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अजीब नाली वाला घर, झील में अक्षर और सपना… ऐसे हुई थी 14वें दलाई लामा की खोज: अब पुनः अवतार का किया ऐलान, कहा- ‘आजाद देश’ में होगा जन्म; भड़का चीन बोला- हम करेंगे डिसाइड


तिब्बती बौद्ध समुदाय के सबसे बड़े धर्मगुरु दलाई लामा ने ऐलान किया है कि उनका पद उनके निर्वाण के बाद भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा है कि उनके जाने के बाद भी दलाई लामा का पद जारी रहेगा और नए दलाई लामा की खोज उनका ट्रस्ट करेगा। उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया है कि उनका पुनः अवतार किसी ‘आजाद देश’ में होगा। दलाई लामा ने यह घोषणा अपने 90वें जन्मदिन से पहले की हैं। दलाई लामा के बयान पर चीन बौखला भी गया है।

दलाई लामा ने क्या कहा?

दलाई लामा द्वारा बुधवार (2 जुलाई, 2025) को इस संबंध में अपना बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने कहा, “24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की एक बैठक में, मैंने तिब्बत में और उसके बाहर रहने वाले साथी तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के सामने एक बयान दिया था। इसमें मैंने पूछा था कि क्या दलाई लामा की पदवी जारी रहनी चाहिए। 1969 में ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि यह सम्बन्धित लोगों को तय करना होगा कि यह जारी रहे या नहीं।”

उन्होंने 2011 में बताया था, “जब मैं लगभग 90 वर्ष का हो जाऊँगा तो मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य लोगों से विचार करूँगा कि दलाई लामा की संस्था जारी रहे या नहीं।”

दलाई लामा ने इस बयान में कहा कि उन्होंने कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की है कि लेकिन उनसे अलग-अलग जगह के तिब्बतियों और तिब्बती धर्म गुरुओं और यहाँ तक चीन के लोगों ने यह संस्था बनाए रखने का आग्रह किया है। उन्होंने कह़ा, ” इन सभी अनुरोधों के अनुसार, मैं पुष्टि कर रहा हूँ कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी।”

सर्वोच्च तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु ने यह भी स्पष्ट किया कि अगला दलाई लामा कौन होगा, इसकी प्रक्रिया 2011 में ही तय कर ली गई थी। उन्होंने कहा कि नए दलाई लामा का चुनाव करने की जिम्मेदारी केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के लोगों पर होगी। यह दलाई लामा का कार्यालय है।

दलाई लामा ने कहा कि इस प्रक्रिया में और कोई दखल नहीं दे सकता है। उन्होंने नए दलाई लामा के चुनाव को लेकर यह भी स्पष्ट किया है कि वह किसी ‘आजाद देश’ में पैदा होंगे। दलाई लामा ने यह ऐलान 6 जुलाई, 2025 को उनके 90वें जन्मदिन से पहले हुए हैं।

दलाई लामा के ऐलान पर चीन भड़का

तिब्बत से बौद्धों और दलाई लामा को बाहर करके 1950 के दशक में कब्जा करने वाला चीन इस ऐलान के बाद भड़क गया है। उसने इसको लेकर एक बयान जारी किया है। चीन ने कहा है कि वर्तमान दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति को चीनी सरकार से अनुमति लेनी होगी।

चीन ने यह भी कहा है कि नए दलाई लामा की पहचान भी उसी के यहाँ की जाएगी। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, “दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य महान बौद्ध हस्तियों के पुनर्जन्म का चयन सोने के कलश से लॉटरी निकालकर किया जाना चाहिए और चीन की केन्द्रीय कमिटी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।”

चीन ने एक और बयान जारी किया है जिसमें उसने एक एक्सपर्ट ली देचेंग के हवाले से कहा है कि कभी भी पवित्र बौद्ध पदवियों का पुनर्जन्म उनके जीवित रहते डिसाइड नहीं होता। उसने कहा है कि यह दलाई लामा के मामले में सीधे सोने के बॉक्स से लॉटरी निकाल कर जारी होता है।

दलाई लामा को चुनने और उनकी नियुक्ति का क्या इतिहास रहा है, इसका पूरा इतिहास बखान करते हुए चीन ने 14वें और वर्तमान दलाई लामा का विरोध किया है।

चीन को दलाई लामा से क्या समस्या?

