कर्नाटक वाल्मीकि

कर्नाटक में हुए वाल्मीकि फंड घोटाले की पूरी जाँच अब CBI करेगी। अभी तक यह जाँच कर्नाटक की ही SIT के पास थी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने यह आदेश भाजपा नेताओं की याचिका पर दिया है। CBI इस मामले में अब तक सीमित बिन्दुओं पर जाँच कर रही थी।

मंगलवार (1 जुलाई, 2025) को मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस M नागप्रसन्ना की बेंच ने भाजपा नेताओं बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और अरविंद लिंबावली की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित SIT की जाँच पर्याप्त नहीं है।

हाई कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले को CBI को सौंपा जाए ताकि निष्पक्ष जाँच हो सके। साथ ही हाई कोर्ट ने SIT को आदेश दिया कि वह इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज CBI को सौंप दे। हाई कोर्ट ने CBI से पूरे मामले पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट भी माँगी है।

इस घोटाले से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी कार्रवाई की है। जून, 2025 में ED ने कॉन्ग्रेस सांसद ई तुकाराम के ठिकानों पर छापे मारे थे। इसके अलावा कॉन्ग्रेस के तीन विधायकों, नारा भारत रेड्डी, जीएन गणेश और पूर्व मंत्री बी नागेंद्र के आवासों पर भी छापे मारे गए थे। बी नागेन्द्र को इस मामले में इस्तीफ़ा भी देना पड़ा था।

क्या है वाल्मीकि फंड घोटाला?

कर्नाटक सरकार KMVSTDC प्रदेश की जनजातीय जनता के कल्याण के लिए चलाती है। इसके अंतर्गत जनजातीय जनसंख्या के लिए रोजगार समेत विशेष योजनाएँ लाई जाती हैं। कर्नाटक सरकार इसके लिए अलग से बजट देती है। इसी महर्षि वाल्मीकि फंड में घोटाले की बात सामने आई थी।

यह पूरा मामला एक आत्महत्या से चालू हुआ था। मई, 2024 में इसी निगम से जुड़े एक 48 वर्षीय कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी मौत के बाद एक सुसाइड नोट मिला था। इसमें उसने आरोप लगाया था कि उसके उच्चाधिकारियों ने उस पर इस बात के लिए दबाव बनाया था कि वह निगम के खातों से पैसा ट्रांसफर करे।

उसने आरोप लगाया था कि यह काम निगम का पैसा हड़पने के लिए किया गया था। उसका आरोप था कि यह काम एक मंत्री के मौखिक आदेशों के आधार पर किया गया था। उसने अपने विभाग के अलावा यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के कर्मचारियों पर भी आरोप लगाए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश में हंगामा मच गया था।

आत्महत्या करने वाले कर्मचारी चंद्रशेखर ने सुसाइड नोट में बताया था कि उसे उच्चाधिकारियों ने इस बात के लिए निर्देशित किया था कि वह निगम के एक खाते से दूसरे खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए पत्र लिखे। यह पैसा यूनियन बैंक के वसंत नगर ब्रांच से एमजी रोड ब्रांच में डाला जाना था।

इसी के तहत वाल्मीकि निगम के खातों से निकाला गया पैसा इसके बाद अन्य खातों में भेज दिया गया। इस पूरे खेल में ₹187 करोड़ का लेनदेन हुआ। इसमें से लगभग ₹88 करोड़ अवैध खातों में भेजा गया। जब यह मामला खुला तो चंद्रशेखर डर गया और उसने आत्महत्या कर ली।

यह पूरा मामला सामने आने के बाद कई बैंक कर्मचारियों समेत KMVSTDC के कई कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। इसके बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा था। इस मामले में ED ने जाँच किया। जहाँ इस मामले में 25 लोगों को आरोपित बनाया गया था।

ED ने इस मामले में दायर चार्जशीट में बताया था कि बेल्लारी लोकसभा में लगभग 7 लाख वोटरों को इस फंड में घोटाले के पैसे से रिश्वत दी गई। यह रिश्वत उन्हें कॉन्ग्रेस को वोट देने के लिए दी गई। यह पैसा बी नागेन्द्र ने महर्षि वाल्मीकि जनजातीय विकास निगम में घोटाला करके जुटाया था।

बेल्लारी में ₹14 करोड़ की रिश्वत

ED ने बताया था कि बेल्लारी में 7 लाख वोटरों को लगभग ₹200 की रिश्वत दी गई। ED ने कहा था कि घोटाले के पैसे से चुनाव प्रभावित करने की कोशिश की गई। ED ने यह खुलासा बी नागेन्द्र के पूर्व निजी सचिव विजय गौड़ा के फोन की जाँच के बाद किया था। उसमें बेल्लारी में पैसा खर्च होने के सबूत मिले थे।

ED ने आरोप लगाया था कि बी नागेन्द्र के पास इस घोटाले का अधिकांश पैसा आया। ED को विजय गौड़ा ने बताया था कि उसने घोटाले का यह पैसा नागेन्द्र के कहने पर कई लोगों में बाँटा जो कॉन्ग्रेस से जुड़े हुए थे। यहाँ कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार ई तुकाराम के लिए घोटाले का पैसा उपयोग किया गया।

यह भी आरोप ED ने लगाया था कि बूथ पर काम करने वाले कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को ₹10000 इस घोटाले के पैसे से दिए गए। नागेन्द्र के घोटाले का यह पैसा बंटवाने में कॉन्ग्रेस के विधायकों ने भी सक्रिय रोल निभाया, यह भी ED ने बताया था। जाँच एजेंसी बताया था कि घोटाले में से लगभग ₹15 करोड़ का इस्तेमाल चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया गया।

ED के पास पैसे से लेनदेन की फोटो भी मौजूद हैं। चार्जशीट में यह भी कहा गया था कि बी नागेन्द्र ने इन आरोपों पर कोई साफ़ जवाब नहीं दिया है। बी नागेन्द्र ने बचने के लिए तीन आईफोन तोड़े हैं। ED ने यह भी आरोप लगाए हैं कि बी नागेन्द्र ने जब पैसों की गड़बड़ी की तो इसे वित्त विभाग ने भी नहीं चेक किया।

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