आगरा धर्मांतरण बहनें रेस्क्यू

आगरा पुलिस ने देश के सबसे बड़े धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश करने के साथ कोलकाता के मुस्लिम बाहुल्य इलाके से रेस्क्यू की गईं दो बहनों को उनके माता-पिता को सौंप दिया है। उन अभिवावकों का दर्द अब सामने आ रहा है। आगरा पुलिस दोनों बरामद बहनों की लगातार काउंसलिंग कर रही है। इस बीच पीड़ित माता-पिता से ऑपइंडिया ने बातचीत की।

पीड़ित माँ ने ऑपइंडिया को बताया कि बेटियाँ अचानक 24 मार्च को बिना किसी को बताए घर छोड़कर चली गईं थीं। वह अपने साथ घर से कुछ कपड़े, कुछ कैश और अपना जरूरी सामान लेकर गई थीं। माँ ने कहा, “उस दिन हम दोनों (माता-पिता) एक सत्संग के कार्यक्रम में गए हुए थे। वह हमसे नाराज नहीं थीं, लेकिन इस्लाम ने ही उनका दिमाग खराब कर रखा था।”

माँ ने कहा, “इस्लाम हमें पसंद नहीं था। हम नहीं चाहते थे कि हमारी बेटी किसी भी तरह से इस्लाम के प्रभाव में आएँ, लेकिन ये हो गया। आगरा पुलिस ने हमारी बेटियों को सकुशल वापस लाकर बहादुरी का काम किया है।” पीड़ित पिता ने भी आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार और सीएम योगी का आभार जताया है।

साथ पढ़ने वाली सायमा ने किया था ब्रेनवॉश

पीड़ित माँ ने बताया कि बड़ी बेटी पीएचडी करने के लिए एक कोचिंग सेंटर से नेट की तैयारी कर रही थी। इस बीच कश्मीर से सायमा नाम की एक लड़की भी वहाँ कोचिंग ले रही थी। सायमा ने ही बड़ी बेटी में हिंदू पूजा पद्धति के खिलाफ जहर घोला और धीरे-धीरे उसने बड़ी बेटी को अपने प्रभाव में ले लिया। एक दिन सायमा बेटी के साथ घर भी आई थी।

इसके बाद ही 26 फरवरी 2021 को सायमा दोनों बहनों को लेकर आगरा से फरार हो गई थी। उस समय छोटी बेटी की उम्र महज 14 वर्ष(नाबालिग) थी। इसके सायमा ने दोनों बहनों को जम्मू में अपनी शादीशुदा बड़ी बहन के घर ठहराया था और वहाँ से अगली सुबह खाना खाकर 170 किलोमीटर दूर कश्मीर के लिए रवाना हो गईं थी।

हालाँकि रास्ते में लैंडस्लाइड होने के कारण रास्ता जाम हो गया और पुलिस ने कश्मीर जाने से पहले ही सायमा को दोनों बेटियों के साथ दबोच लिया।

पिता बताते हैं कि सायमा की मानसिकता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उसने बेटी के कहने पर भी मुझसे बात नहीं कराई थी और सिम को भी तोड़कर फेंक दिया था। फिर भी हमने सायमा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कराई थी, ये हमारी गलती थी। अगर हमने पहले ही सायमा के खिलाफ शिकायत की होती तो आज फिर से हमारी बेटियाँ घर से नहीं गई होतीं।

घर पर नमाज पढ़ने व रोजा रखने की जिद करती थीं बेटियाँ

पीड़ित माँ का दावा है कि जम्मू-कश्मीर से लौटने के शुरूआती दिनों में बेटियाँ इस्लाम की ही तारीफ करती थीं। यहाँ तक कि वह घर पर नमाज पढ़ने और रोजे रखने की बात करती थी।

ये सब 8-10 दिन तक चला लेकिन हमारे (माता-पिता) के विरोध के बाद बेटियाँ शांत हो गईं और फिर पहले की तरह सामान्य तरीके से रहने लगीं। लेकिन इस घटना के बाद परिजनों ने दोनों बेटियों के घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी थी, जिससे सायमा बेहद परेशान थी।

माँ कहती हैं कि बेटियाँ अब भी इस्लाम के प्रभाव में हैं। बेटियों का कहना है कि आप लोगों में तो बुत परस्ती होती है इस्लाम में तो एक ही है। माँ बताती हैं कि पहले वह हमारी बात मानती थीं, लेकिन अब वह गुस्सा करतीं हैं। हम उनके भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं, जो आए दिन हम घटना टीवी मीडिया में देख रहे हैं और लोगों से सुन रहे हैं। इन सब को देखकर बहुत डर लगता है, लेकिन मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है कि सब ठीक हो जाएगा।

सनातन धर्म में वापस आ जाएँ बेटियाँ: माँ

पीड़ित माँ हैरानी के साथ कहती हैं कि हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारी पढ़ी-लिखी बेटी ऐसा करेंगी। हमारा परिवार आर्यसमाजी है। हम वैदिक सनातन धर्म से जुड़े हुए हैं। ऑपइंडिया से बात करहुए पीड़ित माता-पिता भावुक हो उठे। माँ ने कहा, “हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि कैसे भी हमारी बेटी सनातन धर्म में वापस आ जाएँ।”

वहीं, पीड़ित पिता हिंदू समाज से अपील करते हुए कहते हैं कि बच्चों को धर्म की बात सिखाएँ ताकि उनका कोई ब्रेनवॉश न कर सके।

बहरहाल, दो बहनों की गुमशुदगी और आगरा पुलिस की सतर्कता इस धर्मांतरण गिरोह के भंडाफोड़ की सबसे बड़ी वजह बनी है। आगरा पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत 7 लड़कियों को रेस्क्यू किया है। साथ ही, गैंग के 14 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है।

यह गिरोह भले ही सबसे बड़े धर्मांतरण गिरोह के रूप में देश के सामने आया हो लेकिन यह धर्मांतरण गैंग पहला या आखिरी नहीं हो सकता। अब भी देश के कई हिस्सों में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो सनातन धर्म को कमजोर करने और हमारी बेटियों को बरगलाने के लिए लगातार सक्रिय हैं।



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