एथेनॉल पर नितिन गडकरी बोले

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऑटो सेक्टर में आ रहे बदलाव पर बात करते हुए ‘पेट्रोलियम लॉबी’ की चर्चा की है। उन्होंने कहा कि एथेनॉल युक्त पेट्रोल के इस्तेमाल से गाड़ियों पर कोई असर नहीं पड़ता है। इससे माइलेज कम देने की बात पर नितिन गडकरी ने कहा, “ऐसी कोई चर्चा नहीं हो रही है। ये पेट्रोलियम लॉबी वाले पॉलिटिकली इसे मैनिपुलेट कर रहे हैं।” 

क्या है एथेनॉल?

एथेनॉल एक ऐसा अल्कोहल है जो गन्ने और मक्के से मिलकर बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। ई 10, ई 20, ई 27 एथेनॉल पेट्रोल के कटेगरी हैं। ई 10 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 10 फीसदी एथेनॉल है, ई 20 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 20 फीसदी एथेनॉल है और ई 27 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 27 फीसदी एथेनॉल है।

E-20 एक बायोफ्यूल है इससे प्रदूषण कम फैलता है। इसलिए इसका इस्तेमाल ज्यादातर देशों में हो रहा है। भारत में तो अभी पेट्रोल में ही एथेनॉल मिलाया जा रहा है लेकिन कई देशों ने डीजल में भी एथेनॉल का इस्तेमाल शुरू कर दिया है क्योंकि ज्यादार बड़ी एसयूवी गाड़ियाँ डीजल से चलती हैं।

देश की बचत, किसानों का फायदा

एथेनॉल गन्ने और मक्के से बनता है इसलिए गन्ना किसानों और मक्का पैदा करने वाले किसानों को इससे सीधा फायदा हो रहा है। गन्ना के मिल मालिक को भी इससे फायदा हो रहा है साथ ही मक्का उत्पादन करने वाले किसान भी लाभांवित हो रहे हैं। साथ ही देश को भी इसका फायदा मिल रहा है। भारत सबसे ज्यादा आयात पेट्रोलियम पदार्थों का करता है। एथेनॉल के इस्तेमाल से इसमें कमी आएगी।

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “देश में फ्यूल के आयात पर 22 लाख करोड़ रुपए खर्च होते हैं। एथेनॉल के इस्तेमाल से इसमें कमी आ रही है। इससे सरकार को करीब 1 लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है। एथेनॉल बनाने के लिए मक्के का इस्तेमाल हो रहा है, इसका फायदा किसानों को मिल रहा है। किसानों को करीब 1.14 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई है।

ऊर्जा आयात नहीं बल्कि निर्यात करने वाला बनें- गडकरी

रूस से कच्चे तेल आयात से खफा अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ भारत पर लगा दिया है। ऐसे में ऊर्जा उत्पादक देश बनना भारत की अहम प्राथमिकता है। गडकरी ने कहा कि हमें ऊर्जा आयात करने वाला नहीं बल्कि ऊर्जा निर्यात करने वाला देश बनना चाहिए। इससे पेट्रोल-डीजल से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी। केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि पेट्रोल में अभी 20 फीसदी एथेनॉल मिलाया जाता है। लेकिन इसे 27 फीसदी करने को लेकर सरकार की योजना चल रही है, हालाँकि ये अभी फाइनल नहीं हुआ है। ARAI के ट्रायल के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ये तय करेगा कि 27 फीसदी एथेनॉल मिलाना सही है या नहीं। गडकरी के मुताबिक इंडियन ऑयल के एथेनॉल युक्त पेट्रोल के 350 पेट्रोल पंप चल रहे हैं।

फोटो साभार- X @PetroleumMin

ईवी और फ्लेक्स फ्यूल को बराबर महत्व

केन्द्र सरकार ने कहा है कि ग्राहकों को फ्लेक्स फ्यूल और इलेक्ट्रिक वाहनों को बराबर महत्व देगी। उन्होंने कहा कि अब तक जितने भी नियम बनाए गए हैं वो इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट कर रहे हैं। अप्रैल 2027 से कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी 3 (CAFE3)लागू किया जाएगा जिसमें दोनों वाहनों को बराबर वरीयता मिलेगी। CAFE3 ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के लिए चर्चाओं का दौर जारी है। सड़क परिवहन मंत्रालय, बिजली मंत्रालय और पीएम के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने 6 अगस्त 2025 को बैठक की है। इसमें चर्चा की गई है कि छोटी और बड़ी कारों के नियम अलग बनाए जाएं या नहीं।

CAFE नॉर्म्स क्या है?