वर्तमान दलाई लामा 1950 के बाद तिब्बत से भारत आ गए थे। उनके साथ हजारों तिब्बती भी भारत आ गए थे। दलाई लामा तिब्बत के प्रमुख माने जाते हैं। लेकिन चीन के कब्जे खिलाफ जब तिब्बती सेना नहीं लड़ पाई, तो उन्होंने भारत आने का फैसला लिया और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार बनाई।

भारत आते दलाई लामा (फोटो साभार:Dalailama.com)

वह तिब्बत को चीन का हिस्सा नहीं मानते और कम्युनिस्ट सरकार की तिब्बत की संस्कृति मिटाने के प्रयासों के खिलाफ खड़े रहे हैं। तिब्बत की बौद्ध जनता का बड़ा हिस्सा उनके वहाँ से आने के 6-7 दशकों के बाद भी उनके प्रति समर्पित हैं। चीन, तिब्बत को अपना हिस्सा बताता है और दलाई लामा उसका विरोध करते हैं।

दलाई लामा ने चीन की नास्तिक सरकार से समझौता करने से इनकार भी कर दिया था। ऐसे में वहाँ की कम्युनिस्ट सरकार उनके प्रति जहर उगलते रहती है। दलाई लामा के प्रति चीन की सरकार अपमानजनक शब्द भी उपयोग करती है। तिब्बत के लोगों को अपने पाले में करने के लिए वह दलाई लामा के विरोध में खड़ी है।

चीन ने तिब्बत में अपना प्रभाव जमाने को एक फर्जी पंचेन लामा भी नियुक्त किया हुआ है। पंचेन लामा तिब्बती बौद्ध धर्म में दूसरी सबसे बड़ी पदवी है। वर्ष 1995 में 6 वर्ष के एक बच्चे को दलाई लामा ने 11वां पंचेन लामा घोषित किया था। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने उन्हें किडनैप कर लिया और अपना आदमी उनकी जगह नियुक्त कर दिया।

दलाई लामा की नियुक्ति के मामले में भी चीन यही करना चाहता था लेकिन उन्होंने अब पुनः अवतार की बात करके चीन की नींद उड़ा दी है। इसलिए वह अलग-अलग तरह से प्रोपेगेंडा कर रहा है और उन्हें झुठलाने का प्रयास कर रहा है।

कैसे खोजा जाता है नया दलाई लामा?

तिब्बती बौद्ध धर्म में अब तक 14 दलाई लामा हुए हैं। सारे दलाई लामा बोधिसत्व का अवतार माने जाते हैं। दलाई लामा को खोजने के लिए एक प्रक्रिया पहले से ही निर्धारित है। यह प्रक्रिया दलाई लामा की मृत्यु के बाद चालू होती है। मृत्यु के बाद दुख का एक काल होता है, जिसके बाद नए दलाई लामा को ढूंढा जाता है।

यह काम तिब्बती बौद्ध धर्म के बड़े धर्मगुरु या लामा करते हैं। उनका एक समूह इसके लिए संकेतों का सहारा लेते हैं। नए दलाई लामा की तलाश के लिए, निवर्तमान दलाई लामा के अंतिम संस्कार के दौरना उनके सिर की दिशा, उनकी मृत्यु के समय उनके देखने की दिशा समेत तमाम ऐसे संकेत इस्तेमाल किए जाते हैं।

13वें दलाई लामा (फोटो साभार: The treasury of lives)

इसके बाद उस दिशा में तलाश के लिए बौद्ध धर्मगुरु और बाकी विद्वान जाते हैं। सामान्यतः, इन दिशाओं में और संकेत मिलते हैं तथा इसके बाद कुछ बच्चों को इस प्रक्रिया में सेलेक्ट किया जाता है। हालाँकि, असल दलाई लामा पहचानने के लिए मृत हुए दलाई लामा से जुड़ी बातें पूछी जाती हैं और उसने जुड़ी चीजें दिखाई जाती हैं।

