कोलकाता की एक अदालत ने लॉ कॉलेज रेप मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को जम कर लताड़ा है। अलीपुर कोर्ट ने मंगलवार (22 जुलाई 2025) को कोलकाता लॉ कॉलेज में हुई रेप की घटना को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अलीपुर कोर्ट ने पूछा कि अगर मुख्य आरोपित मोनोजीत मिश्रा के खिलाफ 2023 से ही कम से कम 12 शिकायतें दर्ज थीं, जिनमें ज्यादातर छेड़छाड़ से जुड़ी थीं, तो फिर सरकार ने अब तक कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया।
कोर्ट ने कहा कि अगर पहले कार्रवाई होती, तो शायद 25 जून को कॉलेज में छात्रा के साथ हुआ यह अपराध टल सकता था। कोर्ट ने मोनोजीत मिश्रा और तीन अन्य आरोपियों ज़ैब अहमद, प्रमित मुखर्जी और कॉलेज गार्ड पिनाकी बनर्जी की न्यायिक हिरासत 5 अगस्त तक बढ़ा दी। ये चारों आरोपित 8 जुलाई से हिरासत में हैं।
सुनवाई में मोनोजीत मिश्रा के वकील ने जमानत की माँग नहीं की, बल्कि दो याचिकाएँ दाखिल की। उन्होंने माँग की कि पूछताछ के समय वकीलों को भी मौजूद रहने दिया जाए और पीड़िता का मोबाइल फोन जब्त किया जाए।
वकील ने कोर्ट को बताया कि मोनोजीत से जेल में पूछताछ के दौरान उसे आरोप कबूल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है और उसे वकील से मिलने नहीं दिया जा रहा। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि मोनोजीत को जेल में अपने वकील से दो घंटे मिलने की अनुमति दी जाए।
रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी दावा किया कि जेल में उसके मुवक्किल को न तो सही इलाज मिल रहा है, न साफ पानी, न पढ़ने-लिखने का सामान और न मच्छरदानी, जबकि जेल को सुधार गृह कहा जाता है। सुरक्षा गार्ड पिनाकी बनर्जी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की इस मामले में कोई सीधी भूमिका नहीं थी।
इस मामले की शुरुआत 25 जून को हुई जब दक्षिण कोलकाता लॉ कॉलेज की एक 24 साल की छात्रा ने आरोप लगाया कि कॉलेज परिसर के गार्ड रूम में उसके साथ बलात्कार और मारपीट की गई। पीड़िता ने बताया कि जब उसे पैनिक अटैक आया तो आरोपितों ने उसे इनहेलर दिया, लेकिन इलाज के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि उसकी हालत थोड़ी सुधर जाए ताकि वे दोबारा उसके साथ क्रूरता कर सकें।