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असम में घुसपैठ पर सीएम हिमंता का बड़ा वार, 18 वर्ष से ऊपर के लोग अब नहीं बनवा पाएँगे आधार कार्ड: सिर्फ SC-ST-चाय फर्म में काम करने वालों को छूट


असम में घुपैठियों से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। असम सरकार ने फैसला किया है कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का अब आधार कार्ड नहीं बनाया जाएगा। हालाँकि, इससे कुछ समुदायों को कुछ समय के लिए छूट दी गई है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार (21 अगस्त 2025) को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बताया कि यह फैसला अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को आधार कार्ड मिलने से रोकने के लिए लिया गया है। यह निर्णय अक्टूबर के पहले सप्ताह से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी का आधार कार्ड नहीं है तो वह सितंबर के महीने में इसके लिए आवेदन कर सकता है। वहीं, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और चाय बागान समुदाय से जुड़े लोग अगले एक वर्ष तक आधार कार्ड बनवा सकेंगे।

103% हुआ आधार सैचुरेशन: CM हिमंता

सीएम हिमंता ने बताया है कि राज्य में आधार सैचुरेशन 103% हो गया है, जिसका मतलब है कि कोई भी 18 वर्ष से ऊपर का व्यक्ति बिना आधार कार्ड के नहीं बचा है। आधार सैचुरेशन 103% होने का मतलब है कि अगर 100 लोगों की जनसंख्या है तो 103 आधार कार्ड जारी कर दिए गए हैं। इसमें बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी आधार कार्ड दिए जाने की आशंका है।

उन्होंने कहा, “SC, ST और चाय बागान समुदायों को इससे छूट दी गई है क्योंकि उनके बीच आधार का सैचुरेशन 96% है यानी 4% लोगों को अभी भी कवर किया जाना बाकी है।”

हिमंता ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी (अवैध विदेशी) असम में प्रवेश करके आधार कार्ड प्राप्त न कर सके और भारतीय नागरिक होने का दावा न कर सके। हमने वह रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया है।”

रेयर केस में DC जारी करेंगे आधार कार्ड: CM

हिमंता ने स्पष्ट कर दिया है कि दुर्लभतम मामलों में जिला आयुक्त (DC) को आधार कार्ड जारी करने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा, “एक महीन के बाद SDC या सर्किल ऑफिसर आधार कार्ड जारी नहीं कर पाएँगे। केवल DC के पास यह अधिकार होगा।”

उन्होंने कहा कि आधार कार्ड जारी करने से पहले DC को SB (स्पेशल ब्रांच) रिपोर्ट और विदेशी न्यायाधिकरण की रिपोर्ट की जांच करनी होगी।

असम में बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ एक बड़ी समस्या है। घुसपैठिए स्थानीय लोगों की मदद से आधार कार्ड जैसे दस्तावेज बनवा लेते हैं और फिर उनका इस्तेमाल कर अन्य कागजात भी उन्हें मिल जाते हैं। सीएम हिमंता के इस फैसले के बाद अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के लिए असम में आधार कार्ड हासिल करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

असम में तेजी से बदल रही डेमोग्राफी, 2041 तक बराबर होंगे हिंदू-मुस्लिम

हिमंता ने पिछले महीने बताया था कि राज्य में 2041 तक मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं के बराबर हो जाएगी। सीएम सरमा ने बताया था कि 2011 में असम की कुल जनसंख्या 3.12 करोड़ थी, जिसमें मुस्लिम जनसंख्या 1.07 करोड़ (लगभग 34.22%) और हिंदू जनसंख्या 1.92 करोड़ (लगभग 61.47%) थी।

उन्होंने कहा था कि असम में रहने वाले महज 3% मुस्लिम ही असमिया मूल के हैं जबकि 31% मुस्लिम आबादी घुसपैठिए हैं जो मुख्यतः बांग्लादेश से आए हैं। उन्होंने इस बात की भी आशंका जताई कि अगर इसी तरह चलता रहा तो 2021, 2031 और 2041 तक असम की जनसंख्या में 50 फीसदी तबका मुस्लिम होगा और हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक बन जाएगा।

हिमंता ने बताया था कि 2001 में असम के 23 जिलों में से 6 मुस्लिम बहुल थे। इनमें धुबरी (74.29), गोलपारा (53.71), बारपेटा (59.37), नगांव (51), करीमगंज (52.3) और हैलाकांडी (57.63) थी। 2011 में जिलों की संख्या 27 हुई और इनमें 9 जिले मुस्लिम बहुल हो गए।

सीएम सरमा ने जनसांख्यिकीय बदलाव पर कहा कि ये सिर्फ ‘भूमि जिहाद’ ही नहीं बल्कि असम को खत्म करने वाला जिहाद है। योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम आबादी सरकारी और जंगलों की जमीन पर भी कब्जा कर रही है। इसके कारण असम की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान खतरे में पड़ गई है। अगर यही प्रवृत्ति जारी रही तो अगले 20 वर्षों में असम के मूल निवासी अल्पसंख्यक बन सकते हैं।

असम में 4 साल में घुसपैठियों से छुड़ाई गई 1.29 लाख बीघा जमीन

असम में घुसपैठ से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। जिनमें बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहचानकर वापस उनके देश भेजना और घुसपैठियों द्वारा जबरन कब्जाई गई जमीन को खाली कराना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

हिमंता ने बीते महीने ही बताया था कि असम में लगभग 29 लाख बीघा जमीन पर ‘बांग्लादेशी घुसपैठिए और संदिग्ध नागरिकों’ का कब्जा है। उन्होंने कहा था, “2021 में जमीन खाली कराने की योजना शुरू की गई थी जिसके तहत अब तक 77,420 बीघा जमीन को अतिक्रमण से साफ कर दिया गया है। इसमें अधिकतर बंगाल के मुस्लिमों का कब्जा था।”

हिमंता ने कहा था, “दरंग जिले में अभियान की सफलता के बाद बोरसोल्ला, लुमडिंग, बुरहापहाड़, पाभा, बतद्रा, चापर और पैकन में भी इस अभियान को चलाया गया। पिछले 4 वर्षों में हमने 1.29 लाख बीघा कब्जे वाली जमीन को मुक्त कराया है। अब इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा जंगल बनाने के लिए और प्रदेश की जनता के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।”

बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए असम का रुख करते हैं। सीएम हिमंता ने इस बात को बार-बार दोहराया है कि वे बांग्लादेशी घुसपैठियों से असम को मुक्त करना चाहते हैं और इसके लिए वो लगातार अभियान भी चला रहे हैं।



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