भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा ने घटना के साथ साथ मीडिया के रवैये को भी आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया है कि एक ‘कथित’ हमले से इतनी भयानक चोट और खून कैसे निकल सकता है? आरटीई न्यूज़ की असंवेदनशीलता और अस्पष्टता देखकर स्तब्ध हूँ।

द आयरिश टाइम्स के मुताबिक हमलावरों ने उसके कपड़े फाड दिए और जम कर पीटा। आसपास के लोगों ने जब तक उसे बचाया, उसके नाम, हाथ और पैरों से खून निकल रहा था। उसे टैलाघ्ट यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। भारतीय नागरिक को 20 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
पीड़ित पर बच्चों के नजदीक जाकर गलत व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था। पीड़ित पर झूठा आरोप आप्रवासी-विरोधी ऑनलाइन अकाउंट से लगाया गया है।अधिकारी इस घटना को नस्लीय हेट क्राइम के रूप में देख रहे हैं।
एक प्रत्यक्षदर्शी महिला के मुताबिक नस्लवादी गिरोह ने पीड़ित के बैंक कार्ड, फोन, जूते और पतलून चुरा लिए।
उसने कहा, “मैं अपनी सास के पास जा रही थी, तभी मैंने देखा कि एक महिला समेत 13 किशोर उस व्यक्ति को घेर रहे थे। मैंने देखा कि वह व्यक्ति सिर से पैर तक खून से लथपथ था। वह काफी सदमे में था। “
उसने बताया, “उसकी पतलून नीचे खींची गई थी। उसे मारा गया था।”
महिला ने दावा किया, “पिछले चार दिनों में इन युवकों ने चार भारतीयों के चेहरे पर चाकू मारा है। आप में से कितने लोगों को यह बात पता है?”
बिजनेस वीजा पर 3 हफ्तों के लिए गया था शख्स
वहीं टैलाघ्ट साउथ के पार्षद बेबी पेरेप्पाडन ने घटना पर अफसोस जताया है। उन्होंने पीड़ित से अस्पताल में मुलाकात की। पीड़ित फिलहाल गहरे सदमे में हैं और किसी से बात नहीं कर रहा। वह 3 हफ्तों के लिए बिजनेस वीजा पर आया था। यहाँ तक कि डर और सदमे की वजह से किसी से मिलना भी नहीं चाहता है। पार्षद के मुताबिक टेलाघ्ट में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस बल बढ़ाया जाना चाहिए।
पार्षद के मुताबिक लोगों को ये समझना पड़ेगा कि आयरलैंड आने वाले भारतीय वर्क परमिट पर आए हैं और अवैध घुसपैठिए नहीं हैं। आयरलैंड के हेल्थ सेक्टर और आईटी सेक्टर में बड़ी संख्या में भारतीय हैं, साथ ही ये लोग पढ़ाई करने भी यहाँ आते हैं।
आयरलैंड के मंत्री ने नस्लीय हमले की आलोचना की
विदेशी नागरिकों पर झूठे आरोप लगाकर किये जा रहे नस्लीय हमलों पर कानून मंत्री जिम ओ कैलाघन ने अफसोस जताया है। उनका कहना है कि स्थानीय लोग देश में बढ़ रहे क्राइम के लिए आप्रवासियों को जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन जेलों में जब अपराधियों की संख्या देखी जाए, तो आप्रवासियों की आबादी की तुलना में अपराध में लिप्त आप्रवासी काफी कम हैं इसलिए इनपर आरोप लगाना गलत है।
आयरलैंड की प्रमुख पार्टी सिन फेन टीडी ने भारत के नागरिक पर हुए हमले को ‘हिंसक और नस्लवादी’ करार दिया है। पार्टी का कहना है कि ऐसे हमले पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और नफरती हमले से लोगों में डर का माहौल है। चाहे वे आयरलैंड के लोग हों या आप्रवासी।