हालांकि इस बिल का मसौदा तैयार करने के दौरान आईओए ने इस खेल बोर्ड का विरोध किया था और इसे सरकारी हस्तक्षेप कहा था। आईओए का कहना है कि इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की ओर से प्रतिबंध लग सकते हैं।

महिलाओं की बढ़ेगी भागीदारी

इस बिल के कानून बनने के बाद कई नए और बेहतर बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अगर ये कानून बन जाता है तो इसका एक असर खेल में महिलाओं की भागीदारी के तौर पर भी नजर आएगा। इसके तहत बीसीसीआई समेत अन्य खेल संघों की गवर्निंग बॉडी में महिलाओं की भागीदारी अधिक होगी।

राष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी (IOC) महिला और पुरुष के बराबर भागीदारी को लेकर काम करता है तो इस लिहाज से नए बिल के लागू होने पर खेल संघ में महिला प्रशासकों की संख्या बढ़ने वाली है।

इसके अलावा राष्ट्रीय खेल बोर्ड की नियुक्ति पर भी सीधे असर पड़ेगा। वर्तमान में यह एक तरीके का नियंत्रित मेकैनिज्म नजर आता है। नए स्पोर्ट्स बिल में खेल बोर्ड की नियुक्ति पूरी तरह से केंद्र सरकार की ओर से की जाएगी। खेल बोर्ड के पास विभिन्न खेल संघों की मान्यता देने और छीनने का भी अधिकार होगा।

असल में राष्ट्रीय खेल बोर्ड वित्तीय अनियमितताओं के साथ चुनाव में हो रही गड़बड़ियों समेत खेल संघ के हर छोटे बड़े मामलों में दखल देने और फैसले लेने के अधिकार रखेगा। उसके तहत एक अध्यक्ष होगा और उसकी में सदस्यों की नियुक्ति केंद्र से की जाएगी।



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