असम के दीमा हसाओ क्षेत्र की जिस 3000 बीघा जमीन को एक निजी कंपनी को खनन के लिए सौंपने पर गुवाहाटी हाई कोर्ट ने आपत्ति जताई है। उस हाई कोर्ट के फैसले पर विपक्ष और कुछ मीडिया संस्थानों ने अडानी समूह के खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया है। मामले में जिस कंपनी को जमीन बेची गई है, उसे अडानी समूह से जोड़कर पेश किया गया।
दरअसल, असम के दीमा हसाओ इलाके की 3000 बीघा जमीन को कंपनी को आवंटित किए जाने पर कोर्ट ने तीखा स्वर अपनाया था। कोर्ट ने कंपनी को फटकारते हुए कहा कि पूरा जिला एक कंपनी को सौंप दिया, यह कोई मजाक नहीं है। जस्टिस की इस टिप्पणी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इस वायरल वीडियो पर कॉन्ग्रेस ने अडानी समूह के खिलाफ प्रोपेगेंडा शुरू कर दिया है। कॉन्ग्रेस ने अपने अधिकारिक एक्स अकाउंट पर वीडियो को शेयकर कर अडानी समूह और असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार को घेरना शुरू कर दिया। हमेशा की तरह अडानी समूह के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा गया।
Assam CM Himanta Biswa Sarma handed over 3,000 bigha (81 million sqft) of tribal land to Adani for a cement factory.
A High Court judge expressed shock, questioning the rationality of the decision and stating, "Is this a joke? You are giving a whole district. Your need is not… pic.twitter.com/vFNGE0QzkA— Congress (@INCIndia) August 18, 2025
कॉन्ग्रेस ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “BJP सरकार की हरकतें घोर क्रोनी कैपिटलिज्म की गवाही देती हैं, क्योंकि वे बेशर्मी से देश के संसाधनों को मोदी के मित्र अडानी को सौंप रहे हैं, जबकि गरीबों को संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया गया है। यह जनता के लिए शासन नहीं है; यह मित्र अडानी के लिए शासन है।”
इसी के साथ कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने जमीन खरीदने वाली कंपनी को अडानी का बताकर सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा चलाया। आलोक शर्मा ने एक्स पर इस वायरल वीडियो को पोस्ट कर अडानी समूह को सीधे टारगेट किया।
हाईकोर्ट के जज भी अडानी को दी जा रही जमीन की बात सुन कर खुद शॉक्ड हो गए।
पूरा वीडियो देखिए! pic.twitter.com/7T49rZFJ4B— Alok Sharma (@Aloksharmaaicc) August 18, 2025
कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने वीडियो को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडानी समूह से जोड़ा। इस वीडियो के कैप्शन में लिखा गया, “हाई कोर्ट के जज भी अडानी को दी जा रही जमीन की बात सुनकर खुद शॉक्ड हो गए।”
Assam’s corrupt CM Himanta gave Adani 3,000 bigha (81 million sqft) land for cement factory.
Even the High Court Judge was shocked – here’s what he asked & said
“Is this a joke?”
“You are giving a whole district”
“Your need is not the issue, public interest is the issue” pic.twitter.com/gUdmX8nXJ2— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) August 18, 2025
कॉन्ग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनाते ने भी गुवाहाटी हाई कोर्ट के इस वीडियो को अपने एक्स अकाउंट पर शेयर कर अडानी समूह पर निशाना साधा है। इसके अलावा कुछ मीडिया संस्थानों ने भी जस्टिस के बयान को अडानी से जोड़कर धड़ल्ले से खबरें चलाईं।
#NewsFatafat | Assam govt allots 990 acres in Dima Hasao to Adani Group for a mega cement plant; sparks row over tribal rights & Sixth Schedule violations as protests erupt despite promises of jobs & infra boost #Assam #AdaniGroup #SixthSchedule #TribalRights… pic.twitter.com/gu5Cw59mCp
— ET NOW (@ETNOWlive) August 18, 2025
इन खबरों में भी जमीन खरीदने वाली कंपनी को अडानी की बताई गई है।
वीडियो की हकीकत जाने बिना विपक्ष और मीडिया ने सोशल मीडिया पर इसे शेयर किया और सरकार-अडानी समूह को घेरने का मौका नहीं छोड़ा। जबकि हकीकत यह है कि गुवाहाटी हाई कोर्ट ने जिस कंपनी को जमीन बेचे जाने की बात पर तीखे स्वर अपनाए हैं। वह असल में कोलकाता की ‘महाबल सीमेंट्स कंपनी’ है, जिसका अडानी समूह से कोई लेना-देना नहीं है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जिन ग्रामीणों की याचिका पर गुवाहाटी हाई कोर्ट ने सुनवाई की है। उस याचिका में भी साफ है कि असम के दीमा हसाओ क्षेत्र की जमीन को खरीदने वाली कंपनी का नाम ‘महाबल सीमेंट्स’ है, जो कि कोलकाता की कंपनी है।
क्या है पूरा मामला ?
मामला असम के दीमा हसाओ क्षेत्र की 3000 बीघा जमीन को महाबल सीमेंट कंपनी को खनन के लिए आवंटन करने से संबंधित है। इस क्षेत्र में जनजातीय समाज के लोग रहते हैं। क्षेत्र की जमीन बंजर हालत में हैं, जिसके चलते जमीन को खनन के लिए आवंटित किया गया है।
ग्रामीणों ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई 12 अगस्त 2025 को की गई। इस दौरान जस्टिस संजय कुमार मेधी ने कंपनी को जमीन सौंपने पर आपत्ति जताई थी। जस्टिस मेधा ने कहा कि दीमा हसाओ संविधान की छठी अनुसूची के तहत आता है, जहाँ जनजातीय अधिकारों को पहले रखा जाना चाहिए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सीमेंट कंपनी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि जमीन बंजर है और कंपनी को चलाने के लिए इसकी जरूरत थी। इस पर जस्टिस मेधा ने कहा, “यह आपकी जरूरत मुद्दा नहीं, जनहित मुद्दा है।”
जस्टिस मेधा ने आगे कहा, “3000 बीघा! यानी पूरा जिला? क्या हो रहा है? 3000 बीघा एक निजी कंपनी को आवंटित कर दिया गया? हम जानते हैं कि जमीन कितनी बंजर है…3000 बीघा? यह कैसा फैसला है? क्या यह कोई मजाक है या कुछ और?”
जस्टिस मेधा की इस टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।