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‘असम में 4 साल में छुड़ाई 1.29 लाख बीघा जमीन’: असम के घुसपैठियों और बांग्लादेशी मुस्लिमों को CM हिमंता का साफ संदेश – ‘हम डर जाएँगे, ये गलतफहमी है’


असम के सीएम हिमंता

असम में लगभग 29 लाख बीघा जमीन पर ‘बांग्लादेशी घुसपैठिए और बंगाली मुस्लिमों’ का कब्जा है। यह दावा प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने किया है। सीएम ने कहा कि साल 2021 में बीजेपी सरकार आने के बाद जमीन खाली करने का अभियान चलाया गया, लेकिन उनपर इसी रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाया गया।

दरअसल, सीएम ने यह बातें सोमवार (21 जुलाई 2025) को दरंग जिले में गोरुखुटी में गोरुखुटी बहुउद्देशीय कृषि परियोजना की चौथी वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। इस परियोजना को साल 2021 में शुरू किया गया था, जिसके तहत अब तक 77,420 बीघा जमीन को अतिक्रमण से साफ कर दिया गया है। इसमें अधिकतर बंगाल के मुस्लिमों का कब्जा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीएम सरमा ने कहा, “दरंग जिले में अभियान की सफलता के बाद बोरसोल्ला, लुमडिंग, बुरहापहाड़, पाभा, बतद्रा, चापर और पैकन में भी इस अभियान को चलाया गया। पिछले 4 वर्षों में हमने 1.29 लाख बीघा कब्जे वाली जमीन को मुक्त कराया है। अब इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा जंगल बनाने के लिए और प्रदेश की जनता के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा, “अगर कोई सोचता है कि दो-तीन अभियानों के बाद हम डर जाएंगे, उनकी आँखों में आँखें नहीं डालेंगे और झुक जाएंगे तो वे गलतफहमी में हैं। असम आंदोलन के शहीदों का बदला जरूर लिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि 1983 से 1985 के बीच असम आंदोलन के दौरान लोगों में हार की भावना आ गई थी और कई लोगों ने कांग्रेस के आगे ‘समर्पण’ कर दिया था, जिससे प्रदेश में राजनीति की दिशा बदल गई थी।

शंकर-माधव की जगह शंकर-अजान कहने लगे थे

सीएम सरमा ने कहा, किसी समय पर शंकर-माधव की जगह हम शंकर-अजान कहने लगे। अजान पीर अपनी जगह पर रहेंगे, लेकिन माधव (माधवदेव) का भी अपना स्थान है। तभी हमारी ‘जाति’ बच सकती है। श्रीमंत शंकरदेव और श्री श्री माधवदेव असम के पूज्य वैष्णव संत हैं, जबकि अजान पीर एक मुस्लिम सत थे, जो 17वीं सदी में इराक से असम आए थे।

गोलपाड़ा में 1000 बीघा से अधिक जमीन से हटाया अतिक्रमण

असम की हिमंता सरकार प्रदेश की डेमोग्राफी रक्षा के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है। बेदखली अभियान के तहत जगह-जगह अतिक्रमण भूमि को मुक्त कराया गया। 12 जुलाई 2025 को गोलपाड़ा जिले में पैकन रिजर्व फोरेस्ट में बेदखली अभियान चलाया गया था। यहाँ 140 हेक्टेयर (1038 से 1040 बीघा) तक वन भूमि पर अधिकतर बंगाली मुस्लिमों का अवैध कब्जा था।

गोलपाड़ा के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर तेजस मारिस्वामी ने बताया कि 1,080 परिवारों ने यहाँ घर बना रखे थे। इनमें से ज्यादातर बंगाली मूल के मुसलमान थे, जो पड़ोसी इलाकों या बांग्लादेश से आकर बसे हुए थे। अभियान में 36 बुलडोजर लगाए गए, इलाके को 6 ब्लॉकों में बाँटा गया। करीब 2,500 से 2,700 संरचनाएँ (घर, दुकानें) ढहाई गईं। सुरक्षा के लिए 1,000 से ज्यादा पुलिस और फॉरेस्ट गार्ड तैनात थे।

ममता बनर्जी ने ‘बंगालियों पर अत्याचार’ का लगाया आरोप

हाल ही में असम में घुसपैठियों और अवैध कब्जे हटाने को लेकर सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बीच सोशल मीडिया पर वाकयुद्ध छिड़ गया था। ममता दीदी ने कहा था कि असम में बंगाली जनसंख्या को निशाना बनकर हिमंता सरकार उत्पीड़न कर रही है, उन्होंने इसे बीजेपी का विभाजन का एजेंडा बताया था।

इसका जवाब देते हुए सीएम सरमा ने कहा कि असम में बंगालियों से नहीं बल्कि मुस्लिम घुसपैठिए को हटाया जा रहा है। सीएम ने सुप्रीम कोर्ट के बयान का भी जिक्र किया, जिसमें घुसपैठ को बाहरी आक्रमण कहा गया है।



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