अडानी ग्रुप ने ब्लूमबर्ग की उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था कि ग्रुप चीनी कंपनियों BYD और बीजिंग वेलियन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी के साथ बैटरी निर्माण और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की योजना बना रहा है। अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बातचीत या सहयोग की योजना नहीं है।
कंपनी ने ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट को ‘आधारहीन, गलत और भ्रामक’ बताया है। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अडानी ग्रुप, जो भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी है, चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता BYD के साथ मिलकर भारत में बैटरी निर्माण शुरू करने की दिशा में काम कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अडानी स्वयं BYD के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे थे और यह चर्चा पिछले हफ्ते तक चली थी। इसका मकसद लिथियम-आयन बैटरी का बड़े पैमाने पर उत्पादन करना था, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए जरूरी है।
इसके अलावा ब्लूमबर्ग ने यह भी दावा किया कि अडानी ग्रुप बीजिंग वेलियन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी और अन्य चीनी कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रहा है, साथ ही यूरोपीय और दक्षिण कोरियाई बैटरी निर्माताओं से भी संपर्क में है।
हालाँकि, अडानी ग्रुप ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया। कंपनी ने कहा कि वह न तो BYD के साथ बैटरी निर्माण के लिए कोई सहयोग कर रही है और न ही बीजिंग वेलियन के साथ किसी तरह की साझेदारी की बात चल रही है। ग्रुप ने यह भी दोहराया कि वह भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
अडानी ग्रुप पहले से ही सौर, पवन और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में काम कर रहा है। कंपनी अपनी सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता को 10 गीगावाट प्रति वर्ष तक बढ़ाने और पवन टरबाइन उत्पादन को 5 गीगावाट तक दोगुना करने की योजना बना रही है। साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण की सुविधा विकसित करने पर भी काम चल रहा है।
भारत और चीन के बीच तनाव, जैसे सीमा विवाद और आर्थिक प्रतिस्पर्धा, इस तरह के सहयोग को जटिल बनाते हैं। ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि चीन ने अप्रैल से भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात रोक दिया है और भारत ने BYD के वरिष्ठ अधिकारियों को वीजा देने से इनकार कर दिया है, जिसके कारण बैठकें पड़ोसी देशों में हो रही थीं। फिर भी अडानी ग्रुप ने साफ किया कि वह किसी भी चीनी कंपनी के साथ साझेदारी की दिशा में काम नहीं कर रहा है।