बौद्ध धर्मगुरु पूरी संतुष्टि के बाद ही यह ऐलान करते हैं कि नए दलाई लामा का आगमन हो चुका है। दलाई लामा के मिलने के बाद उनकी शिक्षा दीक्षा होती है और उनकी ताजपोशी भी होती है। वर्तमान दलाई लामा को वर्ष 1937 में तिब्बत में ऐसी ही एक प्रक्रिया में ढूँढा गया था।

कैसे ढूंढे गए थे वर्तमान दलाई लामा?

वर्तमान दलाई लामा का जन्म 1935 में हुआ था। उनकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, दलाई लामा के माता-पिता छोटे किसान थे जो ज़्यादातर जौ, अनाज और आलू उगाते थे। उनके पिता मध्यम बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते थे।

बच्चे के तौर पर दलाई लामा

दलाई लामा के अनुसार, “मुझे याद है कि एक बार मैंने उनकी मूंछें खींची थीं और मेरी इस हरकत के लिए मुझे बहुत मारा गया था… फिर भी वे एक दयालु व्यक्ति थे और उन्होंने कभी किसी से द्वेष नहीं रखा।” दलाई लामा 7 भाई-बहन थे।

दलाई लामा बताते हैं, “किसी को भी इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मैं एक साधारण बच्चे के अलावा कुछ और हो सकता हूँ। यह अकल्पनीय था कि एक ही परिवार में एक से ज़्यादा तुल्कु (लामा) पैदा हो सकते हैं और निश्चित रूप से मेरे माता-पिता को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मुझे दलाई लामा घोषित किया जाएगा।”

उनकी तलाश के लिए 1937 में एक पार्टी भेजी गई थी। इस दौरान तिब्बती सरकार द्वारा दलाई लामा के नए अवतार को खोजने के लिए भेजा गया एक खोज दल कुंबुम बौद्ध मठ में पहुँचा। यह लोग कई संकेतों के आधार पर यहाँ पहुँचे थे।

इनमें से एक उनके पूर्ववर्ती, 13वें दलाई लामा की मौत के बाद मिला था। 13वें दलाई लामा थुप्तेन ग्यात्सो की शव ममीकरण प्रक्रिया के दौरान, सिर दक्षिण की ओर से उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ा हुआ पाया गया। इसके बाद एक वरिष्ठ को एक स्वप्न आया।

इस सपने में उन्होंने दक्षिणी तिब्बत में पवित्र झील, ल्हामोई ल्हात्सो के पानी में तिब्बती अक्षरों आह, का और मा को तैरते हुए देखा। उन्हें इसके बाद एक तीन मंजिला इमारत और एक रास्ता भी दिखा। एक और सपने में उन्हें अजीब सी नालियों वाला एक खर दिखा।

यह पार्टी सपने में दिखे पहले अक्षर ‘अह’ के चलते आमदो राज्य गई। इसके बाद दूसरे अक्षर ‘क’ के चलते कुम्बुम मठ गई। इसके बाद वह आसपास के गाँवों में गए जहाँ उन्हें वर्तमान दलाई लामा का घर दिखा जो अजीब तरह की नालियों वाला था।

दलाई लामा, बौद्ध मठ में ले जाए जाने के बाद

इस सर्च पार्टी में शामिल लोगों ने इसके बाद वर्तमान दलाई लामा, जो तब 2 वर्ष के थे, को ध्यान से देखा और उनकी हरकतें नोटिस की। कुछ दिन बाद यह सर्च पार्टी वापस आई और उन्होंने 13वें दलाई लामा की चीजें भावी दलाई लामा को दिखाई। उन्होंने तुरंत ही यह पहचान ली, और कहा कि वह उनके हैं।

इसके कुछ वर्षों के बाद उन्हें ल्हासा ले जाया गया और बौद्ध धर्म की शिक्षाएँ दी गईं।



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