बरेली धर्मांतरण

बरेली के फैज नगर में 24 अगस्त 2025 को पुलिस ने एक मदरसे में चल रहे धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया। जब पुलिस पहुँची तो वहाँ दो हिंदू युवकों का जबरन खतना कराया जा रहा था। मौके से कई मुस्लिम युवक पकड़े गए। इस खुलासे के साथ एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है कि गैंग की कमान एक जीजा-साले की जोड़ी के हाथ में थी।

अब्दुल मजीद ने जयपुर के हिंदू युवक पीयूष को पहले इस्लाम कबूल करवाया, फिर उसका नाम बदलकर मोहम्मद अली रखा। इसके बाद अपनी बहन आयशा से उसका निकाह करवा दिया। नया मुस्लिम जीजा अब हिंदुओं को बहकाने का ‘प्रूफ’ बन गया। वह खुद को पहले हिंदू बताकर कहता, ‘सनातन धर्म बेकार है, इस्लाम में जन्नत है।’

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरोह पहले युवाओं को पाकिस्तानी मौलाना इंजीनियर अली मिर्जा के विचार सुनवाता, जो मजहब की आधुनिक व्याख्या करता है। जब दिमाग काबू में आ जाता, तो जाकिर नाइक की कट्टर और भड़काऊ किताबें पढ़ाई जातीं। ‘मीडिया और इस्लाम –जंग या अमन’, ‘हिंदू धर्म और इस्लाम में समानता’ जैसी किताबें देकर दिखाया जाता और फिर इस्लाम को ‘बेहतर’ साबित किया जाता।

ये लोग कुरान और बाइबिल की बहस वाले वीडियो दिखाते और साबित करने की कोशिश करते कि इस्लाम सबसे बेहतर है। साथ ही वादा करते कि अगर वो धर्म बदलते हैं तो किसी मुस्लिम लड़की से शादी भी करा देंगे। जो लोग फँस जाते, उनके लिए फर्जी सर्टिफिकेट भी बनवाए जाते। ये सर्टिफिकेट दिल्ली की एक मस्जिद से जारी होते थे।

पुलिस जाँच के मुताबिक, धर्मांतरण गैंग कई राज्यों में फैला है। कॉल डिटेल से पता चला है कि ये लोग दक्षिण भारत के कई लैंडलाइन नंबरों पर बात करते थे। पुलिस अब उन राज्यों में जाकर भी जाँच करेगी। अगर और आरोपित सामने आए तो उन पर भी कार्रवाई होगी।

धर्मांतरण जबरन या अपनी मर्जी से?

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल मजीद की बहन आयशा खातून इस मदरसे में ही रहती हैं और उसका कहना है कि कोई भी जबरदस्ती मुस्लिम नहीं बना। आयशा खातून के मुताबिक, लोग इस्लाम की खूबसूरती देखकर खुद ही उसे अपना रहे हैं। आयशा खातून ने यह भी कहा कि कोई किसी को जबरदस्ती मुस्लिम कैसे बना सकता है।

हालाँकि, आयशा ने कैमरे पर सिर्फ इतना कहा कि उनकी भाभी को बेटी हुई है और उनकी माँ उनसे मिलने जेल गई हैं। यह सब उन आरोपों के ठीक उलट है, जो पुलिस और जाँच में सामने आए हैं।

जयपुर का ‘पीयूष’ बना ‘मोहम्मद अली’

गाँव के एक बुजुर्ग ने बताया कि अब्दुल मजीद हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। उसने जयपुर के पीयूष से अपनी बहन की बातचीत करवाई। वॉट्सऐप पर फोटो-वीडियो भेजकर उसे निकाह का लालच दिया।

पहले उसका खतना कराकर नाम मोहम्मद अली रखा गया, फिर 2022 में उसका निकाह आयशा से करा दिया गया। उसे इस्लामिक किताबें और जाकिर नाइक के ऑडियो सुना-सुनाकर कट्टर मुस्लिम बनाया गया। इसके बाद वह खुद इस गिरोह में शामिल होकर अन्य हिंदुओं का ब्रेनवॉश करने लगा। पुलिस ने बताया कि बरामद साहित्य और तकरीरें काफी भड़काऊ हैं।

सुंदर लड़कियों की तस्वीरें भेज फँसाते

इस गिरोह का पर्दाफाश करने वाली एसपी साउथ ने बताया कि यह एक बड़ा गैंग है और इनका निशाना तलाकशुदा, आर्थिक रूप से कमजोर लोग होते है। गैंग लोगों को मुस्लिम लड़कियों से शादी का लालच देकर वॉट्सऐप ग्रुप्स में सुंदर लड़कियों की तस्वीरें भेजकर उन्हें फँसाते हैं।

अब्दुल मजीद गिरोह का मुख्य संचालक था। उसके नीचे सलमान, आरिफ और फहीम जैसे लोग काम करते थे। सलमान कपड़े सिलता था और मजहबी किताबें व CD उपलब्ध कराता था, आरिफ उसकी मदद करता था और फहीम नाई का काम करता था और लोगों की जानकारी जुटाकर गैंग तक पहुँचाता था।

विदेशी फंडिंग और देशभर में नेटवर्क

जाँच में पता चला है कि अब्दुल मजीद की ट्रैवल हिस्ट्री 27 से भी ज्यादा जिलों से जुड़ी है। वह अलग-अलग जगहों से चंदा इकट्ठा करता था। उसके बैंक खातों में ₹13 लाख से ज्यादा मिले हैं और 21 अलग-अलग बैंक खातों का भी पता चला है। पुलिस को विदेशी फंडिंग का भी शक है।

बरेली के इस गिरोह के तार देश के 13 राज्यों से जुड़े हैं। इसमें 200 से ज्यादा मौलानाओं के शामिल होने की आशंका है। पुलिस ने गिरोह के पाँचवें सदस्य महबूब बेग की तलाश में भी दबिश दी है। पुलिस को इस गिरोह के तार नशीले पदार्थों की तस्करी से भी जुड़े होने का शक है। कुछ ऐसे तस्कर जो पहले जेल जा चुके हैं, वे भी अब्दुल मजीद के संपर्क में थे।

खुफिया एजेंसियाँ भी इस मामले की जाँच कर रही हैं। इस गिरोह ने सुभाषनगर के ब्रजपाल साहू और उसके पूरे परिवार का भी धर्मांतरण करा दिया था, जिससे ब्रजपाल अब्दुल्ला, उसकी बहन राजकुमारी आयशा और माँ ऊषा देवी अमीना बन गईं। पुलिस अब इन परिवारों की भी तलाश कर रही है।

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