सोनिया गाँधी और राजीव गाँधी

बिहार में SIR के खिलाफ पूरा विपक्ष संसद से सड़क तक हंगामा मचा रखा है। चुनाव आयोग के साथ बीजेपी की ‘मिलीभगत’ का आरोप लगाया जा रहा है। इस बीच बीजेपी ने सोनिया गाँधी को घेरा है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पूछा है कि सोनिया गाँधी इटली की नागरिक रहते हुए वोटर कैसे बन गईं?

सोशल मीडिया एक्स पर 1980 की वोटर लिस्ट की कॉपी शेयर करते हुए अमित मालवीय ने लिखा, ” भारत की मतदाता सूची के साथ सोनिया गाँधी का रिश्ता चुनाव कानूनों के घोर उल्लंघनों से जुड़ा हुआ है। शायद यही कारण है कि राहुल गाँधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्षधर हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध करते हैं।”

मालवीय ने कहा है कि सोनिया गाँधी का नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में दिखाई दिया था, उस वक्त उनके पास इटली की नागरिकता थी। इसके तीन साल बाद वो भारत की नागरिक बनीं। 1980 में गाँधी परिवार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड में रहता था। 1980 में गाँधी परिवार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड में रहता था।

1980 में पहली बार मतदाता सूची में आया नाम

बीजेपी नेता के मुताबिक, “1980 से पहले पीएम आवास के पते पर पंजीकृत मतदाता इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, संजय गाँधी और मेनका गाँधी थे। नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर 1980 में संशोधन किया गया था। संशोधन के बाद सोनिया गाँधी का नाम मतदान केंद्र 145 के क्रमांक 388 पर जोड़ा गया। यह प्रक्रिया उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी जिसके अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।”

नाम हटाया फिर जोड़ा गया

सोनिया गाँधी का नाम वोटर लिस्ट से हटाने और फिर जोड़ने को लेकर अमित मालवीय ने कहा कि 1982 में भारी विरोध के बाद सोनिया गाँधी का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया और 1983 में फिर से नाम जोड़ दिया गया। इस बार भी नाम जोड़ने पर सवाल उठे थे। 1983 के मतदाता सूची के संशोधन में सोनिया गाँधी का नाम मतदान केंद्र 140 के क्रम संख्या 236 पर दर्ज था। पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी। जबकि उन्हें 30 अप्रैल, 1983 को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।

कानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मालवीय ने कहा, “सोनिया गाँधी का नाम नागरिकता के लिए अनिवार्य शर्तें पूरी किए बिना ही दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ—पहली बार 1980 में , जब वह एक इतालवी नागरिक थीं और दूसरी बार 1983 में जब कानूनी रूप से वह भारत की नागरिक नहीं बनी थीं।”

सोनिया गाँधी ने शादी के तुरंत बाद नागरिकता क्यों नहीं ली? इस पर सवाल खड़ा न करते हुए बीजेपी नेता ने कहा, “हम यह भी नहीं पूछ रहे हैं कि राजीव गाँधी से शादी करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लग गए? लेकिन यह घोर चुनावी धाँधली नहीं है, तो और क्या है?”



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