CAFE नॉर्म्स यानी कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी सालभर वाहन निर्माताओं द्वारा बेची गई वाहनों का औसत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को तय करता है। ये नियम कंपनियों को ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट वाहनों को बनाने के लिए मजबूर करती हैं। फिलहाल सीएएफई 2 नियम लागू है जो 2027 तक मान्य है।

शुद्ध पेट्रोल और मिले हुए पेट्रोल में अंतर

भारत में प्रीमियम पेट्रोल सबसे शुद्ध माना जाता है। इस पेट्रोल में मिलावट नहीं होती। जब इस पेट्रोल में एथेनॉल मिला दिया जाता है तो ये एथेनॉल पेट्रोल कहलाता है। पीएम मोदी ने 2023 में 20 फीसदी एथेनॉल युक्त पेट्रोल को लॉन्च किया था। इसके तहत एक लीटर फ्यूल में 800 मिलीलीटर पेट्रोल और 200 मिलीलीटर एथेनॉल डाला जाता है। अब एथेनॉल युक्त पेट्रोल हर जगह उपलब्ध है।

सोशल मीडिया पर इस तरह के दावे किए जाते हैं कि ऐसे पेट्रोल के इस्तेमाल से इंजन खराब होते हैं, गाड़ियों में गड़बड़ियाँ आ जाती है और माइलेज पर असर पड़ता है। इसका इस्तेमाल प्राइवेट कारों के लिए सही है या नहीं। सरकार ने इन सभी बातों को खारिज करते हुए कहा इससे गाड़ियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता, हालाँकि माइलेज थोड़ा कम हो सकता है। लेकिन इंजन के कुछ हिस्सों में बदलाव और सही ट्यूनिंग के जरिए माइलेज की कमी को दूर किया जा सकता है।

सड़क परिवहन मंत्री गड़करी ने कहा, ” पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल डालने से किसी भी गाड़ी में कोई दिक्कत नहीं आती है। इस मुद्दे पर ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी (ARAI) और सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM)ने पहले ही साफ कर दिया है। अभी तक एक भी वाहन में इससे दिक्कत नहीं आई है।”

माइलेज पर कितना पड़ता है असर?

ई 20 फ्यूल के इस्तेमाल से गाड़ियों पर तो असर नहीं पड़ेगा लेकिन माइलेज को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा है कि इसमें मामूली कमी आएगी। ई-20 के लिए डिजाइन और कैलिब्रेट किए गये वाहनों में एक-दो फीसदी माइलेज कम हो सकता है। वहीं बाकी गाड़ियों में तीन से छह फीसदी माइलेज कम हो सकता है। हालाँकि सही इंजन ट्यूनिंग और ई20 कम्पलायंट एलिमेंट के जरिए इसे कम किया जा सकता है। एथेनॉल के इस्तेमाल से गाड़ियों की माइलेज में कमी को लेकर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ये बात सच है कि पेट्रोल में एथेनॉल डालने पर उसकी कैलोरिक वैल्यू कम हो जाती है जिससे माइलेज थोड़ा कम हो सकता है।

एथेनॉल को बेहतर बनाने की कोशिश

रूसी तकनीक की सहायता से एथेनॉल को क्षमता बेहतर बनाने की कोशिश सरकार कर रही है। केन्द्रीय मंत्री के मुताबिक अगर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय इसकी टेस्टिंग कर रहा है। इससे पेट्रोल के बराबर एथेनॉल की क्षमता हो जाएगी। केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने साफ कर दिया कि देशहित सर्वोपरि है। किसी भी लॉबी के दबाव में नहीं आएंगे। किसानों का फायदा, पेट्रोल आयात, लागत और प्रदूषण को ध्यान में रखकर सरकार कदम उठाएगी।

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