कर्नाटक के एक धर्मस्थल से जुड़े सामूहिक दफनाने के मामले में SIT की जाँच फिलहाल सवालों के घेरे में है। सफाईकर्मी ने दावा किया था कि धर्मस्थल के आसपास 13 जगहों पर महिलाओं और लड़कियों के शव दफनाए गए हैं।
(29 जुलाई 2025) से शुरू हुई खुदाई में अब तक 10 जगहों की जाँच हो चुकी है, लेकिन ज्यादातर जगहों से कोई मानव अवशेष नहीं मिले। सिर्फ (31 जुलाई 2025) को नेत्रवती नदी के पास छठे स्थान से कुछ मानव हड्डियाँ मिलीं, जो प्रारंभिक जाँच में एक पुरुष की बताई गईं। वहाँ से करीब 15 हड्डियाँ मिलीं, जिनमें खोपड़ी नहीं थी।
इसके अलावा, जाँच के दौरान एक महिला का डेबिट कार्ड और एक पुरुष का पैन कार्ड भी मिला। पैन कार्ड नेलमंगला के रहने वाले सुरेश का निकला, जिसकी मार्च 2025 में पीलिया से मौत हो चुकी है।
पुलिस को शक है कि सुरेश ने मरने से पहले धर्मस्थल में पैन कार्ड खोया होगा। डेबिट कार्ड की जानकारी के लिए बैंक से संपर्क किया गया है। अब तक की जाँच में न तो कोई महिला का शव मिला है, न ही सफाईकर्मी के दावों को पुख्ता करने वाला कोई ठोस सबूत।
वहीं, सफाईकर्मी के खिलाफ भी फिलहाल किसी तरह की झूठी जानकारी देने का कोई सबूत नहीं मिला है। ऐसे में पूरा मामला अब और उलझता जा रहा है।
एक चश्मदीद गवाह एसआईटी के सामने पेश हुआ
जयंत टी नाम का एक व्यक्ति शनिवार (2 अगस्त 2025) को बेल्थांगडी में SIT के सामने पेश हुआ। उसने दावा किया कि उसे कथित सामूहिक दफनाने के मामले में अहम जानकारी है और वह इसकी गवाही दे सकता है।
जयंत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उसने खुद अपनी आँखों से कई जगहों पर अवैध रूप से किए गए दफनाने के काम को देखा हैं, इसलिए उसे इस मामले की प्रत्यक्ष जानकारी है।
केस की सुनवाई कर रहे जज ने खुद को किया अलग
बेंगलुरु के 10वें कोर्ट के जज विजय कुमार राय बी ने धर्मस्थल सामूहिक दफनाने के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने कोर्ट को आवेदन देकर यह केस किसी और अदालत में भेजने की अपील की है।
यह फैसला तब आया जब कुछ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि जज ने उसी संस्था के स्कूलों से पढ़ाई की है, जो धर्मस्थल मंदिर ट्रस्ट चलाता है। साथ ही, कहा जा रहा है कि उन्होंने राज्यसभा सांसद वीरेंद्र हेगड़े का प्रतिनिधित्व करने वाली एक कानूनी फर्म में जूनियर वकील के रूप में काम भी किया था।
इसी केस से जुड़ी एक याचिका में वीरेंद्र हेगड़े के भाई डी. हर्षेंद्र कुमार ने 8,000 से ज्यादा सोशल मीडिया पोस्ट, खबरें और वीडियो हटाने की माँग की थी। उनका कहना था कि इनमें उनके, उनके परिवार और मंदिर संस्थानों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही गई हैं।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस विजय कुमार राय बी ने पहले ही मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया पर चल रही टिप्पणियों पर एकपक्षीय रोक (एकतरफा आदेश) लगा दी थी, जिससे जाँच पर हो रही रिपोर्टिंग पर भी रोक लग गई थी।
रहस्यमय सफाई कर्मचारी और खौफनाक आरोप
यह मामला तब सामने आया जब एक सफाईकर्मी ने चौंकाने वाला दावा किया कि उसे 1998 से 2014 के बीच धर्मस्थल में कई जगहों पर सैकड़ों शव दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। यह सफाईकर्मी भगवान मंजूनाथ मंदिर में काम करता था और उसने 3 जून 2025 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
उसके आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, राज्य सरकार ने 19 जुलाई को इस मामले की जाँच के लिए SIT का गठन किया। इसके बाद SIT उसे धर्मस्थल के स्नान घाट लेकर गई, जहाँ उसने 13 जगहों की पहचान की, जहाँ कथित रूप से शव दफनाए गए थे।
सफाईकर्मी ने अपनी शिकायत में बताया कि जिन शवों को वह दफनाता था, उनमें कई महिलाएँ और नाबालिग लड़कियाँ थीं, जिनका यौन शोषण किया गया था।
उसकी शिकायत के कुछ समय बाद, सुजाता नाम की 60 साल की एक महिला ने भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि उसकी बेटी धर्मस्थल की तीर्थ यात्रा के दौरान लापता हो गई थी।